नेरवा क्षेत्र के परगना शाक के सनाईयों और परगना चंदलोग के पजाईकों के बीच रंजिश खत्म हो गई।
संवाद सूत्र, नेरवा (शिमला)। हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला के नेरवा क्षेत्र के परगना शाक के सनाईयों और परगना चंदलोग के पजाईकों के बीच करीब 100 वर्ष पुरानी जातीय रंजिश समाप्त हो गई है। दोनों समुदायों, जिन्हें स्थानीय भाषा में खुंद कहा जाता है, के बीच लंबे समय से चल रही तनातनी समझौते के साथ समाप्त हो गई है।
ये दोनों समुदाय एक-दूसरे के सुख दुख में भी शामिल नहीं होते थे। कई शिक्षाविदों व अन्य प्रबुद्ध लोगों के प्रयासों से यह रंजिश खत्म हुई है। समझौते से पहले दोनों पक्षों के गण्यमान्यों के बीच कई दौर की बैठकों के बाद सहमति बनी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
रंजिश हमेशा के लिए खत्म करने का एलान किया
परगना चंदलोग के रिंजट गांव स्थित बिजट महाराज के प्रांगण में बैठक का आयोजन किया। इसमें दोनों समुदायों ने पुराने निर्णय को अमल में लाते हुए सदियों पुरानी खुंद रंजिश को हमेशा के लिए खत्म करने का एलान किया। समझौते के बाद परगना चंदलोग के पजाईकों ने परगना शाक से आए सनाईयों का स्वागत किया।
इन्होंने करवाया समझौते को सफल
समझौते को सफल बनाने में मंगत राम शर्मा, पंडित रामलाल धस्टा व मोहन लाल किरणा का विशेष योगदान रहा। परगना शाक की ओर से जैलदार सुशील दफराईक, नंबरदार काना सिंह थलाईक, प्रेम चंद कलसाईक, देवेंद्र रंटा व अक्षय थलाईक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
परगना चंदलोग की ओर से जैलदार मेहर चंद तंगडाइक, नंबरदार दुला राम भिख्टा, श्याम सिंह रणाइक, पिंटू, पिंकू रमचाइक, अतर सिंह मांटा, सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य राय सिंह तंगडाइक, रघुवीर सिंह ठेकरा, अमर सिंह सिंगटा व अमर सिंह जलपाइक सहित अन्य गण्यमान्यों ने समझौते को सफल बनाने में सहयोग दिया।
सामाजिक सौहार्द बनेगा
समझौते से सनाई व पजाईक के लोग प्रसन्न हैं। वर्षों पुरानी दुश्मनी खत्म होने से क्षेत्र में सामाजिक सौहार्द और एकता की नई मिसाल कायम हुई है। दोनों खुंदों की आपसी लड़ाई पर आधारित ऐतिहासिक लोकगीत को भी अब सनाई-पजाईक का नाम दिया गया है, जो भविष्य में भाईचारे का प्रतीक बनेगा।
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