Gandhi Jayanti: महात्मा गांधी का इस शहर से था गहरा नाता, 1915 से 1948 के बीच 80 बार आए; 720 दिन रहे_deltin51

Chikheang 2025-10-2 07:35:56 views 1279
  गांधी की अंतिम सांस में बसी रही दिल्ली, राजधानी से था गहरा नाता। जागरण





जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली का तो बापू से जुड़ाव खास है। वह वर्ष 1915 से 1948 के बीच 80 बार दिल्ली आए और 720 दिन शहर में रहे।

अपने जीवन के अंतिम 144 दिन बिड़ला हाउस (अब गांधी स्मृति) में बिताए। उनसे जुड़ाव राजघाट, गांधी स्मृति (बिड़ला हाउस), महर्षि वाल्मीकि मंदिर (बापू निवास), कस्तूरबा कुटीर (किंग्सवे कैम्प) है।

सेंट स्टीफन कालेज, करोल बाग स्थित आयुर्वेदिक-यूनानी काॅलेज समेत अन्य स्थान रहे। दिल्ली के कई ऐतिहासिक स्थल उनकी जीवन यात्रा, आंदोलनों व अंतिम दिनों से जुड़े हैं।kanpur-city-politics,Kanpur News,Kanpur Latest News,Kanpur News in Hindi,Kanpur Samachar,कानपुर समाचार, एनकाउंटर, इरफान सोलंकी, Encounter, Irfan Solanki, Samajwadi Party, Uttar Pradesh Politics, Kanpur news, Haji Mushtaq Solanki,Uttar Pradesh news   



गांधी जी ने यहां अनेक बार निवास किया, बैठकें की। सभाओं को संबोधित किया और अंतत: दिल्ली में ही अंतिम सांस ली।

  • राजघाट: यमुना नदी के किनारे स्थित राजघाट गांधी जी का समाधि स्थल है। यहीं 30 जनवरी 1948 को उनका अंतिम संस्कार हुआ था। इस हरे भरे क्षेत्र में आज भी गांधी की स्मृतियां महसूस की जा सकती है। कोई भी राष्ट्राध्यज आता है तो पहले वह गांधी को नमन करने यहां आते हैं।
  • गांधी स्मृति (बिड़ला हाउस): यह स्थल उनके अंतिम 144 दिनों का साक्षी है। वर्ष 1947 के अंत से लेकर अंतिम सांस तक वह यहीं रहे। अब बिड़ला हाउस को गांधी स्मृति के रूप में संरक्षित कर दिया गया है। यहां गांधी जी से जुड़ी कई वस्तुओं को उसी तरह से सहेजकर रखा गया है। नाथूराम गोडसे ने जहां उनपर गोली चलाई थी। उस स्थान को स्मारक के तौर पर विकसित किया गया है। यहां खादी से जुड़े उत्पादों की बिक्री भी होती है।
  • गांधी संग्रहालय: राजघाट के सामने स्थित यह संग्रहालय उनके जीवन और विचारों को दर्शाने वाली वस्तुओं, चित्रों व स्मृतियों का संकलन है। यहां उनके भाषणों का संकलन भी मौजूद है।
  • महर्षि वाल्मीकि मंदिर (बापू निवास): मंदिर मार्ग पर स्थित यह स्थल गांधी जी को काफी प्रिय रहा। छूआछूत को मिटाने, अस्पृश्यता को खत्म करने और समाज में समानता लाने के प्रयासों को यहीं से बल दिया। वे वर्ष 1946-1947 के दौरान यहां रुके थे, यहीं बच्चों को पढ़ाया और सामाजिक समरसता के प्रयोग किए।
  • कस्तूरबा कुटीर, किंग्सवे कैम्प: यहां गांधी जी अपनी पत्नी कस्तूरबा और पुत्र देवदास के साथ कुछ समय के लिए रहे है। अब भी यह स्थान काफी विस्तृत भूभाग में फैला है, जिसमें छात्रावास भी है।

दिल्ली से दिया धार्मिक व सामाजिक सद्भाव का संदेश

  • वर्ष 1947-48 में विभाजन के समय दिल्ली में भड़के दंगों को शांत करने, जन-सौहार्द व भय-निर्मूलन के लिए अगुवाई की। इसी तरह, वाल्मीकि बस्ती के गरीब व छूआछूत के शिकार बच्चों को शिक्षा दी, उन्हें स्वच्छता, समानता और भाईचारे का पाठ पढ़ाया। सार्वजनिक आंदोलनों और बैठकों में हिस्सा लेकर मार्गदर्शन दिया। बापू दिल्ली यात्रा के दिनों में सेंट स्टीफन काॅलेज, करोलबाग स्थित आयुर्वेदिक-यूनानी काॅलेज समेत अनेक काॅलेज, संस्थानों के उद्घाटन और कार्यक्रमों में प्रमुखता से सम्मिलित रहे।
  • ब्रिटिश शासन के दौरान भी बार-बार यहां आकर भारतीय नेताओं, ब्रिटिश अधिकारियों और आम लोगों से संवाद-संपर्क बना रखा।


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