Bihar Chunav: बिहार की इस विधानसभा सीट से कोई नहीं हुआ निराश, निर्दलीय के सिर भी सजा है सेहरा

LHC0088 2025-10-9 00:12:58 views 618
  बिहार की इस विधानसभा सीट से कोई नहीं हुआ निराश





प्रेम शंकर मिश्रा, मुजफ्फरपुर। बिहार विधानसभा चुनाव की डुगडुगी बजते ही चुनावी सरगर्मी बढ़ गई है। शाम के बाद हल्की गुलाबी ठंड के अहसास के बीच चुनाव की गर्माहट भी महसूस होने लगी है। चौक-चौराहों से लेकर घरों में इसकी चर्चा होने लगी है।  विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

इन चर्चा में इस बार सबसे हॉट सीट मुजफ्फरपुर विधानसभा है। अप्रत्याशित नतीजे देने वाली इस सीट पर उम्मीदवार को लेकर ही घमासान है। 10 अक्टूबर से नामांकन शुरू होने वाला है। इसे देखते हुए एक से दो दिनों में सभी दलों के प्रत्याशियों की घोषणा हो जाने की उम्मीद है।  



शहरी क्षेत्र के साथ मुशहरी की चार पंचायतों को लेकर बनी इस सीट ने किसी दल को निराश नहीं किया है। अधिकतर दलों के उम्मीदवारों ने यहां से जीत दर्ज की है। सर्वाधिक बार जीत का सेहरा कांग्रेस उम्मीदवारों के सिर ही सजा है।  

16 बार हुए यहां चुनाव में सात बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। इस पार्टी से लगातार तीन बार रघुनाथ पांडेय ने जीत दर्ज की। 1980, 1985 और 1990 में जीत दर्ज करने वाले रघुनाथ पांडेय के विजयी रथ को 1995 में जनता दल के बिजेंद्र चौधरी ने रोका।  



इसके बाद से कांग्रेस का यहां से लंबे समय तक विधायक नहीं बना। बिजेंद्र ने लगातार चार बार चुनाव जीता। इसमें तो दो बार निर्दलीय के रूप में जीत दर्ज की। वर्ष 2010 में बिजेंद्र चौधरी ने सीट बदल ली। मुजफ्फरपुर से वह कुढ़नी चले गए।  

इसके साथ ही यहां कमल का उदय हुआ। भाजपा के सुरेश कुमार शर्मा ने मो. जमाल को हराकर पार्टी का खाता यहां से खोला। इसके बाद वह भी दो बार विजयी हुए। इसमें 2015 का भी चुनाव शामिल है। जब जदयू एनडीए से निकलकर महागठबंधन में चला गया था।  



यही नहीं बिजेंद्र चौधरी भी कुढ़नी से फिर मुजफ्फरपुर आ गए थे। पिछले विधानसभा चुनाव में सुरेश कुमार शर्मा की हैट-ट्रिक की उम्मीद थी, मगर बिजेंद्र ने उन्हें पटखनी दे दी। वह भी उस पार्टी से जिससे उन्होंने कुर्सी छीनी थी।  

इस तरह से बिजेंद्र ने तीन दल और दो बार निर्दल चुनाव जीता। छह नवंबर को जिले के 416 बूथों पर करीब तीन लाख 15 हजार मतदाता नए विधायक का चुनाव करेंगे। जलजमाव, जाम, जर्जर सड़क, गंदगी, प्रदूषण से जूझती जनता का फैसला 14 नवंबर को सामने आएगा।  



देखना होगा कि कांग्रेस अपनी जमीन बचा पाती है या नहीं। वहीं अपनी खोई जमीन भाजपा वापस पा सकती है या नहीं  
अब तक इनके सिर पर सजा जीत का सेहरा

    वर्ष विजयी दल का नाम
   
   
   1957
   महामाया प्रसाद सिन्हा
   सोशलिस्ट पार्टी
   
   
   1962
   देव नंदन सहाय
   कांग्रेस
   
   
   1967
   एमएल गुप्ता
   कांग्रेस
   
   
   1969
   रामदेव शर्मा
   सीपीआई
   
   
   1972
   रामदेव शर्मा
   सीपीआई
   
   
   1977
   मंजय लाल
   जनता पार्टी
   
   
   1980
   रघुनाथ पांडेय
   कांग्रेस
   
   
   1985
   रघुनाथ पांडेय
   कांग्रेस
   
   
   1990
   रघुनाथ पांडेय
   कांग्रेस
   
   
   1995
   बिजेंद्र चौधरी
   जनता दल
   
   
   2000
   बिजेंद्र चौधरी
   राजद
   
   
   2005 (फरवरी)
   बिजेंद्र चौधरी
   निर्दलीय
   
   
   2005 (नवंबर)
   बिजेंद्र चौधरी
   निर्दलीय
   
   
   2010
   सुरेश कुमार शर्मा
   भारतीय जनता पार्टी
   
   
   2015
   सुरेश कुमार शर्मा
   भारतीय जनता पार्टी
   
   
   2020
   बिजेंद्र चौधरी
   कांग्रेस
  
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