ओडिशा में 75 बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान, 49 को निकाला; सरकार ने हाईकोर्ट में दिया हलफनामा

cy520520 2025-12-17 13:36:41 views 260
  

ओडिशा हाईकोर्ट। फाइल फोटो  



जागरण संवाददाता, भुवनेश्वर। बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान, गिरफ्तारी और निर्वासन को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में विस्तृत हलफनामा दाखिल किया है।

सरकार ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशों के अनुसार राज्य के सभी जिलों में विशेष टास्क फोर्स (एसटीएफ) का गठन किया गया है, जो अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान और कार्रवाई कर रही है।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस हरीश टंडन और जस्टिस एम.एस. रमण की खंडपीठ के समक्ष अधिवक्ता शिवशंकर महांति की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई।

राज्य सरकार की ओर से दायर हलफनामे में कहा गया है कि केंद्रीय और राज्य गृह विभाग के दिशा-निर्देशों के अनुपालन के लिए सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों और विदेशी पंजीकरण अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं।
2259 लोगों की हुई जांच

खुफिया निदेशक आर.पी. कोचे द्वारा दाखिल हलफनामे में बताया गया कि केंद्र सरकार की गाइडलाइंस के अनुसार राज्य में दो राज्यस्तरीय होल्डिंग सेंटर और 19 जिलास्तरीय होल्डिंग सेंटर स्थापित किए गए हैं। संदेह के आधार पर विभिन्न जिलों में कुल 2259 लोगों की जांच की गई, जिनमें से 2176 भारतीय नागरिक पाए गए और उन्हें छोड़ दिया गया। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक भुवनेश्वर शहरी पुलिस जिले में 24, कटक में 15, बरहमपुर में 6, केंद्रापड़ा में 3, गंजाम में 1, जगतसिंहपुर में 21, कंधमाल में 4 और कोरापुट में 1—इस तरह कुल 75 लोगों को बांग्लादेशी नागरिक के रूप में चिह्नित किया गया है। इनमें से 49 बांग्लादेशी नागरिकों को निर्वासित किया जा चुका है।

गंजाम और कंधमाल में फर्जी भारतीय पासपोर्ट हासिल करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया है। वहीं जगतसिंहपुर के 21 और केंद्रापड़ा के 3 बांग्लादेशी नागरिक फिलहाल निर्वासन की प्रक्रिया पूरी होने की प्रतीक्षा में हैं।
13 जनवरी को अगली सुनवाई

हलफनामे में यह भी कहा गया है कि एसटीएफ के साथ खुफिया ब्यूरो की जिला इकाइयों और स्पेशल ब्रांच को भी अभियान में लगाया गया है। जांच के दौरान बांग्लादेश के कुछ स्थानीय लोकप्रिय मोबाइल एप्स की मदद लेने के निर्देश जिला अधिकारियों, रेंज डीआईजी और आईजी को दिए गए हैं।

मामले की अगली सुनवाई 13 जनवरी 2026 को होगी। याचिकाकर्ता की ओर से स्वयं शिवशंकर महांति और राज्य सरकार की ओर से एजीए देवाशीष त्रिपाठी ने पक्ष रखा।
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