ऑपरेशन के लिए बेहोश की गई बच्ची के निकले प्राण, पैर टूटने के बाद PMCH में कराया गया था भर्ती

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मृतक अवंतिका। फाइल फोटो  



जागरण संवाददाता, पटना। पीएमसीएच के ऑपरेशन थिएटर में तीन वर्ष की एक बच्ची को बेहोश किया गया, पर वह होश में ही नहीं आई। उसकी मौत ने व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। मशीनों की अनुपलब्धता से लेकर अनदेखी तक की बात की जा रही है। स्वजन ने गंभीर आरोप लगाए हैं। अस्पताल प्रबंधन ने जांच समिति का गठन किया है, जो 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट देगी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

अवंतिका राय की मौत रविवार को हो गई थी, जिसके बाद स्वजन ने अस्पताल की व्यवस्था, ओटी सिस्टम और एनेस्थीसिया प्रक्रिया को भी कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने इस मामले को हाईकोर्ट ले जाने की बात कही है। साथ ही मानवाधिकार आयोग एवं अन्य न्यायिक मंचों पर भी अपील की है।
चार सदस्यीय टीम का गठन

अस्पताल अधीक्षक डॉ. आइएस ठाकुर ने बताया कि घटना का संज्ञान लेते हुए जांच के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया है। इसमें हड्डी रोग, शिशु रोग, एनेस्थिसिया एवं सर्जरी विभाग के वरिष्ठ चिकित्सकों को शामिल किया गया है। उन्हें 15 दिनों में रिपोर्ट देने को कहा गया है, ताकि स्वास्थ्य विभाग आगे की कार्रवाई कर सके।

इधर, बच्ची की मौत ने एक बार फिर पीएमसीएच में ओटी व्यवस्था, एनेस्थीसिया प्रोटोकाल और निगरानी तंत्र को सुधारने की आवश्यकता को रेखांकित किया है। जांच रिपोर्ट से ही यह स्पष्ट होगा कि उपचार प्रक्रिया में कोई त्रुटि या लापरवाही हुई या नहीं। रिपोर्ट के आधार पर अधीक्षक विभागीय कार्रवाई के लिए पत्र लिखेंगे।
क्या है पूरा मामला?

गोपालगंज जिले के कटिया गांव निवासी शैलेश राय की बेटी अवंतिका 27 नवंबर को खेलने के दौरान ट्रैक्टर से गिर गई थी। इससे उसके दोनों पैरों में फ्रैक्चर हो गया। स्थानीय उपचार के बाद उसे उसी रात पीएमसीएच की इमरजेंसी में भर्ती कराया गया।

जांच के बाद दो दिसंबर को हड्डी रोग विभाग में ऑपरेशन तय हुआ। डाक्टरों की ओर से तैयार ईएमआर रिपोर्ट के अनुसार, सर्जरी से पहले बच्ची को काडल ब्लाक (क्षेत्रीय एनेस्थीसिया) दिया गया। इसके बाद टीवा (टोटल इंट्रावेनस एनेस्थीसिया) तथा प्रोपोफोल, केटामाइन और ब्यूपिवाकेन जैसी दवाएं दी गईं।

स्वजन का आरोप है कि यह \“डबल डोज\“ था, इसे बच्ची सहन नहीं कर सकी। हालांकि, चिकित्सकीय जांच में ही स्पष्ट होगा कि लगाए गए आरोप कारण हैं या नहीं। रिपोर्ट में दर्ज है कि एनेस्थीसिया देने के 30-45 मिनट बाद बच्ची की तबीयत बिगड़ी।

ऑपरेशन के दौरान दिल की धड़कन रुकने पर सीपीआर और वेंटिलेशन दिया गया, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद छह दिसंबर को 11:45 बजे उसे मृत घोषित कर दिया गया।
ओटी व्यवस्था पर सवाल

पीएमसीएच के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया कि जिस ओटी-पांच में यह सर्जरी हो रही थी, वहां दो आपरेशन थिएटर होने के बावजूद बेहोशी वाली केवल एक ही आधुनिक मशीन है। दूसरी ओर मैनुअल एनेस्थीसिया का उपयोग करना पड़ता है, इसमें डोज नियंत्रण चुनौतीपूर्ण होता है, खासकर बच्चों में जोखिम अधिक बढ़ जाता है।

मशीन पुरानी होने की शिकायतें पहले भी उठ चुकी हैं। वहीं, स्वजन का आरोप है कि आपरेशन सीनियर डाक्टर की बजाय जूनियर डाक्टरों की निगरानी में चल रहा था और बच्ची की हालत बिगड़ने पर समय पर हस्तक्षेप नहीं किया गया।

वहीं, यूनिट इंचार्ज प्रो. डॉ. महेश प्रसाद ने इस तरह की सर्जरी होने से ही इंकार किया। आर्थोपेडिक्स विभागाध्यक्ष डा. राकेश चौधरी ने बताया कि डॉ. महेश की यूनिट में हुई यह घटना दुखद है, मरीज हित में सभी कार्य किए गए।

सीनियर डॉक्टर के आपरेशन में नहीं होने के प्रश्न पर बताया कि यह नहीं हो सकता है कि सीनियर डाक्टर ओटी में नहीं हों। ओटी पांच में एक साथ तीन टेबुल चलता है। हो सकता है कि दूसरे केस में डॉक्टर हों।
स्वजन ने क्या कहा?

मृत बच्ची के नाना और हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता रामसंदेश राय ने कहा कि अवंतिका पूरी तरह स्वस्थ थी। डाक्टरों की लापरवाही से उसकी जान गई। वे मामले को हाईकोर्ट ले जा रहे हैं।

अब मानवाधिकार आयोग और न्यायालय में अपील दायर कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करेंगे। पिता शैलेश राय ने कहा कि अवंतिका काफी मन्नतों के बाद हुई थी। हमारी खुशियां छीन गईं।
अस्पताल प्रशासन की प्रतिक्रिया

अस्पताल अधीक्षक डॉ. आइएस ठाकुर ने कहा कि जांच टीम को सर्जरी प्रक्रिया, एनेस्थीसिया प्रोटोकाल और ओटी व्यवस्थाओं की विस्तृत समीक्षा करने के निर्देश दिए गए हैं। रिपोर्ट के आधार पर ही स्वास्थ्य विभाग आवश्यक कार्रवाई करेगा। उन्होंने कहा कि स्वजन को निष्पक्ष जांच का भरोसा दिया गया है।
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