खजाना स्वरूप बांटे जा रहे हैं 6.50 लाख सिक्के, पांच दिन के लिए खुले काशीपुराधीश्वरी के पट

LHC0088 2025-10-18 18:08:33 views 997
  

आंखें बंद किए मां के ध्यान में लीन, अपनी बारी आने के इंतजार में परिसर गुंजाते रहे।



जागरण संवाददाता, वाराणसी। ‘अन्नपूर्णे सदा पूर्णे शंकरप्राणवल्लभे, ज्ञानवैराग्यसिद्धयर्थं भिक्षां देहि च पार्वती...’ जैसे कातर मंत्रों के साथ काशीपुराधीश्वरी मां अन्नपूर्णा के दरबार में धनतेरस पर लंबी कतार थी। देश भर से आए श्रद्धालु हाथ जोड़े,

  

अपार जनसमूह, गुत्थमगुत्था होते आंगन में लगी अस्थायी सीढ़ी से प्रथम तल स्थित कक्ष में किसी तरह पहुंचते और मां अन्नपूर्णा की विलक्षण स्वर्ण प्रतिमा के समक्ष पहुंचते ही पूरी थकान भूल जाते रहे। मां के साथ ही उनके सामने याचक मुद्रा में झोली फैलाए खड़े काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ, भूमि देवी व महालक्ष्मी का दर्शन पाकर अघाते रहे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

हाथ जोड़ मां से सुख-समृद्धि व कल्याण की कामना करते और लावा व सिक्का रूप में अन्न-धन का खजाना पाकर निहाल हो जाते रहे। भोर में मंदिर खुलने से लेकर रात तक मइया ने दोनों हाथों से खजाना लुटाया। पहले काशीपुराधिपती की झोली भरी फिर भक्तों पर मंगल आशीष बरसाया।

कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी शनिवार को धनतेरस पर्व पर मां अन्नपूर्णा दरबार की छटा अत्यंत मनोहर हो चली थी। वार्षिक परंपरानुसार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी धनतेरस पर्व पर ब्र्रह्म मुहूर्त में मंदिर के महंत शंकर पुरी ने सबसे पहले अर्चक सत्यनारायण क़े आचार्यत्व में पांच ब्राह्मणों द्वारा किए जा रहे मंत्रोच्चार के बीच सविधि देव विग्रहों का अभिषेक-पूजन किया। खजाना संग आरती उतारी

। सर्वप्रथम याचक मुद्रा में देवी के समक्ष खड़े काशीपुराधिपति बाबा भोले शंकर का कमंडल और झोली भरी गई। इसके बाद भाेर में 4:50 बजे मंदिर के पट भक्तों के लिए खोल दिए गए। पट खुलते ही 24 घंटा पूर्व से ही बैरीकेटिंग के भीतर कतारों में लगे भक्तों में आस्था व उत्साह की लहर दौड़ गई।

मां के जयकारे संग ‘नम: पार्वतीपतये हर-हर महादेव’ से पूरा क्षेत्र गूंज उठा। मंदिर खुलने के साथ ही जो एक किलोमीटर लंबी भक्तों की कतार लगी तो फिर देर रात 11:30 बजे शयन आरती तक बनी रही। गोदौलिया से बांसफाटक होते हुए ज्ञानवापी तक पूरा क्षेत्र दर्शनार्थियों से पटा रहा। भक्त दर्शन-पूजन के साथ ही मां अन्नपूर्णा का कपाट खुला तो भक्त दर्शन संग खजाना पाकर निहाल हो गए।

खजाना स्वरूप बांटे गए 6.50 लाख सिक्के
भाेर से आरंभ दर्शन-पूजन व खजाना वितरण रात 11.30 बजे तक अनवरत। इस दौरान लाखों सिक्के खजाना स्वरूप बांटे गए। अगले दिन 20 अक्टूबर से दो 22 अक्टूबर तक नित्य मंदिर के पट भोर में 4:50 बजे खुलेंगे। दोपहर में 12 से 12.30 बजे तक भोग-आरती के लिए पट बंद होंगे और फिर रात 11.30 बजे तक दर्शन होगा। दो नवंबर को अन्नकूट की झांकी सजेगी। रात में महाआरती के बाद साल भर के लिए पट पुनः बंद हो जाएंगे।

मां के दर्शन से नहीं होती धन्य धान्य की कमी
मंदिर के महंत शंकर पुरी ने बताया कि जो भी भक्त देवी की स्वर्णमयी प्रतिमा के दर्शन के बाद इस खजाने को अपने तिजोरी में रखता है, पूरे वर्ष उस पर मां अन्नपूर्णा की कृपा बनी रहती है और उसके घर अन्न,धन धान्य की कभी कमी नहीं होती।

देश भर से आए थे भक्त
मां अन्नपूर्णा की विलक्षण स्वर्ण प्रतिमा के दर्शन को धनतेरस के दिन पूरे देश के अनेक राज्यों से भक्तों का समूह पहुंचा था। इनमें साधु-संत, गृहस्थ, बटुक-ब्रह्मचारी, राजनेता, शासन व प्रशासन के अधिकारी, न्यायाधीश आदि सभी सम्मिलित थे।

आस्‍था का पर्व

धनतेरस पर श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में भी मां अन्नपूर्णा ने खजाना लुटाया। परिसर स्थित मां के मंदिर में भी श्रद्धालुओं की कतार लगी रही। मां के साथ ही भक्तों ने बाबा विश्वनाथ का भी दर्शन-पूजन किया।शनिवार भोर मंगला आरती के उपरांत माता अन्नपूर्णा विग्रह की आरती की गई। इसके बाद श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद स्वरूप खजाना वितरण शुरू हुआ।  

बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने माता अन्नपूर्णा का दर्शन-पूजन कर अपनी श्रद्धा निवेदित की। यहां मां की बड़ी प्रतिमा के साथ भक्तोें ने कनाडा से लाई गईं मां की छोटी प्रतिमा के भी अनुपम शृंगार की झांकी को शीश नवाया और पूरे वर्ष के लिए धन-धान्य, सुख-समृद्धि, कल्याण का आशीर्वाद पाया। बाबा विश्वनाथ दरबार में श्रद्धालुओं को खजाना वितरण का कार्य अनवरत अन्नकूट पर्व दो नवंबर तक समारोह पूर्वक चलेगा।
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