82 साल के बुजुर्ग को डिजिटल अरेस्ट कर 1.16 करोड़ की ठगी, हिमाचल प्रदेश में NGO के खाते में जमा राई रकम

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  Digital Arrest



जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। 82 साल के एक बुजुर्ग को डिजिटल अरेस्ट कर 1.16 करोड़ रुपये ठगी करने के मामले में क्राइम ब्रांच ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पिछले जून महीने में कानून प्रवर्तन अधिकारी बनकर साइबर अपराधियों ने कई घंटे तक पीड़ित को डिजिटल अरेस्ट करके रखा गया। उन पर मानसिक दबाव बनाया गया और कानूनी नतीजों की धमकी दी गई। जिससे बचने के लिए बुजुर्ग ने अपने खाते से साइबर सिंडिकेट द्वारा बताए गए खाते में पैसे ट्रांसफर कर दिए। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

आदित्य गौतम के मुताबिक क्राइम ब्रांच की साइबर सेल ने इस हाई-वैल्यू डिजिटल अरेस्ट साइबर फ्राॅड मामले में शामिल तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर बड़ी सफलता हासिल की है। आरोपियों ने खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी बताकर वाॅट्सएप वीडियो काॅल पर नकली गिरफ्तारी आदेश दिखाकर पीड़ित पर मनोवैज्ञानिक दबाव डाला था।

ठगी की गई रकम का एक बड़ा हिस्सा (1.10 करोड़) हिमाचल प्रदेश में स्थित एक एनजीओ के खाते में मंगवाया गया था। वह खाता बिहार के पटना में बैठे एक ठग ने मुख्य साइबर सिंडिकेट को मुहैया कराया था। नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर इस खाते के खिलाफ कुल 32 शिकायतें मिली हैं, जिनमें करीब 24 करोड़ रकम मंगाई गई थी।

हिमाचल प्रदेश और बिहार में कई जगहों पर छापे मार पुलिस ने तीन आरोपियों प्रभाकर कुमार, रूपेश कुमार सिंह व देवराज को गिरफ्तार किया। प्रभाकर कुमार 12वीं पास है और नालंदा, बिहार का रहने वाला है। उसने देवराज के मोबाइल फोन पर एक मैलिशियस एपीके फाइल इंस्टाल किया जिससे ठगी वाले बैंक खातों से जुड़े सिमकार्ड एक्टिवेट हो गया।

वह वाॅट्सएप वर्चुअल नंबरों के जरिये साइबर ठगों के लगातार संपर्क में था। उसने कैश में कमीशन लिया, अपने साथियों में पैसे बांटे और अपनी भूमिका के लिए अच्छा-खासा कमीशन कमाया। रूपेश कुमार सिंह, ग्रेजुएट है और वैशाली जिले बिहार का रहने वाला है। उसने पोस्टल डिलीवरी के जरिये एनजीओ का करंट अकाउंट किट लिया और पटना में सह आरोपियों की मीटिंग करवाई।

उसने एक होटल से ठगी वाले ट्रांजक्शन को अंजाम देने में मदद की, अकाउंट होल्डर और ठगों के बीच एक मुख्य बिचौलिए का काम किया, और अच्छा-खासा कमीशन लिया। देवराज 12वीं पास है और सिरमौर जिला, हिमाचल प्रदेश का रहने वाला है।

वह एनजीओ चलाता है, उसने अपने पिता वेद प्रकाश, जो अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता हैं उनकी मिलीभगत से एनजीओ के नाम पर एक करंट अकाउंट खुलवाया और आसान पैसा कमाने के लिए, उन्होंने यह अकाउंट बिहार में रूपेश कुमार को सौंप दिया। देवराज ने इंटरनेट बैंकिंग क्रेडेंशियल और ओटीपी शेयर करके ठगी में मदद की, ट्रांजक्शन करने के लिए पटना गया और अच्छा-खासा कमीशन लिया।

आरोपी ने कानून प्रवर्तन अधिकारी का रूप धारण कर भारत सरकार से सेवानिवृत क्लास वन अधिकारी को कई घंटे तक डिजिटल अरेस्ट करके रखा। आरोपी ने ठगी की रकम एनजीओ को निजी बैंक खातों के जरिये भेजी थी। फंड ट्रांसफर और मनी लाॅन्ड्रिंग के लिए इंटरनेट बैंकिंग क्रेडेंशियल और ओटीपी का गलत इस्तेमाल किया गया।

अपराध से मिली रकम को सह आरोपितों के बीच कमीशन के तौर पर बांटा गया। एसीपी अनिल शर्मा व इंस्पेक्टर सुभाष चंद्र की टीम ने कई माह तक जांच के बाद शुक्रवार को तीनों को हिमाचल प्रदेश व बिहार से गिफ्तार किया।

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