आरोप तय होने में देरी पर SC ने जताई चिंता, पूरे देश के लिए दिशा निर्देश तय करने के दिए संकेत

Chikheang 2025-10-30 02:37:23 views 1242
  

आरोप तय होने में देरी पर SC ने जताई चिंता (फाइल फोटो)



जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर मुकदमों की धीमी रफ्तार और आरोपतय होने में देरी पर चिंता जताई है। शीर्ष अदालत ने आरोपपत्र दाखिल होने के बाद आरोप तय होने में वर्षों की देरी पर बुधवार को चिंता जताते हुए इस संबंध में देश भर के लिए दिशानिर्देश तय करने के संकेत दिए। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

कोर्ट ने इस संबंध में सुनवाई और विचार का मन बनाते हुए अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणी और सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से मामले की सुनवाई में मदद करने का अनुरोध किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने वरिष्ठ वकील सिद्दार्थ लूथरा को केस में न्यायमित्र नियुक्ति किया है।
19 नवंबर को फिर होगी सुनवाई

मामले मे 19 नवंबर को फिर सुनवाई होगी। ये आदेश न्यायमूर्ति अर¨वद कुमार और एनवी अंजारिया की पीठ ने बिहार के एक मामले में सुनवाई के दौरान बुधवार को दिए। कोर्ट ने आरोप तय होने में अत्यधिक देरी पर नाराजगी जताते हुए कहा कि कई मामलों में तो तीन-चार वर्ष सिर्फ बिंदु तय करने में लग जाते हैं। पीठ ने कहा कि जब एक बार आरोपपत्र दाखिल हो गया तो जल्दी से जल्दी आरोपतय होने चाहिए।

अगर कोई आरोपों को चुनौती देता है और आरोपमुक्त होता है तो वह अलग बात है। पीठ ने पाया कि आरोपतय होने में लगभग सभी जगह पूरे देश में देरी होती है। जबकि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएस) में स्पष्ट है कि पहली सुनवाई के 60 दिन के भीतर आरोपतय होने चाहिए। कोर्ट ने आरोपतय होने के बारे में पूरे देश में समान नियम होने की जरूरत बल देते हुए इस संबंध में देश भर के लिए दिशानिर्देश तय करने के संकेत दिए ताकि सभी मामलों में समय से आरोपतय होना सुनिश्चित हो।
किन्हें किया गया नियुक्त

कोर्ट ने सिद्दार्थ लूथरा के अलावा वरिष्ठ वकील नागामुत्थू को भी न्यायमित्र नियुक्ति किया है इसके अलावा अटार्नी जनरल आर वेंटकरमणी और सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से सुनवाई में मदद करने का अनुरोध किया है। कोर्ट ने जब सालिसिटर जनरल तुषार मेहता को स्थिति बताते हुए मामले की सुनवाई में मदद करने का अनुरोध किया तो मेहता ने कहा कि नये कानून में तो इसके लिए टाइमलाइन तय की गई है।

कोर्ट ने कहा कि सुनवाई के दौरान आप ये बताइयेगा। मामले में 19 नवंबर को फिर सुनवाई होगी। बिहार के डकैती और हत्या के प्रयास के एक मामले में विचाराधीन कैदी की याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ये टिप्पणियां कीं। विचाराधीन कैदी अमन कुमार के केस में पुलिस ने 30 सितंबर 2024 को आरोपपत्र दाखिल कर दिया था।

इस मामले में अमन कुमार ने निचली अदालत और हाई कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर जमानत मांगी है। याचिका में अन्य आधारों के अलावा यह भी दलील दी गई है कि उसे विचाराधीन कैदी के रूप में अनिश्चितकाल के लिए नहीं रखा जा सकता।
कोर्ट ने जताई नाराजगी

जब कोर्ट ने देखा कि मामले में आरोप तय नहीं हुए हैं तो कोर्ट ने आरोप तय होने में देरी पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यह क्या है। ऐसी स्थिति जारी नहीं रह सकती। पुलिस के आरोपपत्र दाखिल करने के बाद जल्दी से जल्दी आरोप तय होने चाहिए।

जबकि कई बार हम देखते हैं कि आरोपों के बिंदु तय करने में ही तीन से चार साल लग जाते हैं। कुछ लोग आरोपमुक्त हो सकते हैं यह ठीक है लेकिन इस बारे में पूरे देश के लिए समान दिशा निर्देश तय करने की जरूरत है। कोर्ट ने केस के कागजात अटार्नी जनरल को भेजने का निर्देश दिया है।

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