कानपुर में इतने हेक्टेयर जमीन में तैयार होगी हाईवे सिटी विस्तार और जवाहरपुरम योजना, किसानों को होगा फायदा, जानें पूरी स्कीम

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राहुल शुक्ल, कानपुर। कानपुर विकास प्राधिकरण (केडीए) पहली लैंड पूलिंग से आवासीय योजना हाईवे सिटी विस्तार और जवाहरपुरम में लाएगा। इसके लिए दोनों योजनाओं खाका तैयार कर लिया गया है। इसमें किसानों की जमीन लेकर उसको विकसित करके 25 प्रतिशत जमीन वापस कर दी जएगी। इससे योजना में बीच-बीच में आ रही जमीन विकसित भी हो जाएगी। साथ ही अधिग्रहण में आने वाला खर्च भी प्राधिकरण का बच जाएगा। इसका खाका विशेष कार्याधिकारी लैंड बैंक अजय कुमार और मुख्य नगर नियोजक मनोज कुमार ने तैयार किया है। 18 दिसंबर को केडीए बोर्ड की होने वाली बैठक में प्रस्ताव को रखा जाएगा। बोर्ड की स्वीकृति मिलते ही योजना को अमली जामा पहनाया जाएगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  

बोर्ड बैठक में रखे जा रहे प्रस्ताव में कहा गया है कि केडीए द्वारा विकसित हाईवे सिटी विस्तार और जवाहरपुरम योजना के बीच में किसानों की भूमि आ जाने के कारण योजना का विकसित करने में दिक्कत आ रही है।हाइवे सिटी योजना में स्थित राजस्व ग्राम सजारी की आराजी संख्या 277 जो प्राधिकरण की हाइवे सिटी विस्तार योजना के तहत आती है जिसका कुल रकबा 0.3590 हेक्टेयर है, जिसमें से रकबा 0.1800 हेक्टेयर निजी किसानों और रकबा 0.1790 हेक्टेयर अरबन सीलिंग के नाम अभिलेख में दर्ज है। इसमें रकबे के पूरे भाग पर योजना विकसित की गई है, जिसमें किसानों द्वारा भी उक्त आराजी में विक्रय किया गया है। केडीए की अलकनन्दा योजना से प्राधिकरण के आवंटियों को भी उक्त योजना में आराजी संख्या 277 पर भूखंडो सृजित कर आवंटित किए गए है। इसी प्रकार जवाहरपुरम योजना के तहत राजस्व ग्राम बारासिरोही में निजी भू-धारकों के नाम खतौनी में भूमियां दर्ज है।


इसको देखते हुए इन दोनों योजनाओं में अधिकांश बाह्य व आन्तरिक विकास कार्य कराया जा चुका है। इन योजनाओं के मध्य विभिन्न न्यायालयों के आदेशों से सीलिंग व अर्जन से छूटी हुई भूमियों व अन्य निजी भूमियां भी आ रही हैं। इस कारण जहां एक ओर ऐसे किसान बिना विकास शुल्क का भुगतान किये प्राधिकरण की सुविधाओं का प्रयोग कर रहे है। वहीं दूसरी प्राधिकरण को ले-आउट के अनुसार विकास कराने में दिक्कत आ रही है।

  

प्रस्ताव में कहा गया है कि इसको देखते हुए शासनादेश के तहत ले आउट के बीच में आ रही किसानों की भूमि के बदले 25 प्रतिशत विकसित भूखंड दे दिया जाए तो उक्त भूखंड के शेष 75 प्रतिशत भूमि का अधिकांश भाग प्राधिकरण को विक्रय के लिये मिल जायेगा, क्योंकि योजना का आन्तरिक एवं बाह्य विकास कार्य पूर्ण हो चुका है। ऐसा करने से किसानों को जमीन का उचित मूल्य मिल जायेगा, वहीं दूसरी ओर प्राधिकरण को अर्जन की लंबी प्रक्रिया में जाएं बिना विकास के लिए भूमि मिल जाएगी। इस प्रस्ताव को बोर्ड की स्वीकृति मिलते ही आगे की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। इन योजनाओं की सफलता के बाद अन्य योजनाओं भी लैंड पूलिंग के माध्यम से निकाली जाएगी।  

  
लैंड पूलिंग

लैंड पूलिंग के तहत योजना के बीच में आ रही किसानों की जमीन लेकर उसको विकसित करके कुल जमीन का 25 प्रतिशत वापस कर दिया जाता है। जैसे सौ वर्ग मीटर किसान की जमीन ली तो उसको विकसित करके 25 प्रतिशत जमीन वापस कर दी जाएगी।
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