102 वर्षीय साहित्यकार पद्मश्री रामदरश मिश्र का दिल्ली में निधन, साहित्यजगत में शोक की लहर

LHC0088 2025-11-1 04:07:16 views 1096
  

साहित्यकार पद्मश्री रामदरश मिश्र। फाइल फोटो



डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पद्मश्री से सम्मानित 102 वर्षीय वरिष्ठ साहित्यकार रामदरश मिश्र का शुक्रवार की रात दिल्ली में निधन हो गया। वे बढ़ती आयु के साथ आने वाली शारीरिक दिक्कतों का सामना कर रहे थे। उनके इस निधन से साहित्यजगत में शोक की लहर व्याप्त हो गई है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

15 अगस्त, 1924 को गोरखपुर के डुमरी गाँव में रामचन्द्र मिश्र और कंवलपाती मिश्र के तीन पुत्रों में सबसे छोटे पुत्र रामदरश मिश्र का जन्म हुआ था। माता-पिता की ममतामयी छाया में उनका बचपन संघर्षपूर्ण बीता था। प्रारंभिक शिक्षा गांव के प्राइमरी-मिडिल स्कूल में की। उस स्कूल से हिंदी और उर्दू के साथ मिडिल उत्तीर्ण कर \“विशेष योग्यता\“ की पढ़ाई के लिए गांव से दस मील दूर ढरसी गांव में गए। वहां पंडित रामगोपाल शुक्ल ‘विशेष योग्यता’ का अध्यापन करते थे, जिसे उत्तीर्ण करने के पश्चात् मिश्र जी ने बरहज से विशारद और साहित्य रत्न की परीक्षाएं उत्तीर्ण कीं।

इसके बाद अंग्रेजी की पढ़ाई से भी जुड़े तथा 1947 में मैट्रिक के लिए वाराणसी आए और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। वहां से इंटरमीडियट, बीए, एमए और पीएचडी का शोधकार्य संपन्न किया। 1956 में आप गुजरात के एमएस यूनिवर्सिटी बड़ौदा सहित एकाधिक महाविद्यालय सेंट जेवियर महाविद्यालय (अहमदाबाद), एसबी जॉर्ज महाविद्यालय (नवसारी) में अध्यापन से जुड़े रहे।

वर्ष 1964 में दिल्ली विश्वविद्यालय से जुड़ गए तथा दिल्ली के स्थायी निवासी बन गए। 1990 में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पद से सेवानिवृत्ति के बाद तो आपकी लेखनी और परवान चढ़ी तथा रचना सतत आपका पाथेय बनती गई।
रचनाएं...

काव्य : पथ के गीत, बैरंग - बेनाम चिट्ठियाँ, पक गई है धूप, कंधे पर सूरज, दिन एक नदी बन गया, मेरे प्रिय गीत, बाजार को निकले हैं लोग, जुलूस कहाँ जा रहा है ?, रामदरश मिश्र की प्रतिनिधि कविताएँ, आग कुछ नहीं बोलती, शब्द सेतु, बारिश में भीगते बच्चे, हँसी ओठ पर आँखें नम हैं (गजल संग्रह), बनाया है मैंने ये घर धीरे- धीरे (गजल संग्रह)।

उपन्यास : पानी के प्राचीर, जल टूटता हुआ, सूखता हुआ तालाब, अपने लोग, रात का सफ़र, आकाश की छत, आदिम राग, बिना दरवाजे का मकान, दूसरा घर, थकी हुई सुबह, बीस बरस, परिवार, बचपन भास्कर का, एक बचपन यह भी, एक था कलाकार

कहानी संग्रह : खाली घर, एक वह, दिनचर्या, सर्पदंश, बसंत का एक दिन, इकसठ कहानियाँ, मेरी प्रिय कहानियाँ, अपने लिए, अतीत का विष, चर्चित कहानियाँ, श्रेष्ठ आंचलिक कहानियाँ, आज का दिन भी, एक कहानी लगातार, फिर कब आएंगे?, अकेला मकान, विदूषक, दिन के साथ, मेरी कथा यात्रा, विरासत, इस बार होली में, चुनी हुई कहानियाँ, संकलित कहानियाँ, लोकप्रिय कहानियाँ, 21 कहानियाँ, नेता की चादर, स्वप्नभंग, आखिरी चिट्ठी, कुछ यादें बचपन की (बाल साहित्य), इस बार होली में,जिन्दगी लौट आई थी, एक भटकी हुई मुलाकात, सपनों भरे दिन, अभिशप्त लोक, अकेली वह

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