साइबर ठगी हो जाए तो घबराएं नहीं, पहले दो घंटे में बचा सकते हैं अपनी मेहनत की कमाई।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। अगर किसी के साथ साइबर ठगी हो जाए तो सबसे जरूरी है घबराना नहीं, बल्कि पहले दो घंटे के भीतर सही कदम उठाना।दैनिक जागरण कार्यालय में आयोजित विचार विमर्श के दौरान साइबर सिक्योरिटी एंड कंप्लायंस आडिटर और साइबर स्प्लंक के फाउंडर-सीईओ तरुण मल्होत्रा ने कहा कि साइबर ठगी के बाद के पहले दो घंटे गोल्डन आवर होते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इसी समय में 1930 हेल्पलाइन, बैंक और साइबर क्राइम पुलिस को सूचना देकर खाते फ्रीज कराए जा सकते हैं और पैसा वापस मिलने की संभावना रहती है। अगर देर हो जाए तो पैसा कई खातों में घूमकर निकाल लिया जाता है और फिर उसे वापस लाना लगभग असंभव हो जाता है।
मल्होत्रा ने कहा कि साइबर अपराधी तकनीक से ज्यादा इंसान की भावनाओं को हैक करते हैं। वे डर, लालच और भावनात्मक कमजोरी का फायदा उठाते हैं। कभी फोन कर डराया जाता है कि आपके खाते से गलत लेन-देन हुआ है, आपके बच्चे के नाम पर केस है, आपका नंबर ब्लाक जाएगा या आपके अकाउंट से आतंकवादी फंडिंग हो रही है।
कई बार लालच दिया जाता है कि पैसा डबल हो जाएगा यह सीक्रेट इन्वेस्टमेंट है, आपको सरकारी स्कीम का फायदा दिला देंगे। इस जाल में कई बार पढ़े-लिखे और समझदार लोग भी फंस जाते हैं क्योंकि ठग बहुत प्रोफेशनल तरीके से बात करते हैं।
उन्होंने बताया कि ठग अक्सर दोस्त बनकर बात करते हैं, भरोसा जीतते हैं और फिर धीरे-धीरे व्यक्ति को मानसिक दबाव में ले आते हैं। पीड़ित डर के कारण सोचने-समझने का समय नहीं ले पाता और वही गलती कर बैठता है, जिसका ठग इंतजार कर रहा होता है — जैसे ओटीपी बताना, लिंक पर क्लिक करना या पैसा ट्रांसफर करना।
कैसे बचें?
- कोई भी फोन पर ओटीपी, पिन या पासवर्ड न बताए — चाहे सामने वाला कितना भी भरोसेमंद क्यों न लगे।
- डराने या जल्दी करने वाला काल आए तो तुरंत काट दें और खुद बैंक या संबंधित संस्था को काल करें।
- पैसा डबल या गारंटीड रिटर्न जैसी बातों से दूर रहें — यह लगभग हमेशा ठगी होती है।
- किसी अनजान लिंक पर क्लिक न करें, खासकर जो इनाम, रिफंड या शिकायत के नाम पर आए हों।
- अगर गलती हो जाए तो शर्म न करें — तुरंत 1930 पर काल करें और बैंक को सूचना दें।
- बच्चों और बुजुर्गों को पहले से ही ऐसे फ्रॉड के बारे में समझाकर रखें।
सबसे बड़ी सुरक्षा तकनीक नहीं, बल्कि समझदारी, संयम और जागरूकता
मल्होत्रा ने कहा कि साइबर अपराध किसी के साथ भी हो सकता है — अमीर, गरीब, पढ़ा-लिखा या अनपढ़ कोई भी सुरक्षित नहीं है। फर्क सिर्फ इतना है कि जो व्यक्ति समय पर सही कदम उठा लेता है, वही नुकसान से बच पाता है। आज की डिजिटल दुनिया में सबसे बड़ी सुरक्षा तकनीक नहीं, बल्कि समझदारी, संयम और जागरूकता है। |