पाकिस्तान की दोमुंही नीति और पाखंड फिर उजागर।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आतंकियों को पालने-पोसने वाला पाकिस्तान आतंकवाद के मुद्दे पर फिर बेनकाब हुआ है। उसने संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में खुद इस बात को माना है कि वह भारत में हमले के लिए आतंकियों को भेजता है।
पाकिस्तान की यह स्वीकारोक्ति उस समय सामने आई, जब उसने यूएन में आतंकवाद को जायज ठहराने और भारत में हमले के लिए भेजे गए आतंकियों को स्वतंत्रता सेनानी बताने का प्रयास किया। इस पर भारत ने आतंकवाद पर उसके दोहरे चरित्र को बेनकाब किया और कहा कि यह उसकी दोमुंही नीति और पाखंड है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पाकिस्तान के यूएन मिशन के काउंसलर मोहम्मद जवाद अजमल ने बुधवार को कहा, \“देशों को आतंकवाद और विदेशी कब्जे के खिलाफ लोगों के वैध प्रतिरोध के बीच अंतर समझना चाहिए।\“ उन्होंने यह झूठा दावा किया, \“अंतरराष्ट्रीय कानून में और संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव 46/51 में इसका समर्थन किया गया है।\“
भारत ने पाकिस्तान को दिया करारा जवाब
पाकिस्तानी काउंसलर ने जिस प्रस्ताव के आधार पर यह झूठा दावा किया, वह 1991 में पारित किया गया था। इसमें स्वतंत्रता आंदोलनों का उल्लेख है, लेकिन उसमें आतंकवाद को जायज नहीं ठहराया गया है। पाकिस्तानी प्रतिनिधि के इस बेबुनियाद दावों पर भारत के संयुक्त राष्ट्र मिशन के प्रथम सचिव रघु पुरी ने करारा जवाब दिया।
उन्होंने कहा, \“आतंकवाद मानवता का मूल रूप से उल्लंघन करने वाले सबसे गंभीर अपराधों में से एक है। यह कट्टरता, हिंसा और असहिष्णुता और भय का सबसे बुरा रूप है।\“
पाकिस्तान की दोमुंही नीति और पाखंड फिर उजागर
पुरी ने कहा, \“पाकिस्तान की दोमुंही नीति और पाखंड फिर उजागर हुआ है। यह देश वैश्विक आतंकवाद का केंद्र है, जिसका संबंध दुनिया भर में हुए कई आतंकी हमलों से रहा है।\“ पाकिस्तानी काउंसलर ने यूएन महासभा की तीसरी समिति की बैठक के दौरान झूठे दावों के आधार पर आतंकवाद को जायज ठहराने का प्रयास किया। यह समिति मानवीय मामलों से जुड़ी है।
(समाचार एजेंसी आइएएनएस के इनपुट के साथ)
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