…तो यूपी में रोका जा सकता है बिजली निजीकरण? विद्युत उपभोक्ता परिषद ने बताया सब कुछ, नियामक आयोग में प्रस्ताव दाखिल

deltin33 2025-10-11 12:06:44 views 983
  



राज्य ब्यूरो, लखनऊ। ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा विद्युत वितरण के निजीकरण के लिए ड्राफ्ट इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल-2025 जारी किए जाने के बाद प्रदेश में पूर्वांचल व दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण प्रक्रिया बाधित हो सकती है।

इस ड्राफ्ट बिल के हवाले कर्मचारी व उपभोक्ता संगठनों ने प्रदेश में बिजली कंपनियों के निजीकरण की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने का दबाव बनाना शुरू कर दिया है।

उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग में लोक महत्व प्रस्ताव दाखिल कर 42 जिलों की बिजली के निजीकरण की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है। कहा है कि ड्राफ्ट पर अंतिम निर्णय होने तक निजीकरण प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा द्वारा नियामक आयोग में दाखिल लोक महत्व प्रस्ताव में कहा गया है कि बिल के माध्यम से विद्युत अधिनियम-2003 के ज्यादातर महत्वपूर्ण प्रविधानों में संशोधन की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जिस पर नियामक आयोग को भी राय देनी है।

ऐसे में अब निजीकरण की प्रक्रिया रोकी जाए। जिन प्रस्तावों पर संशोधन के लिए राय मांगी गई है उसमें निजीकरण भी शामिल है। जब तक बिल-2025 पर अंतिम निर्णय नहीं हो जाता तब तक निजीकरण से संबंधित किसी भी कार्रवाई को स्थगित रखा जाए। निजीकरण प्रक्रिया को आगे बढ़ाना संवैधानिक मर्यादाओं का उल्लंघन होगा।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि निजीकरण के नए ड्राफ्ट को देखते हुए पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण का निर्णय वापस लिया जाए। समिति द्वारा इसके लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा जाएगा।

कहा गया है कि बिल-2025 में यह प्रविधान है कि सरकारी क्षेत्र में काम कर रहे विद्युत वितरण निगमों को काम करने दिया जाएगा। इसके साथ ही निजी कंपनियों को सरकारी विद्युत वितरण निगमों के मौजूदा नेटवर्क का इस्तेमाल कर विद्युत वितरण के लिए वितरण लाइसेंस दिए जा सकेंगे।

सरकारी विद्युत वितरण निगमों के नेटवर्क का इस्तेमाल करने की निजी घरानों को अनुमति देने का यह प्रविधान जनहित में नहीं है। बिल-2025 के अनुसार सरकारी क्षेत्र में विद्युत वितरण निगमों को बनाए रखने का प्रविधान है तो प्रदेश के 42 जिलों में बिजली के निजीकरण का निर्णय बिल का विरोध है।
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