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3 Idiots लिए शरमन जोशी को देनी पड़ी थी बड़ी कुर्बानी, तीन साल तक नहीं किया था ये काम

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बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता शरमन जोशी (फोटो क्रेडिट- आईएमडीबी)



दीपेश पांडे, मुंबई: अभिनेता शरमन जोशी ने हाल ही में फिल्म इंडस्ट्री में 25 वर्षों का सफर पूरा किया है। गॉडमदर और लज्जा के बाद फिल्म स्टाइल से उनका केंद्रीय भूमिका का सफर प्रारंभ हुआ। रंगमंच से आए शरमन ने फिल्मों में जगह बनाने के बाद थिएटर से नाता बनाए रखा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

हाल ही में उनकी फिल्म 3 इडियट्स की रिलीज के भी 16 साल पूरे हुए हैं। दैनिक जागरण के मंच पर मुंबई में उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश-
इस वर्ष को किस तरह से देखेंगे?

यह काफी दिलचस्प रहा। इस वर्ष मैंने सिकंदर, एक बांग्ला फिल्म (भालोबासा मौसम), एक नाटक, एक ब्रेन गेम शो (अंटरटेनर्स) कर रहा हूं। यह मेरे लिए खुद को फिर से खड़ा करने वाला समय है।

  
अगले वर्ष के लिए कुछ नए संकल्प लेंगे?

मैं कोई संकल्प नहीं लेता हूँ। बस जो संकल्प पहले लिया है, उन्हें बरकरार रखने की कोशिश करते हैं। व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों ही जीवन के नजरिये से जो भी सबसे अच्छा होता है, वो करने की कोशिश करता हूँ। बीच-बीच में घूमने भी निकल जाता हूं। जिंदगी के सारे मजे लूटने हैं। शिद्दत से काम करो और ढेर सारी यात्राएं करो, बस इसी उद्देश्य के साथ अगले वर्ष में भी आगे बढ़ना है।
किस चीज ने हर परिस्थिति में अच्छा काम करने के लिए प्रेरित किया?

मेरा काम ही मुझे प्रेरित करता है। हर प्रोजेक्ट में कोशिश करता हूं कि जितना बेहतर कर सकता हूं वो करूं। गॉमदर मेरी पहली फिल्म थी, उससे पहले मैंने नाटक तो खूब किया था, लेकिन किसी भी फिल्म के सेट पर नहीं गया था। वहां जो कुछ भी हो रहा होता है, उसकी चकाचौंध देखकर अक्सर नए कलाकार बौखला जाते हैं, लेकिन मैं उस टेस्ट में पास रहा। उसके बाद अभिनय को लेकर मेरी रुचि और गहराती गई।

  
कमर्शियल मसाला फिल्म की दोनों फिल्में बहुत अलग थी, करियर में इसका क्या फायदा मिला?

गॉडमदर से ही मेरे ऊपर भगवान का आशीर्वाद रहा है। फिल्म ने छह राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते। वह एक ऑफबीट फिल्म थी। उसके बाद मैंने उससे बिल्कुल अलग पूरी कमर्शियल फिल्म स्टाइल की। तेजाब और अंकुश जैसी फिल्में बनाने के बाद निर्देशक एन चंद्रा ने अपनी दिशा बदलकर स्टाइल जैसी फिल्म बनाई इसके लिए हम पूरे दिन थिएटर की तरह रिहर्सल करते थे स्टाइल ही वो फिल्म थी, जिसे देखने के बाद राजू सर (फिल्मकार राजकुमार हिरानी) ने मुझे 3 इडियट्स में कास्ट किया था।

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3 इडियट्स की रिलीज को 16 साल हो गए, उससे राहें कैसे जुड़ीं?

मैं और बमन ईरानी मॉरीशस में फिल्म सॉरी भाई की शूटिंग कर रहे थे। वहीं बमन को राजू सर ने आडिशन के लिए फोन किया। बमन ने पूछा कि क्या तुम भी ऑडिशन देना चाहोगे। मैंने कहा, हां। ऑडिशन देने के दो-तीन महीने तक कोई जवाब नहीं आया । तब मैं खाली बैठा था । उस समय मुझे बाडी बिल्डिंग का शौक था, तो सिक्स पैक एब्स बनाकर जिम में बैठा हुआ था।

  

उसी समय राजू सर का मुझे फोन आया और उन्होंने कहा कि तुम इस फिल्म में राजू रस्तोगी की भूमिका निभा रहे हो। जब उन्हें पता चला कि मैं जिम में हूं तो उन्होंने कहा कि आज से तुम तीन साल तक जिम नहीं जाओगे।
3 इडियट्स को अब टीवी पर देखकर आपके बच्चों की क्या प्रतिक्रिया होती है ?

यह फिल्म साल 2009 में प्रदर्शित हुई थी। उस समय मेरी बेटी सिर्फ चार साल की थी। प्रीमियर के दौरान जिस सीन में राजू आत्महत्या की कोशिश करता है, उसे देखकर रोने लगी थी। मेरी पत्नी ने पहले ही मना किया था कि उसे फिल्म मत दिखाओ, लेकिन मैंने कहा कि कुछ नहीं होगा।
अक्सर स्टारडम पाने के बाद कलाकारों के लिए थिएटर प्राथमिकता नहीं रहता है, फिर आप कैसे थिएटर से लगातार जुड़े रहें?

मुझे थिएटर से प्यार है। थिएटर की मुख्य चुनौती होती है नाटकों की तैयारी, जिसमें एक-डेढ़ महीने तक रोजाना सात- आठ घंटे का समय देना पड़ता है। मैं फिल्में करते हुए भी तैयारी का यह समय निकाल ही लेता हूं। नाटक का शो कब होगा, कब नहीं वो सब मेरी टीम तय करती है। इसलिए मेरे लिए सब आसानी से हो जाता है।

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