जागरण संवाददाता, समस्तीपुर। Bihar Assembly Election 2025: गत विधानसभा चुनाव में जिले की दस विधानसभा सीट पर पक्ष और विपक्ष दोनों की आधी-आधी हिस्सेदारी रही। तीन सीट पर जदयू और दो सीट पर भाजपा ने बाजी मारी थी।
पांच सीट पर महागठबंधन का कब्जा था। इस बार भी पिछले विधानसभा की तरह जदयू सात सीटों पर और भाजपा दो सीटों पर प्रत्याशी दे चुकी है। एक सीट पर रालोमो मैदान में है।
इसी तरह से महागठबंधन से राजद छह, कांग्रेस और सीपीआइएम एक और माले दो सीटों पर मैदान में हैं। अब जबकि सभी महारथी मैदान में उतर चुके हैं।
सभी अपने-अपने दांव-पेंच से सामने वाले पहलवान को पटखनी देने की तैयारी में लगे हैं लेकिन, बड़ा सवाल यह कि इस बार फिर से नतीजा आधे-आधे की हिस्सेदारी का होगा या तस्वीर बदल जाएगी?
यह तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही पूरी तरह से स्पष्ट होगी। गत चुनाव से इस दफा जंग थोड़ी अलग होगी। अबकी बार इन दोनों के बीच एक तीसरा पहलवान जनसुराज भी मैदान में हैं।
जनसुराज भले ही नए टीम बनकर मैदान मारने को बेताब हो लेकिन, उसके अधिकांश खिलाड़ी पुराने और राजनीति के मंझे हुए हैं। जनसुराज भी सभी सीटों पर अपने प्रत्याशियों को उतारा चुका है। ये सभी सीटों का गुणा-गुणा-गणित बिगाड़ सकते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सभी समीकरण साधने में जुटा जनसुराज
जनसुराज पार्टी भले ही पहली बार चुनावी मैदान में हैं लेकिन, पार्टी ने जीत की पूरी रणनीति बनाई है। वह किसी भी समीकरण में स्वयं को पीछे नहीं रख रही। उनके प्रत्याशियों को लेकर चर्चाएं भी खूब हो रही।
इसमें एक से बढ़कर एक चेहरे शामिल है। इसमें पूर्व विधायक से लेकर पंचायत जनप्रतिनिधि, समाजसेवी, चिकित्सक और व्यवसायी शामिल हैं।
ये चेहरे अपनी-अपनी सीट पर मतदाताओं का ध्यान अपनी ओर खींच रहे। लोग इन प्रत्याशियों को लेकर राय विचार भी कर रहे।
मतदाता अपना-अपना हिसाब लगाकर यह देख रहे कि क्या जनसुराज मैदान फतह कर पाएंगी। इससे यह संभावना प्रबल है कि जनसुराज सीटों का गुणा-गणित बिगाड़ सकती हैं।
दलों ने पुराने चेहरों पर जताया भरोसा
जीत और हार वाले अधिकांश जगहों पर पुराने चेहरों का ही बोलबाला है। जदयू ने जहां वारिसनगर और विभूतिपुर में चेहरा बदला है। वहीं राजद ने हसनपुर और कांग्रेस ने रोसड़ा सीट पर नए चेहरे को मौका दिया है हालांकि, जदयू और राजद के बदले चेहरे का ताल्लुक उन्हीं घरानों से है जो गत चुनाव में मैदान में रहे।
कांग्रेस ने एक नए चेहरे को रोसड़ा सुरक्षित सीट पर मौका दिया है। उक्त प्रत्याशी का राजनीतिक सफर महज कुछ ही महीनों का है। लोकसभा चुनाव के समय आईपीएस की नौकरी छोड़कर मैदान में कूदे हैं।
हालांकि, वह भी राजनीतिक घराने से ही ताल्लुक रखते हैं। दिवंगत पिता के विरासत को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने नौकरी छोड़ राजनीति का रुख अख्तियार किया है।
अब यह देखना होगा कि आखिरकार जनता इस चुनाव में पक्ष और विपक्ष पर कितना भरोसा करती है या फिर, तीसरे दल को भी प्रतिनिधित्व का मौका मिल सकता है। |