कॉन्ट्रासेप्शन से जुड़े इन 5 मिथकों पर आप भी करते हैं यकीन? अगर हां, तो डॉक्टर से जानें पूरी सच्चाई

deltin33 2025-9-30 22:41:34 views 896
  आप भी करते हैं इन मिथकों पर यकीन? (Picture Courtesy: Freepik)





लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। कई लोगों में आज भी गर्भनिरोध (Contraception) और फर्टिलिटी से जुड़े कई भ्रम प्रचलित हैं। ये मिथक न केवल महिलाओं और पुरुषों के मन में डर पैदा करते हैं, बल्कि गैर जरूरी तनाव और गलत फैसले लेने की वजह भी बनते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इसलिए कॉन्ट्रासेप्शन से जुड़े इन मिथकों (Myths About Contraception) को दूर करना जरूरी है। इससे जुड़ी गलतफहमियों को दूर करने के लिए हमने डॉ. क्षितिज मुर्डिया (निदेशक, इन्दिरा आईवीएफ हॉस्पिटल लिमिटेड)। आइए जानते हैं ऐसे 5 आम मिथक और उनके पीछे की सच्चाई।


मिथक 1- गर्भनिरोध से इनफर्टिलिटी हो जाती है

कई लोग मानते हैं कि गर्भनिरोधक गोलियां, आईयूडी या इन्जेक्शन लेने से महिलाएं स्थायी रूप से मां नहीं बन सकतीं। लेकिन ऐसा नहीं है। ये सभी उपाय अस्थायी होते हैं और केवल प्रेग्नेंसी को रोकते हैं। जैसे ही इन्हें बंद किया जाता है, महिला की फर्टिलिटी सामान्य रूप से लौट आती है। उदाहरण के लिए, गर्भनिरोधक गोलियां छोड़ने के 1-2 महीने के भीतर ओव्यूलेशन फिर से शुरू हो जाता है।


मिथक 2- लंबे समय तक गर्भनिरोध लेने से फर्टिलिटी में देरी होती है

बहुत से लोग सोचते हैं कि अगर लंबे समय तक गर्भनिरोध लिया जाए तो गर्भधारण करने की क्षमता देर से वापस आती है। लेकिन यह भी सच नहीं है। इन कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्क के इस्तेमाल की अवधि का फर्टिलिटी पर कोई खास असर नहीं पड़ता। चाहे आपने सालों तक गर्भनिरोध लिया हो या कुछ महीनों तक, ज्यादातर मामलों में फर्टिलिटी जल्दी लौट आती है। केवल डीएमपीए इंजेक्शन में देरी हो सकती है, जिसमें 6 से 12 महीने तक लग सकते हैं।


मिथक 3- हार्मोनल कॉन्ट्रासेप्टिव रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स को नुकसान पहुंचाता है

कई महिलाओं को डर होता है कि हार्मोनल पिल्स या आईयूडी उनके ओव्यूलेशन या यूटेरस को नुकसान पहुंचा देंगे। लेकिन गर्भनिरोधक केवल अस्थायी रूप से ओवुलेशन रोकते हैं या यूटेरस की परत और सर्वाइकल म्यूकस को बदलते हैं। इनसे रिप्रोडक्टिव ऑर्गन्स को कोई स्थायी नुकसान नहीं होता।
मिथक 4- कॉन्ट्रासेप्शन से ब्रेक लेना जरूरी है

कुछ लोग मानते हैं कि गर्भनिरोध का लगातार इस्तेमाल नुकसानदेह है और बीच-बीच में ब्रेक लेना चाहिए। लेकिन ऐसा बिल्कुल भी जरूरी नहीं है। नियमित और सही तरीके से कॉन्ट्रासेप्शन का इस्तेमाल करना सुरक्षित है और यह रिप्रोडक्टिव हेल्थ को भी सपोर्ट करता है।


मिथक 5- हार्मोन-फ्री या “नेचुरल” तरीके असरदार नहीं होते

कई लोग मानते हैं कि केवल हार्मोनल कॉन्ट्रासेप्टिव ही कारगर होते हैं और बाकी तरीके बेअसर हैं। लेकिन कॉपर आईयूडी, कंडोम, डायाफ्राम या फर्टिलिटी अवेयरनेस मेथड्स भी प्रभावी हो सकते हैं। कॉपर आईयूडी की सफलता दर 99% से भी ज्यादा है और यह 10 साल तक काम करता है। कंडोम भी काफी प्रभावी हैं और एसटीडी से बचाव में भी मदद करते हैं।



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