खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने दी सलाह। प्रतीकात्मक तस्वीर
जागरण संवाददाता, देहरादून। त्योहारों के मौसम में मिठाईयों की बिक्री तेजी से बढ़ जाती है। ऐसे में उपभोक्ताओं को इनके सुरक्षित उपभोग और संरक्षण को लेकर सतर्क रहना चाहिए। खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन के उपयुक्त मुख्यालय जीसी कंडवाल के अनुसार, प्रत्येक मिठाई की निर्माण तिथि और उसकी संरचना के अनुसार उपभोग अवधि तय होती है, जिसका ध्यान रखना आवश्यक है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
उन्होंने बताया कि कलाकंद की विभिन्न किस्में उसी दिन कक्ष तापमान पर उपभोग करनी चाहिए। दूध से बनी मिठाईयां जैसे मिल्क बादाम, रसगुल्ला, रसमलाई, रबड़ी, शाही टोस्ट, राजभोग, चमचम, मलाई रोल और रसकदम को निर्माण की तिथि से दो दिन के भीतर फ्रिज में रखकर उपभोग करें। खोया और लड्डू वर्ग की मिठाईयां जैसे मिल्क केक, पेड़ा, बर्फी, पिस्ता बर्फी, नारियल बर्फी, चाकलेट बर्फी, बूंदी लड्डू, नारियल लड्डू और तिल बुग्गा को चार दिन के भीतर खाना सुरक्षित माना गया है।
घी एवं ड्राई फ्रूट्स से बनी मिठाईयां जैसे काजू कतली, मूंग बर्फी, आटा लड्डू, बालूशाही, काजू अंजीर रोल, चंद्रकला, काजू रोल, काजू खजूर और बेसन बर्फी को सात दिन के अंदर उपभोग करें। वहीं, आटे व सूखे मेवे से बनी मिठाईयां जैसे बेसन लड्डू, खजूर बर्फी, करांची हलवा, सोहन हलवा, गजक और चिक्की निर्माण की तिथि से 30 दिन तक सुरक्षित रखी जा सकती हैं।
कंडवाल ने कहा कि मिठाईयों को साफ-सुथरी, ठंडी और ढकी हुई जगह पर रखना चाहिए। मिठाई के रंग, गंध और स्वाद में बदलाव दिखे तो उसका सेवन न करें। उन्होंने उपभोक्ताओं से अपील की कि मिठाई खरीदते समय निर्माण तिथि और विक्रेता की स्वच्छता पर भी ध्यान दें। |