क्या आप भी बेड के एक ही साइड सोना पसंद करते हैं? (Image Source: Freepik)
लाइफस्टाइल डेस्क, नई दिल्ली। रात होते ही बत्तियां बुझ जाती हैं और दिन भर की थकान के बाद पति-पत्नी बिस्तर पर लेटते हैं। तभी अचानक एक छोटी-सी घरेलू \“जंग\“ शुरू हो जाती है- “अरे! यह मेरी साइड है, तुम उधर जाओ।“ दूसरा व्यक्ति झुंझलाकर कहता है, “क्या फर्क पड़ता है? बिस्तर तो एक ही है!“ लेकिन सच तो यह है कि फर्क पड़ता है। थोड़ी ही देर में खींचतान के बाद दोनों अपनी-अपनी \“तय जगह\“ पर वापस आ जाते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
अगर यह कहानी आपको जानी-पहचानी लग रही है, तो आप अकेले नहीं हैं। मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि बिस्तर की कोई खास साइड चुनना कोई तुक्का नहीं है (Why We Prefer One Side of the Bed)। इसके पीछे हमारा मनोविज्ञान और गहरी आदतें छिपी हैं। आइए जानते हैं।
(Image Source: Freepik)
सोने के तरीके और आपकी सेहत
स्टडी बताती है कि दुनिया में लगभग आधे वयस्क करवट लेकर सोना पसंद करते हैं। यह तरीका रीढ़ की हड्डी के लिए अच्छा है और इससे नींद भी कम टूटती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि किस करवट सोने का क्या असर होता है?
- दाईं करवट: एक स्टडी के अनुसार, दाईं ओर सोने वालों को सबसे अच्छी नींद आती है। इससे प्रमुख अंगों और नसों पर कम दबाव पड़ता है।
- बाईं करवट: अगर आपको एसिडिटी या रिफ्लक्स की समस्या है, तो बाईं ओर सोना बेहतर है क्योंकि इससे पेट, भोजन नली से नीचे रहता है। गर्भवती महिलाओं के लिए भी यह साइड अच्छी मानी जाती है।
- पीठ के बल सोना: जो लोग पीठ के बल सोते हैं, उनकी नींद बार-बार टूटने और खर्राटे या \“स्लीप एपनिया\“ का खतरा ज्यादा रहता है।
सुरक्षा और दिमाग का खेल
बिस्तर की साइड चुनने के पीछे सिर्फ शरीर का आराम नहीं, बल्कि हमारे पूर्वजों से मिला डर और सुरक्षा का भाव भी है। हम अचेतन मन से सुरक्षा तलाशते हैं। कुछ लोग दीवार की तरफ सोना पसंद करते हैं क्योंकि वहां उन्हें सुरक्षित महसूस होता है। वहीं, कुछ लोग दरवाजे के पास वाली साइड चुनते हैं।
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, ऐसे लोग खुद को \“रक्षक\“ की भूमिका में देखते हैं या खतरे के समय भागने का रास्ता पास रखना चाहते हैं। जैसे हम क्लासरूम या ऑफिस में एक ही सीट पर बैठना पसंद करते हैं, वैसे ही दिमाग को बिस्तर की वही पुरानी जगह \“कंफर्ट\“ देती है।
(Image Source: Freepik)
पर्सनैलिटी का भी है कनेक्शन
पढ़ने में अजीब लग सकता है, लेकिन आपकी साइड आपकी पर्सनालिटी के बारे में भी बताती है। यूके में 2011 में हुई एक स्टडी में पाया गया कि, बाईं ओर सोने वाले लोग जीवन में ज्यादा खुश और आशावादी पाए गए। दाईं ओर सोने वाले लोग थोड़े गंभीर और रूटीन फॉलो करने वाले माने गए। अक्सर कपल्स रिश्ते की शुरुआत में ही अपनी साइड तय कर लेते हैं और फिर शायद ही कभी उसे बदलते हैं।
करवट लेकर सोना हमारे दिमाग के \“वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम\“ के लिए अच्छा हो सकता है। जानवरों पर हुई स्टडी बताती है कि करवट लेकर सोने से दिमाग से टॉक्सिन्स आसानी से बाहर निकलते हैं, जिससे भविष्य में अल्जाइमर जैसी भूलने की बीमारी का खतरा कम हो सकता है।
हम साइड क्यों नहीं बदल पाते?
एक बार जब \“फेवरेट साइड\“ तय हो जाती है, तो उसे बदलना बहुत मुश्किल होता है। इसे \“मसल्स मेमोरी\“ और मनोवैज्ञानिक आदत कहा जाता है। हमारा दिमाग उस खास जगह को नींद और सुरक्षा के साथ जोड़ लेता है। यही कारण है कि जब हम किसी होटल या नए घर में जाते हैं, तो साइड बदलने पर हमें अजीब बेचैनी महसूस होती है।
Source:
यह भी पढ़ें- सोते समय रजाई या कंबल से एक पैर बाहर क्यों रखते हैं कुछ लोग? 5 पॉइंट्स में समझें पूरा साइंस
यह भी पढ़ें- 6 घंटे से कम नींद लेने पर शरीर में शुरू हो जाती है \“गंभीर हलचल\“, डॉक्टर बता रहे हैं कैसे |