अब PF फंड से पेंशन निकालने के लिए करना होगा लंबा इंतजार, नये नियम में और क्या-क्या बदलाव?

deltin33 2025-10-15 01:38:09 views 1259
  

पेंशन निकासी: 36 महीने का इंतजार



संजय मिश्र, जागरण नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने जहां ईपीएफ फंड से अनिवार्य न्यूनतम बैलेंस के अलावा शेष शत प्रतिशत राशि रकम निकालने की छूट दी है वहीं पेंशन फंड की निकासी के लिए तीन साल की प्रतीक्षा अवधि का बैरियर लगा दिया है। नए प्रविधान के तहत नौकरी छूटने के 36 महीने बाद ही अब ईपीएफओ से पेंशन फंड की राशि निकाली जा सकेगी। सामाजिक सुरक्षा कवच को मजबूती देने के लिए नौकरी छूट जाने के दो महीने बाद ही पेंशन फंड निकाल लेने की वर्तमान में लागू छूट समाप्त कर दी गई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड की सोमवार को हुई बैठक में पेंशन फंड की निकासी में यह अवरोध लगाने का फैसला नौकरी छूटने के तत्काल बाद ही पेंशन फंड निकालने की प्रवृत्ति पर ब्रेक लगाने के लिहाज से लिया गया। इस आकलन को इसका आधार बनाया गया कि कुछ महीनों के दौरान व्यक्ति की दूसरी या तीसरी नौकरी लगती है मगर तब तक वह अपने पेंशन फंड को निकाल चुका होता है।
पेंशन निकासी: 36 महीने का इंतजार

ऐसे में कई वर्ष बाद भी पेंशन के लिए अनिवार्य न्यूनतम 10 साल की सेवा अवधि पूरी नहीं हो पाती और इसलिए कर्मचारी पेंशन पाने का हकदार नहीं बन पाता। न्यासी बोर्ड के फैसले को वाजिब ठहराते हुए केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि ईपीएफ फंड की राशि इसके सदस्यों की है और इसी वजह से हमने न्यूनतम बैलेंस को छोड़ बाकी रकम जब चाहे निकालने की राहत दी है मगर सामाजिक सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। इसीलिए पेंशन फंड में कटी राशि को अब नौकरी छोड़ने के दो महीने बाद की बजाय 36 महीने बाद निकालने की छूट देने का फैसला किया है।
ईपीएफओ का नया नियम लागू

ईपीएफ खाते में 25 प्रतिशत की न्यूनतम बैलेंस की अनिवार्यता के संबंध में श्रम मंत्रालय का मानना है कि लंबी सेवा अवधि के बाद रिटायरमेंट पर एक सम्मानजक राशि इसके सदस्यों के आगे की जिंदगी के लिए अहम है। ईपीएफ और ईपीएस निकासी पैटर्न को लेकर श्रम मंत्रालय के आंकडे इसकी गवाही दे रहे हैं। ईपीएफ के अधिकांश सदस्यों के भविष्य निधि खाते में बचत राशि काफी कम है और मंत्रालय के वर्तमान आंकड़ों के अनुसार 50 प्रतिशत ईपीएफ सदस्यों के पास अंतिम निपटान के समय खाते में केवल 20,000 रुपए से कम राशि होती है।

75 प्रतिशत सदस्यों के पास अंतिम निपटान के वक्त 50,000 रुपए से कम रकम होती है। जबकि 87 प्रतिशत सदस्यों के पास अंतिम निपटान के समय ईपीएफ खाते में 1,00,000 रुपए से कम रकम होती है। वहीं पेंशन फंड से 75 प्रतिशत निकासी औसतन चार वर्षों के भीतर ही हो जाती है और जाहिर तौर पर 36 महीने की अवरोधक सीमा इसके मद्देनजर ही लगाई गई है। ईपीएफ फंड पर इसके सदस्यों की आर्थिक निर्भरता का आकलन साल 2024-25 के दौरान निकासी के लिए आए सात करोड आवेदनों से भी लगाया जा सकता है।
सदस्यों की सुरक्षा के लिए फैसला

श्रम मंत्रालय के मुताबिक इसमें से एक करोड़ आवेदन खारिज हुए और छह करोड़ आवेदनों को मंजूर करते हुए पीएफ खाते से रकम निकालने की अनुमति दी गई जिसमें 3.24 करोड़ आवेदन बीमारी के आधार पर किए गए थे।ईपीएफओ के पास वर्तमान में इसके सदस्यों का करीब 28 लाख करोड़ रूपए का फंड है जिसमें भविष्य निधि फंड 18 लाख करोड़, पेंशन फंड एक लाख करोड़ तथा बीमा फंड में करीब 70 हजार करोड़ रूपए हैं।
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