आत्मचिंतन व परमात्मा को याद करने से जीवन में सुख और शांति मिलती है

LHC0088 2025-11-17 12:36:32 views 400
  

सबको शुभकामना दो और सबसे शुभकामना लो



ब्रह्मा कुमारी शिवानी (प्रेरक वक्ता)। प्रत्येक व्यक्ति में कोई न कोई श्रेष्ठ गुण या विशेषता होती है। कहते हैं, मनुष्य जीवन दुर्लभ है और यह भाग्य से मिलता है। वस्तुत: हमारा भाग्य अपने पुरुषार्थ व प्रभुकृपा के मेल से बनता है। अच्छा कर्म करने और उससे अच्छे फल पाने को कृपा कहते हैं। यह भी सच है कि हमारे अच्छे कर्मों के पीछे हमारे अच्छे संकल्प, सोच-विचार, वृत्ति, दृष्टिकोण, वाणी एवं विश्वास है। फिर हमारे अच्छे कर्म और व्यवहार के अनुरूप ही हमारी प्रवृत्ति, आदत, हमारे चरित्र, संस्कार, संसार एवं भाग्य भी अच्छे बन जाते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इसलिए हम भगवान को कभी दोष नहीं दे सकते हैं। उन्हें भी दोष नहीं दे सकते हैं, जिनके बारे में हमें लगता है कि उन्होंने हमारा भाग्य बिगाड़ा है। क्योंकि, हमारे कर्मों से ही हमारा भाग्य बनता व बिगड़ता है। उसके उत्तरदायी हम स्वयं है। क्योंकि भगवान को तो हमेशा भाग्यविधाता कहते हैं, उन्हें कभी भाग्यभंजक नहीं कहते हैं। ईश्वर तो इंसान को सदा अच्छे कर्म करने की प्रेरणा, अच्छी शिक्षा व संस्कार देते हैं और अच्छा भाग्य बनाने के लिए मार्गदर्शन करते हैं।

भगवान को हमेशा दुख, कष्ट, रोग, शोक निवारक, दुखहर्ता, सुखकर्ता कहते हैं। वह हमें सदा सुख शांति पाने और दुख अशांति से दूर रहने की राह दिखाते हैं। ईश्वर प्रत्येक कल्पांत में हमें गीता ज्ञान व राजयोग की शिक्षा देकर हमारे परम शिक्षक के रूप में हमारे दैवी गुणों को विकसित करते हैं। फिर परम सद्गुरु व परम दाता-वरदाता के रूप में वह अपने ईश्वरीय वरदानों से हमें मालामाल करते हैं और हमें भी अन्य लोगों के लिए सुख-शांति-समृद्धि के दाता-वरदाता बना देते हैं।

ईश्वर हमें ज्ञान देते हैं कि हम सब मनुष्य एक परमपिता परमात्मा की संतान है। हम सब भाई-भाई हैं, हम एक विश्व परिवार के सदस्य हैं। हम अपने मूल घर यानी परमधाम के मूल निवासी हैं, जहां से हम अपनी भूमिका निभाने सृष्टि रूपी रंगमंच पर उतरते हैं। निर्धारित भूमिकाओं में हम अलग दिखते हैं, लेकिन मूल रूप में हम सब एक आत्मा है, चेतन हैं और दिव्य ज्योति बिंदु स्वरूप हैं।

आत्मा-परमात्मा ज्ञान के आधार पर किया गया आत्मचिंतन व परमात्मा के स्मरण से हमें सुख शांति, प्रेम व आनंद की अनुभूति होती है। जबकि देहाभिमान, सांसारिक चिंता से हमारे अंदर दुख, द्वेष, द्वंद्व, भय, अशांति, तनाव तथा विकार उत्पन्न होते हैं, जो हमें दीर्घकाल तक दुखी, रोगी, अशांत, परेशान व शक्तिहीन कर देते हैं।

अपने जीवन, समाज व संसार को मूल्यनिष्ठ, शक्तिशाली, सुखमय व समृद्धिशाली बनाना है तो हमें सदा आत्माभिमानी होकर परमात्मा की शरण में रहना होगा, हर कर्म को परमात्मा के लिए करना होगा और अगर हमारे अंदर कोई भी मनोविकार, अवगुण, व्यसन का बंधन है तो उसे मन-बुद्धि से परमात्मा को सौंप देना है। तब हम सभी प्रकार के विकारों के बोझ से मुक्त हो सकते हैं और दूसरों को भी दुर्भावना, दुर्गुण व दुर्गति से मुक्त कर सकते हैं।

हम कई बार अपने मन के बोझ को ईश्वर के प्रति अर्पण करने चाहते हैं, पर दृढ़ इच्छाशक्ति की कमी के कारण कर नहीं पाते हैं। कहते हैं कोई भी पुरानी आदत, स्वभाव या संस्कार छोड़ने पर ही छूटता है, पर हम उसे छोड़ते नहीं हैं। व्यसन या कुसंगति को छोड़ने का साधन है - हमारी दृढ़ संकल्प वा दृढ़ इच्छा शक्ति। कई बार हम दृढ़ संकल्प करते तो हैं, लेकिन किए हुए दृढ़ संकल्प को दोहराते नहीं हैं।

दोहराने के साथ हमें उस भावना को महसूस भी करना है और ईश्वरीय ज्ञान व ध्यान की नियमित अभ्यास एवं परमात्म शक्ति की अनुभव द्वारा हम व्यर्थ बातें, बुरी आदतें, सांसारिक बोझ वा कर्म बंधनों से मुक्त हो सकते हैं। चाहे हमारे में किसी भी प्रकार की कर्मेन्द्रियों के सम्बन्ध का बंधन है, आदत का बंधन है, स्वभाव का बंधन है, पुराने संस्कार का बंधन है, लेकिन हमें अपना सर्व संबंध एक परमात्मा के साथ जोड़ना है और सर्व मायावी बंधनों से सदा मुक्त रहना है।

सदा व्यर्थ बोझ व बंधनमुक्त रहने के लिए सहज मंत्र है: सबको शुभकामना दो और सबसे शुभकामना लो। सदा प्रसन्न रहना है और प्रसन्नता बांटना है। कुछ भी हो जाए, कोई कुछ भी दे, लेकिन मुझे शुभकामना देनी है, लेनी है। अगर शुभकामना देंगे-लेंगे तो इसमें सब शक्तियां और गुण स्वत: आ जाएंगे। एक ही लक्ष्य रखो, एक दिन अभ्यास करके देखो, फिर सात दिन करके देखो। निष्पक्ष बनकर सबको दुआ देनी और लेनी है। आप योगयुक्त स्वयं हो जाएंगे।

अगर कोई बंधन खींचता है, तो कारण सोचो। कारण के साथ निवारण भी सोचो। निवारण के रूप में हमारे भीतर आत्मिक गुणों और आंतरिक शक्तियों रूपी दिव्य वरदान उपस्थित है। उनके उपयोग से हर समस्या का समाधान मिलेगा। तभी हम उमंग-उत्साह से विश्वसेवा कर पाएंगे तथा अपनी सारी कमियों और अपने विकारों को ईश्वर को समर्पित कर पाएंगे। ईश्वर हमारे नकारात्मकता रूपी हलाहल को अपने में समा लेंगे और ज्ञान, गुण और शक्ति रूपी अमृत प्रदान करेंगे।

यह भी पढ़ें- इन 2 राशियों के लिए लकी होता है पुखराज, पहनने से आर्थिक तंगी होती है दूर और शुरू हो जाते हैं अच्छे दिन

यह भी पढ़ें- Benefits Of Red Coral Stone: इन 2 राशियों के लिए लकी होता है मूंगा, पहनते ही बदल जाती है तकदीर
like (0)
LHC0088Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments
LHC0088

He hasn't introduced himself yet.

410K

Threads

0

Posts

1310K

Credits

Forum Veteran

Credits
134680

Get jili slot free 100 online Gambling and more profitable chanced casino at www.deltin51.com, Of particular note is that we've prepared 100 free Lucky Slots games for new users, giving you the opportunity to experience the thrill of the slot machine world and feel a certain level of risk. Click on the content at the top of the forum to play these free slot games; they're simple and easy to learn, ensuring you can quickly get started and fully enjoy the fun. We also have a free roulette wheel with a value of 200 for inviting friends.