LHC0088 • 2025-12-3 02:37:43 • views 831
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह । फाइल फोटो
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू बाबरी मस्जिद को सार्वजनिक धन से बनाना चाहते थे, लेकिन सरदार वल्लभभाई पटेल ने इस योजना को सफल नहीं होने दिया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
उन्होंने यह भी दावा किया कि नेहरू ने पटेल की मृत्यु के बाद उनके लिए स्मारक बनाने के लिए आम लोगों द्वारा एकत्रित धन का उपयोग कुएं और सड़कों के निर्माण के लिए करने का सुझाव दिया था।
यह बेतुका था क्योंकि कुएं और सड़कों का निर्माण सरकार की जिम्मेदारी है। वडोदरा के पास साधली गांव में सरदार पटेल की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित \“एकता मार्च\“ के दौरान राजनाथ ¨सह ने पटेल को एक सच्चे उदारवादी और धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति के रूप में सराहा, जिन्होंने कभी भी तुष्टीकरण में विश्वास नहीं किया।
पटेल ने नेहरू की योजना विफल की
रक्षा मंत्री ने कहा- \“\“पंडित जवाहरलाल नेहरू अयोध्या में बाबरी मस्जिद को सार्वजनिक धन से बनाना चाहते थे। यदि किसी ने इस प्रस्ताव का विरोध किया तो वह सरदार पटेल ही थे।\“\“ जब नेहरू ने गुजरात में सोमनाथ मंदिर को पुनस्र्थापित करने का मुद्दा उठाया तो पटेल ने स्पष्ट किया कि मंदिर एक अलग मामला है क्योंकि इसके सौंदर्यीकरण के लिए 30 लाख रुपये आम लोगों द्वारा दान किए गए थे।
राजनाथ ने कहा- \“एक ट्रस्ट स्थापित किया गया था और सोमनाथ मंदिर के कार्य पर सरकार के धन का एक भी पैसा खर्च नहीं किया गया। इसी तरह, सरकार ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए एक भी रुपया नहीं दिया। इसका पूरा खर्च देश के लोगों ने उठाया। इसे असली धर्मनिरपेक्षता कहा जाता है।\“
राजनाथ ने कहा कि सरदार पटेल प्रधानमंत्री बन सकते थे, लेकिन उन्होंने कभी भी किसी पद की लालसा नहीं की। उन्होंने नेहरू के साथ काम किया क्योंकि उन्होंने महात्मा गांधी से वादा किया था। राजनाथ ¨सह ने यह भी खारिज किया कि पटेल प्रधानमंत्री बनने के लिए बहुत बूढ़े थे।
उन्होंने कहा \“यह पूरी तरह से गलत है। मोरारजी देसाई 80 वर्ष से अधिक उम्र के थे। यदि वह भारत के प्रधानमंत्री बन सकते हैं, तो सरदार पटेल जोकि 80 के नीचे थे, क्यों नहीं बन सकते थे?\“\“ उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक शक्तियां पटेल की विरासत को मिटाना चाहती हैं, लेकिन जब तक भाजपा सत्ता में है, वे सफल नहीं होंगे।
राम मंदिर निर्माण में जनता का योगदान
यह पीएम नरेन्द्र मोदी थे जिन्होंने अहम भूमिका निभाते हुए पटेल को इतिहास में एक चमकते सितारे के रूप में पुनस्र्थापित किया। उन्होंने कहा- \“नेहरू जी ने खुद को भारत रत्न से सम्मानित किया, लेकिन सरदार पटेल को उस समय भारत रत्न क्यों नहीं दिया गया?\“
उन्होंने कहा कि कश्मीर मुद्दे पर पटेल की मांगों को अगर समय पर सुना गया होता तो भारत को कश्मीर समस्या का सामना नहीं करना पड़ता। उन्होंने कहा कि भारत तेजी से दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक और सामरिक शक्ति बनने की ओर बढ़ रहा है।
शांति की भाषा नहीं समझने वालों को भारत देता है करारा जवाब, आपरेशन सिंदूर सुबूतरक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि आपरेशन सिंदूर इस बात का सुबूत है कि भारत उन लोगों को करारा जवाब देता है जो शांति और सद्भावना की भाषा नहीं समझते।
उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई की तुलना सरदार वल्लभभाई पटेल की मजबूत इच्छाशक्ति और नेतृत्व से की। उन्होंने कहा कि पटेल हमेशा संवाद के माध्यम से समस्याओं को हल करने में विश्वास करते थे।
हालांकि, जब सभी रास्ते बंद हो गए तो उन्होंने कठोर ²ष्टिकोण अपनाने में संकोच नहीं किया। जब हैदराबाद के विलय की आवश्यकता पड़ी तो पटेल ने वह रुख अपनाया। यदि उन्होंने कठोर रुख नहीं अपनाया होता तो शायद हैदराबाद भारत का हिस्सा नहीं होता। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने भी इस मूल्य को आपरेशन सिंदूर के माध्यम से बनाए रखा है।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ) |
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