अब आसान होगा स्तन कैंसर के फैलाव को रोकना, शोध से मिली बड़ी सफलता

LHC0088 2025-12-4 01:10:10 views 783
  

शोध करने वाले वैज्ञानिकों की टीम बायें से श्रीनिवास अभिषेक, विभगाध्यक्ष प्रो. संजीव शुक्ला, डा. पारिक काकानी और डा. श्रुति धामधरे।



अंजली राय, भोपाल। स्तन कैंसर के प्रसार को समझने और रोकने की दिशा में इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आइसर) भोपाल के वैज्ञानिकों ने एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। अब तक यह माना जाता था कि कैंसर का फैलाव कुछ प्रोटीनों के स्तर बदलने से होता है, लेकिन नया शोध बताता है कि शरीर में आक्सीजन की कमी यानी हाइपोक्सिया के दौरान कैंसर कोशिकाएं अचानक अधिक आक्रामक हो जाती हैं। आइसर की टीम ने पाया कि इस स्थिति में पीआरएमटी5 नामक प्रोटीन सक्रिय होकर कैंसर कोशिकाओं को फैलने की ताकत देता है और इसे सक्रिय करने का काम सीटीसीएफ नामक प्रोटीन करता है। इस प्रक्रिया के कारण कोशिकाएं अपने व्यवहार और संरचना में तेजी से बदलाव लाती हैं और शरीर में यह तेजी से फैलने लगती हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जब वैज्ञानिकों ने पीआरएमटी5 को जीएसके 591 दवा के जरिए रोका तो कैंसर कोशिकाओं की फैलने की क्षमता लगभग खत्म हो गई। यह खोज भविष्य में स्तन कैंसर के इलाज को नई दिशा दे सकती है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

ऐसे बढ़ती हैं कोशिकाएं
आइसर के बायोलाजिकल साइंसेज के विभागाध्यक्ष डा. संजीव शुक्ला और श्रीनिवास अभिषेक की टीम ने यह बताया कि कम आक्सीजन में ट्यूमर खुद को अधिक घातक रूप में ढाल लेता है। शोध में सामने आया कि इस दौरान सीटीसीएफ सीधे पीआरएमटी5 जीन से जुड़कर उसकी गतिविधि बढ़ा देता है। इसके बाद पीआरएमटी5 डीएनए की पैकेजिंग बदल देता है, जिससे टीसीएफ3 जीन की रीडिंग का तरीका बदल जाता है और एक ऐसा प्रोटीन संस्करण बन देता है, जो कैंसर कोशिकाओं को अधिक गतिशील और फैलने में सक्षम बनाता है। यह पूरी प्रक्रिया उपकला–मेसेंकाइमल संक्रमण (ईएमटी) को बढ़ावा देती है, जिसकी वजह से कैंसर कोशिकाएं अधिक आक्रामक रूप ले लेती हैं। शोध के सबसे महत्वपूर्ण परिणामों में यह भी सामने आया कि जब पीआरएमटी5 को जीएसके 591 दवा से रोका गया तो कैंसर कोशिकाओं की फैलने की क्षमता लगभग समाप्त हो गई। इससे संकेत मिलता है कि पीआरएमटी5 भविष्य में एक संभावित चिकित्सीय लक्ष्य बन सकता है।

ट्यूमर की चाल समझी, अब प्रसार रोकना संभव
शोध में पाया गया कि पीआरएमटी5 जैसे प्रोटीन कैंसर कोशिकाओं को फैलने की क्षमता देते हैं। यदि इस प्रक्रिया को समय रहते बाधित कर दिया जाए, तो स्तन कैंसर के प्रसार को काफी हद तक रोका जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझ भविष्य में ऐसे लक्षित उपचार विकसित करने का मार्ग खोलती है।इसे जानवरों पर भी शोध कर देखा जाएगा।

देश में 11 प्रतिशत मौत स्तन कैंसर से
भारत में कैंसर से होने वाली कुल मौतों में करीब 11 प्रतिशत मौतें केवल स्तन कैंसर से होती हैं, जो हर वर्ष लगभग एक लाख मरीजों की जान लेती है। ऐसे में आइसर का यह शोध अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इससे उन जैविक प्रक्रियाओं को समझने में मदद मिलती है, जो कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि और प्रसार को नियंत्रित करती है। शोध बताता है कि यदि सही समय पर कैंसर की अवस्था की पहचान कर पीआरएमटी5 जैसे प्रमुख प्रोटीनों की गतिविधि रोकी जाए तो शरीर में कैंसर कोशिकाओं के फैलाव को काफी हद तक धीमा या पूरी तरह रोका जा सकता है। यह भविष्य के लक्षित उपचारों के रास्ते खोलता है।

यह शोध कैंसर मरीजों के लिए महत्वपूर्ण है।भविष्य में स्तन कैंसर के इलाज को नई दिशा दे सकती है।
डा. संजीव शुक्ला, विभागाध्यक्ष,बायोलाजिकल साइंसेज,आइसर
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