10 वर्षों में बिजनौर जिले के पांच गांवों से 460 गांवों में पहुंच गया गुलदार

LHC0088 2025-10-8 09:05:48 views 782
  





10 वर्षों में बिजनौर जिले के पांच गांवों से 460 गांवों में पहुंच गया गुलदार  

बिजनौर : शायद किसी अन्य वन्यजीव का कुनबा ऐसे बढ़ता हो जैसे जिले में गुलदार का बढ़ा है। जिले में दस वर्षों में गुलदार पांच गांवों से बढ़कर 460 गांवों तक पहुंच गए हैं। इन गांवों के खेतों में कम से कम एक गुलदार है। गुलदारों को पकड़ने के लिए लगातार अभियान चलाया जा रहा है लेकिन इनकी आबादी अब काबू में आने वाली नहीं है। इनकी जनसंख्या अब दोगुनी की रफ्तार से बढ़ रही है। गुलदारों की आबादी को रोकने के लिए वन विभाग ने लगभग 610 करोड़ का प्रस्ताव बनाया है। इसे जल्दी ही शासन को भेजा जाएगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें



शिवालिक पर्वत श्रृंखला के चरणों में बसे बिजनौर जिले का काफी बड़ा भाग वन क्षेत्रों से जुड़ा हुआ है। कार्बेट टाइगर रिजर्व जिले से लगा है तो अमानगढ़ टाइगर रिजर्व जिले में ही है। वनों में बाघों की बढ़ती आबादी के कारण वन क्षेत्रों में रहने वाले गुलदारों ने खेतों की ओर रूख किया। गन्ने के खेत मुफीद बने और गुलदारों को यहां खूब शिकार मिला। खतरा किसी से नहीं था। धीरे धीरे गुलदार ने खुद को मनुष्यों और आबादी के पास रहने के लिए ढ़ाला। शर्मिला जीव माना जाने वाला गुलदार अंधेरा छाने से पहले ही गांवों में आने लगा। गुलदार के हमलों में बीते दस वर्ष में 45 मनुष्यों की जान जा चुकी है। गांव-गांव गुलदार घूम रहे हैं। सहायक वन संरक्षक ज्ञान सिंह ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की टीम से गुलदारों की आबादी, उनके व्यवहार से जुड़ा सर्वे कराया। सर्वे में सामने आया है कि वर्ष 2015 में जिले में अमानगढ़ टाइगर रिजर्व के पास केवल पांच गांवों में ही गुलदार की मूवमेंट देखी गई थी जो अब बढ़कर 460 गांवों तक पहुंच गई है। गुलदार ने खुद का स्वभाव बदला है और गांवों यहां तक कि आसपास के कस्बों में भी आना उसके लिए बड़ी बात नहीं रह गया है। मानव वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए टीम ने जो आवश्यकताएं बताई हैं उनकी अनुमानित लागत 610 करोड़ रुपये है।



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इलेक्ट्रिक फेंसिंग से बनेगी बात

मानव वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए इलेक्ट्रिक फेंसिंग को जरूरी बताया गया है। जिले की छह वन रेंज में वन्यजीवों की भरमार है। इन सभी रेंज के चारों ओर खाई खुदवाकर ट्रैंच लगवाने की सलाह दी गई है। वन क्षेत्रों में पानी आदि की सुविधा विकसित करने, स्टाफ बढ़ाने को भी बहुत जरूरी बताया गया है।

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गुलदारों की नसबंदी को बताया आवश्यक



खेतों में कोई खतरा न होने के कारण गुलदारों का कुनबा भी तेजी से बढ़ा है। सर्वे में पकड़े गए गुलदारों को नसबंदी कर ही रेस्क्यू सेंटर में रखने या वन में छोड़ने की बात कही गई है। इससे गुलदारों की बहुत तेजी से बढ़ रही आबादी को भी नियंत्रित किया जा सकता है।

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गुलदारों के स्वभाव से जुड़ी सर्वे रिपोर्ट आ गई है। इसमें हमलों को रोकने के लिए सतर्कता को भी कारगर तरीका बताया गया है। गुलदारों को लगातार पिंजरे लगाकर पकड़ा जा रहा है।



ज्ञान सिंह, सहायक वन संरक्षक

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गुलदारों के संबंध में किए गए सर्वे की रिपोर्ट को देखा गया है। इसके आधार पर शासन को प्रस्ताव भेजा रहा है। मनुष्य वन्यजीव संघर्ष को न्यून करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।

अभिनव राज, डीएफओ
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