दिल्ली के तीन हॉटस्पॉट… सड़कों पर बिछीं 60 लाशें, एक के बाद एक सीरियल ब्लास्ट; 20 साल बाद भी सवाल- गुनहगार कौन?

deltin33 2025-10-29 11:36:28 views 1237
  



दीवाली पर बाजार मत जाना… मार्किट में बहुत भीड़ होगी, अभी मत जाओ… लावारिस बैग मिलने पर इसकी सूचना तुरंत पुलिस को दें। ऐसे तमाम वाक्य आपने जरूर सुने होंगे। वो एक ऐसी घटना जिसके बाद दिल्ली के बाजारों में सिक्योरिटी बढ़ाई गई। वो एक घटना जिसे याद करके आज भी दिल्लीवासी सिहर जाते हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

तहकीकात सीरीज की ये स्टोरी दिल्ली को दहला देने वाले उन सीरियल ब्लास्ट पर है, जब राजधानी में सड़कों पर लाशें ही लाशें बिछ गई थीं।


तारीख- 29 अक्टूबर 2005

टारगेट- दिल्ली के सबसे भीड़भाड़ वाले इलाके

जगह- सरोजनी नगर, कालकाजी और पहाड़गंज

दिन- धनतेरस

मकसद- दिल्ली को दहलाना

धनतेरस। शाम के 5.38 बज रहे थे। पूरी दिल्ली दीवाली के रंग में सजी हुई थी। बाजार यहां मौजूद खरीदारों की आवाज से खिलखिला रहे थे। कोई सोना-चांदी खरीद रहा था, तो कोई खरीद रहा था बच्चों के लिए मिठाई… कोई मां के लिए साड़ी खरीद रहा था तो कोई लक्ष्मी-गणेश पूजा के लिए सामग्री।

1…2…3 और…. ब्लास्ट।

हे भगवान! ये क्या हो गया? मेरा बच्चा, मेरा परिवार, मम्मी…. ये क्या हो गया? सड़कों पर किसी का हाथ, किसी का पांव, किसी का सिर… चीथड़े उड़े हुए… लाशें ही लाशें… बस रह गई तों यादें।

यह धमाका केवल एक जगह नहीं था। बल्कि तीन-तीन जगह हॉटस्पॉट पर ये ब्लास्ट हुए।
पहला बॉम्ब ब्लास्ट- शाम 5 बजकर 38 मिनट
पहाड़गंज

दिल्ली के पहाड़गंज की नेहरू मार्केट, जो कि धनतेरस की खरीदारी के लिए खचाखच भरी हुई थी। यहां छह टूटी चौक पर स्थित ज्वैलरी शॉप के पास बम ब्लास्ट हुआ। यहां मौजूद लोगों के चीथड़े उड़ गए। इस धमाके में 9 लोगों ने जान गंवाई थी, जबकि, 60 लोग घायल हुए थे।



दूसरा बॉम्ब ब्लास्ट- शाम 5 बजकर 52 मिनट

कालकाजी

दिल्ली में सबसे चलता फिरता हॉटस्पॉट कालकाजी का एक बस स्टॉप था, जहां दूसरा धमाका हुआ। ये धमाका डीटीसी की एक बस में हुआ। ओखला फेस 1-गोविंदपुरी के इलाके से बस गुजर रही थी बस में एक संदिग्ध बैग पाया गया। हालांकि, इस ब्लास्ट में बस ड्राइवर कुलदीप सिंह के अलावा किसी के अलावा कोई हताहत नहीं हुआ। दरअसल, ड्राइवर कुलदीप और कंडक्टर बुध प्रकाश की सूझबूझ ने बस में सवाल करीब 60 से अधिक सवारियों की जान बचा ली। फिर भी इस धमाके में चार लोग घायल हो गए थे।

डीटीसी बस ड्राइवर कुलदीप से दैनिक जागरण की टीम ने इन डेप्थ में बात की और 20 साल पहले हुए ब्लास्ट के बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश की। कुलदीप ने जो उस समय बहादुरी दिखाई उनकी जगह शायद ही कोई ऐसा कर पाता।

कुलदीप बताते हैं-

\“इस बस में कंडक्टर बुध प्रकाश थे, जिनकी सबसे पहले नजर इस बैग पर पड़ी। ये बैग बस की तीसरी-चौथी सीट के बीच में रखा हुआ था। तुरंत बस को रोका गया। ड्राइवर कुलदीप सिंह ने सबसे पहले तो बस को रोकने की एक सुरक्षित जगह ढूंढी। फिर बस से सभी सवारियों को फटाफट उतारा गया। कालका जी बस डिपो के बास दो सिग्नल पड़ते हैं। मैंने दाईं तरफ देखा तो श्री राम नर्सिंग होम था वहीं एक बड़ी घड़ी लगी थी। उस घड़ी में 5 बजकर 50 मिनट हो रहे थे।\“

मैं वो बैग उठाकर आगे बढ़ा, उस बैग से टिक-टिक आवाज सुनाई दे रही थी। पेड़ के नीचे बैग रखने के तीन कदम दूर गया और तभी ब्लास्ट हो गया। ब्लास्ट इतना भयावह था कि उस समय मुझे कुछ पता नहीं लगा। मैं बेहोश हो गया। सात दिन बाद होश आया तो, मेरी दोनों आंखों की रोशन जा चुकी थी। मेरा दाहिना कान खराब हो गया। दाहिने हाथ की तीन उंगलियां भी कट गईं। मेरा आधा शरीर जला हुआ था।’



तीसरा बम ब्लास्ट- 5 बजकर, 56 मिनट
सरोजनी नगर

डीटीसी बस में हुए ब्लास्ट के ठीक 4 मिनट बाद ये धमाका दिल्ली के सबसे बड़े शॉपिंग हब सरोजनी नजर मार्किट में हुआ। यहां भी एक बैग में ही बम रखा गया था।

यहां पर एक श्याम जूस कॉर्नर के नाम से दुकान थी और जूस की इस दुकान पर काम करने वाले छोटू को ये बैग प्राप्त हुआ और दुकान के मालिक लाल चंद सलूजा ने तेज आवाज में पूछा- ‘अरे भाई साहब यहां किसी का बैग छूट गया है, अगर किसी का है तो ले जाओ, काफी देर हो गई।’ कोई नहीं आया तो मालिक ने छोटू को बैग खोलकर देखने के लिए कहा।

  

बैग को हाथ दबाकर देखा तो प्रेशर कूकर जैसा लगा। बैग खोलकर देखा तो प्रेशर कूकर में बॉम्ब था। छोटू ने इस बैग को सामने एक पार्क में लेकर जाने की कोशिश की। इन दोनों ने जैसे ही अगला कदम बढ़ाया ब्लास्ट हो गया। छोटू के चीथड़े उड़ गए।

ये वाला धमाका इससे पहले हुए दो धमाकों से भयावह था क्योंकि जूस कॉर्नर के पास दो और दुकानें थी, जिनके दो सिलेंडर भी फट गए, इससे आग और भड़क गई। 50 लोगों की मौत हुई और 127 लोग घायल हुए।

20 साल पहले सरोजनी मार्केट के श्याम जूस कॉर्नर के पास ब्लास्ट के कुछ घंटों पहले आखिर क्या हुआ होगा। इसके बारे में जानने के लिए दैनिक जागरण की टीम ने उस शाम यहां मौजूद विनोद पोद्दार से बात की।  

पोद्दार बताते हैं–

‘मैं अपने बेटे और बेटी के साथ खरीदारी के लिए बाजार गया था। बच्चों ने टिक्की खाने की जिद्द की। मैंने बेटे को वहां एक पत्थर पर बिठाया और मैं श्याम जूस कॉर्नर के पास मौजूद चाट की दुकान से टिक्की बनवाने लगा। मैंने टिक्की की प्लेट हाथ में ली और पीछे मुड़ा तभी एकदम से धमाका हुआ। मैं काफी दूर उड़कर गिरा। मुझे मेरी बेटी दिखी, लेकिन मेरी दोनों टांगें बची नहीं थीं। मैं रेंग-रेंगकर बेटी के पास पहुंचा, उसे जैसे-तैसे एक जगह पर बिठाया, उसे कहा कि बेटा यहीं बैठना, कोई न कोई बचाने जरूर आएगा।’


किसी को क्या पता था कि धनतेरस की वो शाम इतनी मनहूस होगी। दिल्ली में हुए इन तीनों सीरियल ब्लास्ट में करीब 67 लोगों की मौत और 200 से ज्यादा लोग जख्मी हुए। इन धमाकों ने न केवल शारीरिक तौर पर बल्कि मानसिक रूप से भी गहरे जख्म दिए हैं। जो सालों साल या किए जाएंगे।

  
साजिश रचने वाले आतंकी कौन थे?

ब्लास्ट के बाद तीन नाम ऐसे थे, जिनपर दिल्ली को दहलाने और साजिश रचने के आरोप थे।


  • तारिक अहमद डार

  • मोहम्मद हुसैन फाजिल  

  • मोहम्मद रफीक शाह



दर्ज की गईं तीन अलग-अलग FIR

पुलिस ने इस पूरे केस में तीन अलग-अलग FIR दर्ज की।

पहला- देश के खिलाफ युद्ध छेड़ना

दूसरा- हथियार जुटाना, साजिश रचना

तीसरा- हत्या और हत्या के प्रयास  

  
12 साल तक चली सुनवाई

  • ब्लास्ट में मरने वाले लोगों के स्वजन को चार-चार लाख और घायलों को एक-एक लाख रुपए मुआवजा दिया गया। लेकिन आज भी जख्म गहरे हैं, आतंकियों को अब तक फांसी की सजा न मिल पाने से पीड़ितों की आंखें पत्थर बनी हुई हैं।  
  • केस में 12 साल तक सुनवाई चली, फरवरी 2017 में  पटियाला हाउस कोर्ट ने दो आरोपित मोहम्मद रफीक शाह और हुसैन फाजिली को बरी कर दिया। आरोपित तारिक अहमद डार को सजा तो सुनाई गई, लेकिन बम धमाकों में शामिल होने के लिए नहीं बल्कि लश्कर-ए-तैयबा (LIT) से होने के कारण उसे 10 साल की सजा मिली।  
  • तीनों 12 साल से जेल में बंद थे। लिहाजा तारिक अहमद डार को भी जेल से रिहा कर दिया गया। जिस दिन कोर्ट ने यह फैसला सुनाया कोर्ट में मौजूद धमाकों में मारे गए लोगों के व रिश्तेदार सन्न रह गए थे।
  • खचाखच भरी अदालत में लोग आपस में एक दूसरे से पूछने लगे कि फिर धमाका किसने किया। कुछ लोग फैसला सुनकर रो थे तो कुछ इतने सदमे में आ गए थे कि मानों पैरों तले जमीन खिसक गई। किसी का मन इस बात को लेकर दुखी हुआ कि उन्हें इंसाफ नहीं मिल पाया।


अभियोजन (Prosecution) पक्ष पेश नहीं कर पाया पुख्ता सबूत


दिल्ली में हुए से सीरियल ब्लास्ट अब तक के देश में हुए अब तक के टॉप-10 ब्लास्ट केस में से एक है। लेकिन, हैरानी की बात ये है कि न तो दिल्ली पुलिस और ना ही अभियोजन पक्ष कोर्ट को अपने सबूतों से कोर्ट को राजी कर पाया।

  
तीन बातें साबित हो जातीं तो सजा काट रहे होते आरोपी


  • अहमद डार, मोहम्मद रफ़ीक शाह और मोहम्मद फ़ज़ली के बीच कनेक्शन साबित नहीं हुआ।

  • कैसे माना जाए कि तारिक डार ने कोई साज़िश रची थी? सबूत न होने पर कोई आरोप नहीं बना।

  • दिल्ली पुलिस का मुख्य सबूत- डार ने LiT हैंडलर से बात की और किसी दीवाली गिफ्ट की बात हुई।
like (0)
deltin33administrator

Post a reply

loginto write comments
deltin33

He hasn't introduced himself yet.

1110K

Threads

0

Posts

3310K

Credits

administrator

Credits
337878

Get jili slot free 100 online Gambling and more profitable chanced casino at www.deltin51.com, Of particular note is that we've prepared 100 free Lucky Slots games for new users, giving you the opportunity to experience the thrill of the slot machine world and feel a certain level of risk. Click on the content at the top of the forum to play these free slot games; they're simple and easy to learn, ensuring you can quickly get started and fully enjoy the fun. We also have a free roulette wheel with a value of 200 for inviting friends.