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झंझारपुर की लाइफलाइन सड़क पर फिर पसरा अतिक्रमण, जाम और दुर्घटना का खतरा बढ़ा

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झंझारपुर की लाइफलाइन सड़क पर फिर पसरा अतिक्रमण



संवाद सहयोगी, झंझारपुर। झंझारपुर नगर परिषद क्षेत्र में अतिक्रमण की समस्या लगातार भयावह होती जा रही है। हालात ऐसे बन चुके हैं कि नगर की प्रमुख सड़कों पर ‘ज्यों-ज्यों दवा की, मर्ज बढ़ता गया’ वाली कहावत पूरी तरह चरितार्थ हो रही है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

अनुमंडल मुख्यालय की लाइफ लाइन मानी जाने वाली मोहना चौक से कैथिनियां रेलवे गुमटी तक की मुख्य सड़क एक बार फिर अतिक्रमण की चपेट में है, जिससे यातायात व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है।
सड़क की चौड़ाई सिमटकर 5 से 7 मीटर

करीब दो वर्ष पूर्व अतिक्रमण के कारण इस सड़क की चौड़ाई सिमटकर 5 से 7 मीटर रह गई थी। आए दिन लगने वाले जाम और दुर्घटनाओं की आशंका को देखते हुए स्थानीय विधायक सह तत्कालीन कैबिनेट मंत्री नीतीश मिश्रा के प्रयास से सड़क का चौड़ीकरण कर लगभग 10 मीटर किया गया।  

पीसीसी और कालीकरण के बाद लोगों को राहत मिलने की उम्मीद जगी, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही और प्रभावी निगरानी के अभाव में निर्माण के कुछ ही समय बाद सड़क पर फिर अतिक्रमण पसर गया। सड़क के अलग-अलग हिस्सों में अवैध टेंपू स्टैंड, भवन निर्माण सामग्री का अतिक्रमण, सड़क किनारे संचालित मछली बाजार और बेतरतीब खड़े छोटे-बड़े वाहन यातायात को लगातार बाधित कर रहे हैं।  
उपयोगी चौड़ाई पूरी तरह खत्म

कई स्थानों पर सड़क की उपयोगी चौड़ाई पूरी तरह खत्म हो चुकी है। सबसे गंभीर स्थिति राम चौक से जनता कॉलेज गेट तक देखी जा रही है, जहां फुटपाथ और सड़क किनारे फुटकर दुकानदारों ने कब्जा जमा लिया है।  

इन दुकानदारों की विडंबना यह है कि वे एक ओर रोजी-रोटी की जद्दोजहद में लगे हैं, वहीं दूसरी ओर कथित रूप से कुछ स्थानीय तत्वों द्वारा रंगदारी के नाम पर भाड़ा वसूले जाने से भी परेशान हैं। परिणामस्वरूप अव्यवस्था बढ़ती जा रही है और आम नागरिकों को रोजाना जाम, धूल और दुर्घटना के खतरे से दो-चार होना पड़ रहा है।
अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया शीघ्र होगी शुरू

नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी मनोज कुमार का कहना है कि अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाएगी और ध्वनि विस्तारक यंत्र के माध्यम से सरकारी भूमि खाली करने की अपील की जा रही है। बावजूद इसके, नगर परिषद की कार्यशैली को लेकर स्थानीय लोगों में गहरी नाराजगी है।  

नगरवासियों का आरोप है कि अतिक्रमण हटाने के नाम पर नगर परिषद की कार्रवाई चयनात्मक रही है। अक्सर बुलडोजर गरीब और कमजोर वर्गों तक ही सीमित रह जाता है, जबकि प्रभावशाली इलाकों में कार्रवाई केवल नोटिस जारी करने तक सिमट कर रह जाती है।  

लोगों ने बताया कि हाल ही में वार्ड संख्या पांच में सरकारी जमीन खाली कराने के दौरान अति उत्साह में कई नवनिर्मित भवन को ध्वस्त कर दिया गया, जबकि झंझारपुर आरएस बाजार जैसे व्यस्त क्षेत्रों में बीते एक वर्ष से अतिक्रमण के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।  

स्थानीय लोगों का स्पष्ट कहना है कि यदि शहर को अतिक्रमण से मुक्त कराना है तो नगर परिषद को निष्पक्ष, एकरूप और सतत कार्रवाई करनी होगी। जब तक प्रभावशाली और कमजोर, दोनों पर समान रूप से कानून लागू नहीं होगा, तब तक झंझारपुर की लाइफलाइन सड़क और शहर की अन्य प्रमुख सड़कें अतिक्रमण की गिरफ्त से मुक्त नहीं हो सकेंगी और आमजन को वास्तविक राहत मिलना मुश्किल बना रहेगा।
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