Bihar Election 2025: मुंगर डिवीजन में कम हुआ NDA का दबदबा! इस विधानसभा चुनाव में कौन मारेगा बाजी?

Chikheang 2025-10-7 22:13:04 views 1249
  मुंगर डिवीजन में कौन मारेगा बाजी। फाइल फोटो





राजेश चंद्र मिश्र, पटना। मुंगेर प्रमंडल के चुनावी परिदृश्य पर बगलगीर मगध, पटना और भागलपुर प्रमंडल का साया सीधे पड़ता है। इस बार एनडीए का प्रयास इस साया को और धुंधलका कर देने का है, जबकि महागठबंधन अपनी संभावनाओं के आईने को चमकाने में जुटा हुआ है, ताकि इस मैदान में उसका चेहरा कुछ और साफ दिखे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

विधानसभा की 22 सीटों के हिसाब से मैदान बेशक छोटा है, लेकिन लड़ाई बड़ी। यहां ऊंट जिस करवट बैठा, उसी ओर की सरकार तय मानिए।



ऐसे में सशक्त उपस्थिति दर्ज करा रही जन सुराज पार्टी ही जीत-हार का असली निर्णय करेगी। वह चाहे त्रिकोणीय संघष के रूप में हो या आमने-सामने के गठबंधनों के मतों में हस्तक्षेप के तौर पर।

ऐसे में विधानसभा क्षेत्रों में संयुक्त बैठक, सम्मेलन और संगठनात्मक गतिविधियां तेज हैं। गठबंधनों द्वारा एकजुटता का संदेश दिया जा रहा। मुंगेर के साथ बेगूसराय, खगड़िया, लखीसराय, शेखपुरा और जमुई जिले को मिलाकर इस प्रमंडल का स्वरूप तय होता है।



उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा का लखीसराय और राजद के बागी हो चुके प्रह्लाद यादव का सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र इसी प्रमंडल में आता है। एनडीए के भीतर की खींचतान से सूर्यगढ़ा तो इस बार लखीसराय से भी अधिक चर्चित हो गया है।

    वर्ष एनडीए महागठबंधन अन्य
   
   
   2020
   11
   09
   02
   
   
   2015
   02
   20
   00
   
   
   2010
   18
   00
   00
   

मुंगेर के साथ उस जमालपुर को लेकर महागठबंधन के बीच खींचतान है, जहां 1969 के बाद 2020 में जाकर कांग्रेस का पंजा चला। इन सबसे आगे सुर्खियों में परबत्ता है, जहां पिछली बार जदयू के टिकट पर जीते डॉ. संजीव कुमार लालू की लालटेन उठा चुके हैं।



कोई दो राय नहीं कि पार्टियों और प्रत्याशियों के अपने प्रभाव के साथ भितरघात और दावेदारी की पेचीदगियों से भी परिणाम तय होगा। ऐसे में आमने-सामने के दोनों गठबंधनों के लिए एकजुटता बनाए रखने की कठिन चुनौती होगी।

टिकट की अपेक्षा पाले नेताओं की निराशा से भी पार होना होगा। बहरहाल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बेगूसराय दौरा और सिक्स लेन पुल के उद्घाटन से एनडीए हवा अपने पक्ष की मान रहा।



दूसरी तरफ महागठबंधन को राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा से माहौल अपने हित में होने की आशा है। उस यात्रा के दौरान राहुल खानकाह रहमानी में जाकर उसी जगह बैठे, जहां 40 वर्ष पहले उनके पिता राजीव गांधी तशरीफ रखे थे।

लखीसराय दो सीटों वाले लखीसराय जिला के लखीसराय विधानसभा क्षेत्र में हैट्रिक लगा चुकी भाजपा सूर्यगढ़ा के राजद विधायक को तोड़ चुकी है। खगड़िया जैसे ही यहां भी यादव और भूमिहार के वर्चस्व की लड़ाई होती है। ऐसे में छोटी जनसंख्या वाली जातियां और कुशवाहा समाज के मत निर्णय में हस्तक्षेप कर देते हैं।





मुंगेर इस जिला की तीन सीटों में से पिछली बार दो पर एनडीए और एक पर महागठबंधन विजयी रहा। वैश्य, यादव और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या यहां निर्णायक है। अनुसूचित जाति की उपेक्षा कोई खेमा नहीं कर सकता और कुशवाहा वोटर भी जीत-हार के फैक्टर बन जाते हैं।

खगड़िया यादव और भूमिहार के दबदबा वाले खगड़िया जिला में पिछली बार मुकाबला बराबरी का रहा था। यहां की कुल चार में से दो-दो सीटों पर एनडीए और महागठबंधन को सफलता मिली थी। कुशवाहा वोट यहां सब्जी में नमक का काम करते हैं।



शेखपुरा प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह की पहचान से जुड़े शेखपुरा जिला का चुनावी मुकाबला भी पिछली बार लखीसराय की तरह ही बराबरी का रहा था। क्षेत्रीय समीकरण भी लखीसराय की तरह ही है और एक-दूसरे जिले पर प्रभाव भी बराबर का।

पिछली बार बरबीघा में कांग्रेस को मात्र 113 वोटों से मात खानी पड़ी थी। वहां एनडीए के साथ महागठबंधन में भी टिकट को लेकर असमंजस है। भाजपा और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा को छोड़ शेखपुरा पर एनडीए के बाकी सभी घटक दल दावेदार हैं।



बेगूसराय बिहार में वामदलों के प्रभाव वाला एक महत्वपूर्ण जिला बेगूसराय है। यहां की सात में से चार सीटों पर पिछली बार महागठबंधन विजयी रहा था, उनमें से दो (बखरी और तेघरा) की जीत भाकपा की बदौलत रही।

एनडीए मात्र दो पर सफल रहा, लेकिन उसके खाते में अभी यहां की तीन सीटें हैं। कारण यह कि मटिहानी में जीत दर्ज कराने वाले लोजपा के राजकुमार सिंह जदयू के हो चुके हैं। भूमिहार, यादव के साथ अनुसूचित जाति और मुसलमानों के मत निर्णायक होते हैं।



जमुई चकाई में अगर जीत फिसली नहीं होती तो पिछली बार यह पूरा जिला एनडीए का था। इसकी चार में से तीन सीटों पर उसे जीत मिली थी। चकाई में निर्दलीय सुमित कुमार सिंह मात्र 581 वोटों के अंतर से विजयी रहे थे, जो जदयू के पाले में आकर मंत्री बन गए।

महागठबंधन में तीन सीटों पर राजद और एक पर कांग्रेस निकटतम प्रतिद्वंद्वी रहा था। राजद की बड़ी हार में एक इसी जिले में जमुई सीट की रही। वहां भाजपा की श्रेयसी सिंह ने उसे 41049 मतों से मात दी थी।
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