सौर कचरे का व्यापार बना देगा मालामाल, वर्ष 2047 तक 3,700 करोड़ रुपये का बाजार बन सकता है रीसाइक्लिंग क्षेत्र

Chikheang 2025-11-7 03:37:49 views 643
  

प्रतीकात्मक तस्वीर।



राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। खराब या प्रयोग से बाहर हो चुके सौर पैनलों से सामग्रियों को निकालना और उन्हें दोबारा इस्तेमाल करने का व्यापार वर्ष 2047 में 3,700 करोड़ रुपये का बाजार बन सकता है। यह जानकारी काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) के दो नए स्वतंत्र अध्ययनों से सामने आई है, जिन्हें गुरुवार को जारी किया गया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इनमें बताया गया है कि यदि यह संभावित क्षमता हकीकत बनती है तो सौर कचरे से सिलिकॉन, तांबा, एल्यूमीनियम और चांदी जैसी मूल्यवान सामग्रियों को दोबारा निकाला जा सकता है और इससे 2047 तक क्षेत्र की विनिर्माण जरूरतों का 38 प्रतिशत हिस्सा पूरा किया जा सकता है।

साथ में नई सामग्री की जगह पर पुनर्चक्रित सामग्री के उपयोग से 37 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जन भी बचाया जा सकता है। भारत का सोलर माॅड्यूल रीसाइक्लिंग मार्केट अभी बहुत प्रारंभिक चरण में है, जिसमें कुछ कमर्शियल रीसाइक्लर्स काम कर रहे हैं।

सीईईडब्ल्यू के दोनों अध्ययन एक घरेलू सोलर रीसाइक्लिंग इकोसिस्टम बनाने के लिए भारत की पहली व्यापक रूपरेखा उपलब्ध कराते हैं, जो स्वच्छ ऊर्जा और विनिर्माण में आत्मनिर्भरता, दोनों का ही समर्थन करता है।

अनुमान है कि 2047 तक, भारत की स्थापित सौर क्षमता से 11 मिलियन टन से अधिक सौर कचरा निकल सकता है, जिसका अधिकांश हिस्सा क्रिस्टलीन-सिलिकॉन मॉड्यूल से होगा। इसके प्रबंधन के लिए देश भर में लगभग 300 रीसाइक्लिंग प्लांट्स और 4,200 करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत होगी।

सीईईडब्ल्यूए के फेलो ऋषभ जैन ने कहा, \“भारत की सौर क्रांति एक नए हरित औद्योगिक अवसर को ताकत दे सकती है। अपनी स्वच्छ ऊर्जा प्रणालियों में सर्कुलैरिटी (चक्रीयता) को शामिल करके, हम महत्वपूर्ण खनिजों को दोबारा हासिल कर सकते हैं, आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत बना सकते हैं, और हरित नौकरियां सृजित कर सकते हैं। साथ में, संभावित कचरे को स्थायी मूल्य में बदल सकते हैं। इस सर्कुलर इकोनामी का निर्माण भारत के लचीले और जिम्मेदारीपूर्ण विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।\“

सीईईडब्ल्यू अध्ययन यह भी रेखांकित करता है कि सौर पैनलों की रीसाइक्लिंग की एक औपचारिक व्यवस्था आज भी अव्यवहार्य है, क्योंकि रीसाइक्लर्स को प्रति टन 10,000-12,000 रुपये का नुकसान हो रहा है।

बड़े परिचालन खर्चों में बेकार या प्रयोग से बाहर हो चुके सोलर मॉड्यूल को दोबारा खरीदना है, जो कुल खर्च का लगभग दो-तिहाई (लगभग 600 रुपये प्रति पैनल) होता है। इसके बाद प्रसंस्करण (प्रोसेसिंग), संग्रहण (कलेक्शन) और निपटान (डिस्पोजल ) की लागत आती है।

सौर पैनल रीसाइक्लिंग को लाभदायक बनाने के लिए, खराब माड्यूल की कीमत 330 रुपये से कम होनी चाहिए, या रीसाइक्लर्स को ईपीआर सर्टिफिकेट ट्रेडिंग, टैक्स राहत और सिलिकॉन व चांदी की कुशल पुनर्प्राप्ति के लिए शोध एवं विकास निवेश के जरिए मदद दी जानी चाहिए।

यह भी पढ़ें- आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज के छात्रों का इनोवेशन, अब डस्टबिन खुद जाएगा कचरा उठाने
like (0)
ChikheangForum Veteran

Post a reply

loginto write comments
Chikheang

He hasn't introduced himself yet.

410K

Threads

0

Posts

1310K

Credits

Forum Veteran

Credits
137937

Get jili slot free 100 online Gambling and more profitable chanced casino at www.deltin51.com, Of particular note is that we've prepared 100 free Lucky Slots games for new users, giving you the opportunity to experience the thrill of the slot machine world and feel a certain level of risk. Click on the content at the top of the forum to play these free slot games; they're simple and easy to learn, ensuring you can quickly get started and fully enjoy the fun. We also have a free roulette wheel with a value of 200 for inviting friends.