Dev Uthani Ekadashi 2025: इस दिन समाप्त होगा चातुर्मास, फिर शुरू होंगे शुभ मांगलिक कार्य

LHC0088 2025-10-31 00:07:01 views 691
  

समाप्त होगा चातुर्मास, फिर शुरू होंगे शुभ मांगलिक कार्य



जागरण संवाददाता, पटना। कार्तिक शुक्ल एकादशी में एक नवंबर शंबीवार को श्रीहरि विष्णु चार मास बाद निद्रा से जागृत होंगे। इसी दिन श्रद्धालु प्रबोधनी-देवोत्थान एकादशी व तुलसी विवाह भी मनाएंगे। भगवान नारायण के जागृत होने से चतुर्मास व्रत का भी समापन होगा। इसके साथ ही हिंदू धर्मावलंबियों के सभी मांगलिक कार्य भी आरंभ हो जाएंगे। चातुर्मास में सृष्टि के संचालन का प्रभार भगवान शिव होते हैं।

ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा ने कहा कि कार्तिक शुक्ल एकादशी में एक नवंबर देवोत्थान एकादशी को शतभिषा नक्षत्र के साथ तीन शुभ योग ध्रुव योग, रवियोग व त्रिपुष्कर योग में भगवान विष्णु लोक हित हेतु जागृत होंगे। शनिवार को एकादशी का व्रत और पूजन साधु-संत, वैष्णव एवं गृहस्थजन एक साथ करेंगे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

नारद पुराण के अनुसार, कार्तिक शुक्ल एकादशी के गोधूलि बेला में शंख, डमरू, मृदंग, झाल और घंटी बजाकर भगवान नारायण को निद्रा से जगाया जाएगा। विष्णु पूजा के बाद श्रद्धालु अकाल मृत्यु के नाश व सदा लक्ष्मी के वास के निमित चरणामृत ग्रहण करेंगे।

पंडित झा ने बताया कि एकादशी का व्रत करने से धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान व भगवान विष्णु के पूजन का विशेष महत्त्व है। इस व्रत को करने से जन्म-जन्मांतर के पाप क्षीण हो जाते हैं तथा जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है।

कार्तिक में स्नान करने वाले श्रद्धालु एकादशी तिथि को भगवान विष्णु के रूप शालिग्राम व तुलसी का विवाह संपन्न कराएंगे। पूर्ण रीति-रिवाज से तुलसी वृक्ष से शालिग्राम के फेरे एक सुन्दर मंडप के नीचे होगा। विवाह में कई गीत, भजन व तुलसी नामाष्टक सहित विष्णुसहस्त्रनाम के पाठ भी किया जाएगा।
अक्षय नवमी पर श्रीहरि के साथ आंवले के पेड़ की हुई पूजा

कार्तिक शुक्ल नवमी में गुरुवार को श्रवण नक्षत्र व धनिष्ठा नक्षत्र के युग्म संयोग में गुरुवार को आंवले के पेड़ की पूजा कर अक्षय नवमी का पर्व मनाया। नवमी तिथि पर पूरे दिन होने से दिनभर पूजा-अर्चना होती रही। श्रद्धालुओं ने पूजा के बाद अन्न, वस्त्र, फल आदि का दान कर अन्न, जल ग्रहण किया। आंवला के पेड़ में श्रीहरि व देवी लक्ष्मी का वास होने से इसकी महत्ता बढ़ गई है।

अक्षत, रोली, पुष्प, धुप-दीपक से पूजन कर मौली लपेटते हुए पेड़ की परिक्रमा की गई। श्रद्धालुओं ने मंदिरों में आंवला पूजन के बाद ब्राह्मण, पंडित, पुरोहित से पौराणिक कथा का श्रवण कर उनको यथोचित दक्षिणा देकर चरण स्पर्श कर उनका आशीष पाया। कई घरों में इस अवसर पर सत्यनारायण प्रभु की पूजा भी की गई।

आचार्य राकेश झा ने बताया कार्तिक शुक्ल नवमी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक आंवला के जड़ में देवी-देवताओं का वास होता है। इसीलिए नवमी से पूर्णिमा तक संध्या काल में इसके जड़ में घी का दीपक जलाने से सुख-समृद्धि, शांति, उन्नति, आरोग्यता तथा सकारात्मकता में वृद्धि तथा कष्टों से मुक्ति मिलती है।
like (0)
LHC0088Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments
LHC0088

He hasn't introduced himself yet.

410K

Threads

0

Posts

1310K

Credits

Forum Veteran

Credits
134207

Get jili slot free 100 online Gambling and more profitable chanced casino at www.deltin51.com, Of particular note is that we've prepared 100 free Lucky Slots games for new users, giving you the opportunity to experience the thrill of the slot machine world and feel a certain level of risk. Click on the content at the top of the forum to play these free slot games; they're simple and easy to learn, ensuring you can quickly get started and fully enjoy the fun. We also have a free roulette wheel with a value of 200 for inviting friends.