Dev Diwali 2025 : हंस राजयोग में पर्व पर अद्भुत संयोग, कब मनाई जाएगी, क्या है दीपदान का महत्व? बता रहे ज्योतिषाचार्य

deltin33 2025-11-3 22:37:29 views 776
  

Dev Diwali 2025 इस बार हंस नामक राजयोग में देव दीपावली 5 नवंबर को मनाई जाएगी।



जागरण संवाददाता, प्रयागराज। Dev Diwali 2025 देव दीपावली पर इस बार ग्रह-नक्षत्रों का अद्भुत संयोग बन रहा है, जिसमें दीपदान करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। प्रभु राम सेवा संस्थान के महामंत्री ज्योतिषाचार्य आचार्य अमित बहोरे के अनुसार कार्तिक शुक्लपक्ष की पूर्णिमा पांच नवंबर को “देव दीपावली” का पर्व मनाया जाएगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
रात्रि में भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा करें

अंधकार पर प्रकाश की विजय और बुराई पर अच्छाई के जीत का यह उत्सव हमारे जीवन में सकारत्मकता भर देता है । इस बार प्रदोषकाल देव दीपावली मुहूर्त शाम 5.15 से 7.50 तक रहेगा। बताया कि देव दीपावली पर मंगल और शुक्र अपनी स्वग्रही राशि वृश्चिक राशि में रहेंगे। वहीं देवगुरु बृहस्पति अपनी उच्च की राशि कर्क में बैठ कर हंस नामक राजयोग का निर्माण करेंगे। रात्रि में भगवान शिव और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इसलिए लोग इस दिन बेल पत्र (शिव के लिए) और तुलसी पत्र (विष्णु के लिए) अर्पित करते हैं।

  
घरों व मंदिरों में जलाएं दीपक

Dev Diwali 2025 ज्योतिषाचार्य आचार्य अमित बहोरे ने बताया कि कार्तिक स्वामी (भगवान विष्णु) के दर्शन इस दिन विशेष शुभ माने जाते हैं। कई देवालयों में जो ऊंचे पत्थर के दीपस्तंभ (दीपमाला) होते हैं, उन्हें भी जलाया जाता है। इसी दीपोत्सव को “त्रिपुर पाजळणे” अर्थात “त्रिपुर दहन उत्सव” कहा जाता है।
देव दीपावली से जुड़ी पौराणिक कथा

Dev Diwali 2025 तारकासुर नामक राक्षस के तीन पुत्र ताराक्ष, कमलाक्ष और विद्युन्माली थे। मयासुर ने उनके लिए तीन नगर (त्रिपुर) बनाए और यह चेतावनी दी कि वे देवताओं को कष्ट न दें। हालांकि अंततः वे तीनों अहंकारी हो गए और देवताओं को सताने लगे। देवताओं की प्रार्थना पर भगवान शिव ने पाशुपत अस्त्र से उन तीनों नगरों का संहार किया और त्रिपुरासुरों का नाश कर दिया। इसी कारण इस दिन को “त्रिपुर संहार” का प्रतीक माना जाता है। यह अच्छाई की बुराई पर विजय का उत्सव है, इसीलिए इस दिन दीप जलाने की परंपरा आरंभ हुई।
देव दीपावली पर्व का स्वरूप

ज्योतिषाचार्य आचार्य अमित बहोरे ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा की रात प्रत्येक मंदिर, विशेषतः शिव मंदिरों में असंख्य दीप जलाए जाते हैं। काशी और भारत वर्ष के अनेकों शहरों में मंदिर ऐसे प्रकाशित हो उठते हैं, मानो स्वयं देवता दिवाली मना रहे हों। इसी कारण इस दिन को “देवताओं की दिवाली ” या “देव दिवाली” कहा जाता है। शास्त्रीय संदर्भ त्रिपुर संहार की कथा लिंग पुराण (अध्याय 70–72), पद्म पुराण (सृष्टि खंड 59), मत्स्य पुराण (अध्याय 130–137), शिव पुराण (रुद्र संहिता 4/5) तथा महाभारत (द्रोण पर्व 202) में वर्णित है। इस दिन घरों और मंदिरों में दीपोत्सव मनाया जाता है।

यह भी पढ़ें- प्रयागराज में वक्फ संपत्तियों का गलत उपयोग करने वाले माफिया की श्रेणी में आएंगे, कई लोगों का है अवैध कब्जा

यह भी पढ़ें- प्रयागराज के किसानों को राहत, बेमौसम बारिश से बर्बाद फसल का मिलेगा मुआवजा, ब्लाक- तहसील व बीज गोदाम में दर्ज कराएं शिकायत
like (0)
deltin33administrator

Post a reply

loginto write comments

Explore interesting content

deltin33

He hasn't introduced himself yet.

1010K

Threads

0

Posts

3210K

Credits

administrator

Credits
322742

Get jili slot free 100 online Gambling and more profitable chanced casino at www.deltin51.com, Of particular note is that we've prepared 100 free Lucky Slots games for new users, giving you the opportunity to experience the thrill of the slot machine world and feel a certain level of risk. Click on the content at the top of the forum to play these free slot games; they're simple and easy to learn, ensuring you can quickly get started and fully enjoy the fun. We also have a free roulette wheel with a value of 200 for inviting friends.