DDCA की नाकामी और पैरवी से दिल्ली क्रिकेट बर्बाद, अंडर-19 के साथ अंडर-23 टीम की भी हालत खराब

cy520520 2025-10-18 02:35:22 views 1159
  

दिल्ली क्रिकेट का स्तर लगातार गिर रहा। फाइल फोटो



लोकेश शर्मा, नई दिल्ली। दिल्ली राज्य क्रिकेट संघ (डीडीसीए) अपनी पुरानी गलतियों से अब भी सबक नहीं ले रहा है। दिल्ली क्रिकेट की लगातार गिरती स्थिति को सुधारने के लिए न तो कोई ठोस कदम उठाए जा रहे हैं और न ही चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता दिखाई दे रही है। परिणामस्वरूप दिल्ली की जूनियर टीमें एक के बाद एक हार का सामना कर रही हैं।

वीनू मांकड ट्रॉफी अंडर-19 में शुक्रवार को राजस्थान के खिलाफ खेले गए मुकाबले में दिल्ली को एक और शर्मनाक हार मिली। लगातार चौथी हार के साथ दिल्ली न केवल टूर्नामेंट से बाहर हो चुकी है, बल्कि इस बार खिलाड़ियों के प्रदर्शन ने भी निराश किया है। टीम के कप्तान प्रणव पंत और वीरेंद्र सहवाग के बेटे आर्यवीर सहवाग के बल्ले से रन नहीं निकल रहे हैं। असम जैसी कमजोर टीम के खिलाफ शतक जड़ने के बाद प्रणव पंत बल्ले से टीम को जीत नहीं दिला सके है और न ही कप्तानी का दवाब झेल पा रहे है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
बल्लेबाजों की स्थिति खराब

टीम के बाकी बल्लेबाजों की स्थिति और भी चिंताजनक है। विकेटकीपर बल्लेबाज अभिराज गगन सिंह पूरे सीजन में एक भी अर्धशतक नहीं लगा सके हैं। उन्होंने पांच मैचों की चार पारियों में कुल 88 रन बनाए हैं। वहीं, शांतनु यादव ने दो मैचों में केवल सात रन बनाए। आर्यवीर सहवाग ने राजस्थान के खिलाफ 31 रन जोड़े और उनके पांच मैच में सिर्फ 126 रन निकले है। प्रियांश पांडे को डीडीसीए अधिकारियों के दबाव में लगातार मौके दिए जा रहे हैं।

वह एक बार फिर 29 रन बनाकर आउट हो गए। अतुल्य पांडे का प्रदर्शन भी निराशाजनक रहा है। दो मैचों में उन्होंने सिर्फ 12 रन बनाए हैं। चयन में कथित पक्षपात और कोटे के आधार पर खिलाए जा रहे खिलाड़ियों के कारण दिल्ली क्रिकेट का भविष्य अधर में दिखाई दे रहा है। डीडीसीए के दो पूर्व अधिकारियों का हस्तक्षेप टीम की गुणवत्ता को और भी कमजोर कर रहा है। खिलाड़ियों का चयन प्रतिभा के बजाय प्रभाव के आधार पर होना इस गिरावट की सबसे बड़ी वजह बन गया है।
अंडर-23 टीम की स्थिति भी गंभीर

सीके नायडू ट्रॉफी में दिल्ली अंडर-23 टीम का प्रदर्शन भी किसी से छिपा नहीं है। आंध्र प्रदेश के खिलाफ खेले जा रहे मुकाबले में दूसरे दिन तक दिल्ली के गेंदबाज बुरी तरह संघर्ष कर रहे हैं। 149 ओवर फेंके जाने के बाद भी टीम केवल चार ही विकेट निकाल सकी है। डीडीसीए डायरेक्टर मंजीत सिंह के बेटे यतीश सिंह ने 28 ओवर में 142 रन खर्च किए और एक भी विकेट हासिल नहीं कर सके।

दिविज मेहरा, हिमांशु चौहान, देव लाकरा और मनन भारद्वाज गेंद से कोई कमाल नहीं कर सके है। युगल सैनी को जरूर दो विकेट मिले, लेकिन तब तक मैच टीम के हाथ से निकल चुका था। बिना ट्रायल चुनी गई इस टीम में न तो संयम है, न एकजुटता। आधे खिलाड़ी एक-दूसरे से परिचित भी नहीं हैं। कप्तान को यह तक समझ नहीं आ रहा कि गेंद किस गेंदबाज को कब सौंपनी है।

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