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Kalashtami 2026 Date: जनवरी में किस दिन रखा जाएगा कालाष्टमी व्रत? नोट करें निशिता काल का समय

deltin33 2025-12-29 23:14:59 views 1001
  

Kalashtami 2026: कालाष्टमी पर्व का धार्मिक महत्व  



धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, रविवार 04 जनवरी को पौष पूर्णिमा है। इसके अगले दिन से माघ महीने की शुरुआत होगी। पौष पूर्णिमा के शुभ अवसर पर बड़ी संख्या में साधक गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान करते हैं। इसके बाद लक्ष्मी नारायण जी की भक्ति भाव से पूजा करते हैं। इसके अलावा, पौष पूर्णिमा पर दान-पुण्य भी किया जाता है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  

माघ माह में कई प्रमुख व्रत और त्योहार मनाए जाएंगे। इनमें कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाएगी। यह दिन काल भैरव देव को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर काल भैरव देव की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही मनचाहा वरदान पाने के लिए व्रत भी रखा जाता है। आइए, माघ माह की कालाष्टमी के बारे में सबकुछ जानते हैं-
कालाष्टमी व्रत शुभ मुहूर्त (Kalashtami Vrat Shubh Muhurat)

वैदिक पंचांग के अनुसार, 10 जनवरी को सुबह 08 बजकर 23 मिनट पर माघ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि शुरू होगी। वहीं, 11 जनवरी को सुबह 10 बजकर 20 मिनट पर अष्टमी तिथि का समापन होगा। इस प्रकार 10 जनवरी को कालाष्टमी मनाई जाएगी।
कालाष्टमी व्रत शुभ योग (Kalashtami Vrat Shubh Yog)

ज्योतिषियों की मानें तो माघ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर सुकर्मा योग का संयोग है। इसके साथ ही शिववास योग का भी निर्माण होगा। इन योग में काल भैरव देव की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होगी।
शिववास योग

कालाष्टमी के दिन शिववास योग का संयोग सुबह 08 बजकर 24 मिनट से है। इस दौरान देवों के देव महादेव कैलाश पर जगत की देवी मां पार्वती के साथ रहेंगे। शिववास योग में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी।
पंचांग

  • सूर्योदय - सुबह 07 बजकर 15 मिनट पर
  • सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 42 मिनट पर
  • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 27 मिनट से 06 बजकर 21 मिनट तक
  • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 13 मिनट से 02 बजकर 55 मिनट तक
  • गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 39 मिनट से 06 बजकर 07 मिनट तक
  • निशिता मुहूर्त- रात 12 बजकर 02 मिनट से 12 बजकर 56 मिनट तक

काल भैरव देव मंत्र

1. ॐ नमो भैरवाय स्वाहा।

2. ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय भयं हन।

3. ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय शत्रु नाशं कुरु।

4. ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय तंत्र बाधाम नाशय नाशय।

5. ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय कुमारं रक्ष रक्ष।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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