UP में ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही यूरिया की आपूर्ति, किसान परेशान

cy520520 3 day(s) ago views 224
  

तस्वीर का इस्तेमाल प्रतीकात्मक प्रस्तुतीकरण के लिए किया गया है। जागरण



जागरण संवाददातता, खेसरहा। रबी की फसल में सिंचाई के बाद यूरिया की मांग तेज हो गई है, लेकिन सहकारी समितियों पर आपूर्ति ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रही है। किसान सुबह से लाइन में खड़े हो रहे हैं, मगर अधिकतर को खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। सुहई कनपुरवा समिति और खेसरहा समिति की स्थिति किसानों की पीड़ा को साफ बयां कर रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

सुहई कनपुरवा समिति क्षेत्र में करीब पांच हजार बीघा भूमि पर खेती होती है, जहां एक बीघा पर एक बोरी यूरिया खपत के हिसाब से कम से कम पांच हजार बोरी की जरूरत है। लेकिन शुक्रवार को केवल 500 बोरी का वितरण हुआ और अब तक कुल पांच किश्तों में सिर्फ 2000 बोरी ही आई है।

इससे सैकड़ों किसान खाद न मिलने की वजह से बेहद परेशान हैं। नगवा, बजवा, महुआ, बतौरिया, बरनवार, कड़जहर सहित दस गांवों के किसान यूरिया के लिए समिति पर निर्भर हैं। किसानों सत्यप्रकाश पांडेय, श्यामसुंदर, सचिन ने बताया कि खेतों की सिंचाई पूरी हो चुकी है, अब यूरिया डालने का सही समय है, लेकिन खाद उपलब्ध न होने से फसल जोखिम में पड़ गई है।

खेसरहा समिति का भी हाल बदतर रहा। यहां 500 बोरी आने की सूचना पर सुबह से किसान पहुंच गए, पर भीड़ देखकर सचिव गोदाम बंद कर चले गए। बकैनिहा निवासी बबुने और विरेंद्र पांडेय ने कहा कि सुबह से खड़े थे, पर वितरण नहीं हुआ। गेहूं की सिंचाई जोरों पर है, ऐसे में यूरिया न मिलने से भारी नुकसान का डर है।

इधर, विभाग का कहना है कि कमी जहां है, वहां आपूर्ति भेजी जा रही है। एआर कोआपरेटिव प्रकाश बहादुर गौतम का कहना है कि समितियों को उनकी खपत के अनुरूप यूरिया उपलब्ध कराया जाएगा।

उर्वरक पर आजाद समाज पार्टी का धरना
यूरिया की समस्या पर आजाद समाज पार्टी ने गुरुवार को तहसील परिसर में धरना दिया और एसडीएम विवेकानंद मिश्रा को ज्ञापन सौंपा। जिलाध्यक्ष राजेंद्र भारती ने कहा कि सहकारी समितियों में पर्याप्त खाद होते हुए भी किसान परेशान हैं। कालाबाजारी चरम पर है और अनुचित वितरण के कारण किसान समय से यूरिया नहीं ले पा रहे।

इससे रबी की फसल प्रभावित होने लगी है। पार्टी ने मांग की कि समितियों में सदस्यों को उनकी जरूरत के अनुसार खाद मिले तथा नए सदस्य बनाए जाएं। निजी दुकानों पर हो रही कालाबाजारी को रोकने के लिए प्रशासन सख्त कार्रवाई करे। जिला प्रभारी शिवचंद्र भारती, शमीम अख्तर, केशव, अशरफुल, फूलचंद समेत कई लोग मौजूद रहे।

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सात माह से समिति पर ताला, किसान दर-दर भटक रहे

सहकारी विभाग की लापरवाही किसानों पर भारी पड़ रही है। महथा सहकारी समिति पर पिछले सात माह से ताला लटका है, जिससे यहां के किसान दूसरे समितियों से खाद मांगने को विवश हैं। किसान ओमप्रकाश मिश्र, राजेंद्र मौर्य, रामनरायन, जगन्नाथ शर्मा, विनोद शर्मा, चिनगुद यादव, राममिलन और छोटेलाल ने बताया कि बुआई के समय महंगे दामों पर खाद खरीदनी पड़ी और अब सिंचाई के बाद फिर यूरिया की जरूरत है, लेकिन कहीं से उपलब्ध नहीं हो रहा। दूसरी समितियों के सचिव यह कहकर लौटा देते हैं कि अपने ही समिति पर जाओ, यहां नहीं मिलेगा। यदि समय पर यूरिया नहीं मिला तो पैदावार पर गहरा असर पड़ेगा।

अपर जिला सहकारी अधिकारी पीबी गौतम ने बताया कि महथा समिति से जुड़े किसानों को सेवड़ा समिति से संबद्ध किया गया है। यदि वहां के सचिव किसानों को खाद नहीं देंगे तो उनके विरुद्ध कार्रवाई होगी।
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