जिस औलाद को कलेजे की टुकड़े की तरह पाला, उसी ने कर दिया बेघर; भावुक कर देगी इन बुजुर्गों की कहानी_deltin51

cy520520 2025-10-2 03:06:26 views 1242
  धनबाद में बुजुर्ग वृद्धाश्रम में रहने को मजबूर। फोटो जागरण





मोहन गोप, धनबाद। कहते हैं भगवान के बाद दूसरा रूप मां बाप का होता है। मां बाप हमें जन्म ही नहीं देते, बल्कि पाल-पोस कर काबिल बनते हैं, ताकि बच्चे उनके बुढ़ापे का सहारा बने। उनके बुरे समय में उनके साथ खड़े रहे, लेकिन भाग दौड़ और दिखावे की जिंदगी इस रिश्ते को भी शर्मसार कर रहे हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

कई ऐसे बुजुर्ग हैं जिनके भरे पूरे परिवार होने के बाद भी अपनी जीवन वृद्ध आश्रम में गुजर रहे हैं। लालमणि वृद्ध आश्रम में जानते हैं कई ऐसे ही बुजुर्ग की कहानी।




सावित्री के पांच बेटे, लेकिन बन गई बेसहारा

कतरास की रहने वाली 86 वर्षीय सावित्री देवी के पांच बेटे हैं। पांचो बेटे अपने पैर पर खड़े हैं और घर परिवार चला रहे हैं। सावित्री देवी बताती है जीवन भर जिसके लिए मर मिटे, पेट काट कर पढ़ाया लिखाया, आज उन बेटे ने ही उन्हें अलग कर दिया, मां का कर्ज भूल गए, मजबूरी में वृद्धा आश्रम में जाकर रहना पड़ रहा है।




पुष्पा रानी के चार बेटे भी कोई काम के नहीं

जामाडोबा की रहने वाली 70 वर्षीय पुष्पा रानी बच्चों के नाम सुनकर उदास हो जाती है। कहती है बच्चों के लालन पालन में सारी उम्र गुजार दी। लगा कि बुढ़ापे में सभी शहर बनेंगे। पति की मौत के बाद अचानक बच्चे के व्यवहार में बदलाव आ गया। कोई भी बेटा मुझे रखने को तैयार नहीं हुआ। आज किसी तरीके से वृद्धा आश्रम में जीवन गुजर रही हूं। यहां पर अपनापन मिला।




रिश्तेदार भी नहीं बने सहारा

हीरापुर के रहने वाले 65 वर्षीय अजीत लंबे समय से यहां रह रहे हैं। बताते हैं एकमात्र बेटे का निधन हो गया। पत्नी भी चल बसी। जिस रिश्तेदार के लिए हमेशा मदद के लिए तैयार रहता था, अंतिम समय में अब वह भी साथ नहीं दे रहे हैं। सबने अपना अपना रंग दिखा दिया है।jyotibaphoole-nagar-general,amroha news, jija sali, jija insists on marrying sali, family dispute over marriage,Mandi Dhanaura arrest,Sambhal crime news,forced marriage attempt,illegal marriage insistence,Uttar Pradesh news   


सरकारी अस्पतालों में भी निर्देश का पालन नहीं

सुप्रीम कोर्ट और स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देश के बावजूद धनबाद के सरकारी अस्पताल में बुजुर्ग लोगों के लिए बेहतर चिकित्सा की व्यवस्था नहीं है। शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में बुजुर्गों के लिए वार्ड बनाया गया है, लेकिन कई बुजुर्ग व्यवस्था से काफी नाराज हैं।



यही स्थिति लावारिस वार्ड की भी है। हर दिन कोई ना कोई अपने बुजुर्ग माता-पिता को अस्पताल छोड़ जा रहा है। 24 सितंबर 2024 को यहां फुलेश्वर भुइया को उनके घर वाले ने लावारिस अवस्था में छोड़कर फरार हो गए।

तब से अस्पताल के आसपास भटक कर फुलेश्वर किसी तरीके से रह रहा है। अब अस्पताल प्रबंधन की नजर पड़ी है और भर्ती करने की तैयारी कर रहा है।


धनबाद में 3.50 लाख बुजुर्ग

जिला स्वास्थ्य विभाग की माने तो धनबाद में लगभग 3.50 लाख बुजुर्गों की संख्या है। इसमें सबसे ज्यादा संख्या 60 वर्ष से लेकर 80 वर्ष के बीच की है। अब स्वास्थ्य विभाग की ओर से ऐसे बुजुर्गों के लिए मानसिक स्वास्थ्य सेवा शुरू की जा रही है।



बताया जाता है अकेलेपन के कारण बुजुर्गों में डिप्रेशन की स्थिति सबसे ज्यादा हो रही है। कोरोना संक्रमण काल के बाद सबसे ज्यादा प्रभावित बुजुर्ग भी हुए हैं।



यह एक सामाजिक बुराई तेजी से बढ़ रही है। इसके लिए सोचना होगा जिस मां-बाप ने पढ़ा लिखा कर काबिल बनाया। आज उन्हें त्याग दिया जा रहा है। इसके लिए सामूहिक प्रयास जरूरी है। कि हम अपने बुजुर्गों और माता-पिता का सम्मान करें। अस्पताल में इसके लिए काउंसलिंग की व्यवस्था है। -डॉ. सीके सुमन, वरीय अस्पताल प्रबंधक, एसएनएमएमसीएच।




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