आंध्र प्रदेश-बंगाल पर घटेगी निर्भरता, अब कानपुर में सिंघाड़ा साथ होगा मछली पालन

cy520520 2025-11-4 02:07:15 views 1181
  

किसानों को मिलेगा सरकारी अनुदान।



जागरण संवाददाता,कानपुर। मत्स्य उत्पादन में आत्मनिर्भरता की दिशा में अब एक नई पहल होने जा रही है। जिले में सिंघाड़ा की खेती के साथ मछली पालन को जोड़ने की योजना बनाई गई है, ताकि किसान एक ही तालाब से दोहरी कमाई कर सकें। मत्स्य विभाग का मानना है कि यह प्रयोग स्थानीय उत्पादन को बढ़ाने के साथ-साथ बाहर से मछली की आपूर्ति पर निर्भरता को कम करेगा। इसके लिए सरकार प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना से मछली पालकों को ढाई से चार लाख तक की सब्सिडी भी देगा।

जिले में इस समय लगभग 1200 मछली पालक सक्रिय हैं, जो मछली पालन और बिक्री के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। इसके बावजूद, आंध्र प्रदेश और बंगाल से प्रतिदिन करीब 60 टन पर्यासी मछली शहर में लाई जा रही है। स्थानीय उत्पादन की कमी को देखते हुए विभाग ने अब खेती और मत्स्य पालन को जोड़ने की दिशा में कदम बढ़ाया है। मत्स्य निरीक्षक सुनील कुमार ने बताया कि विभाग ने मछली पालकों के लिए ऐसी योजना तैयार की है, जिसमें तालाबों में सिंघाड़ा की फसल के साथ मछली पालन किया जा सकेगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

उन्होंने बताया कि सिंघाड़ा पानी की सतह पर फैलता है, जबकि मछलियां नीचे तैरती हैं। इससे दोनों को एक-दूसरे से कोई दिक्कत नहीं होती और किसान एक ही जल क्षेत्र से दो फसलों का लाभ उठा सकते हैं। जिले में 590 ग्राम पंचायतों में 753 तालाब हैं, जो अभी पट्टे पर दिए गए हैं। इन तालाबों को सिंघाड़ा के साथ ही मछली पालन के लिए उपयोग किया जाएगा। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत किसानों को ढाई से चार लाख का अनुदान भी दिया जाएगा। जिसमें तकनीकी सहायता, बीज और चारा उपलब्ध कराया जाएगा ताकि उन्हें शुरुआती चरण में कोई परेशानी न हो।

मत्स्य विभाग किसानों को प्रशिक्षण शिविरों के माध्यम से संयुक्त खेती की तकनीक का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। जल्द ब्लाक स्तर पर मत्स्य विभाग के अधिकारी प्रशिक्षण शिविर आयोजित करके इसकी जानकारी भी देंगे। विभाग का मानना है कि यदि किसान इस माडल को अपनाते हैं तो जिले में मछली उत्पादन में 25 प्रतिशत तक मछली उत्पादन में बढ़ोतरी होगी, जिससे इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को सीधा फायदा भी होगा। मत्स्य निरीक्षक ने कहा कि लक्ष्य अगले दो वर्षों में कानपुर को मत्स्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने का है। उन्होंने कहा सिंघाड़ा और मछली पालन का यह माडल न सिर्फ किसानों की आमदनी बढ़ाएगा बल्कि स्थानीय बाजार में ताजी मछली की उपलब्धता कराएगा।
विदेश में भारतीय मछली की बढ़ रही मांग

मत्स्य विभाग के अधिकारियों ने विदेश में भारतीय मछली की मांग बढ़ रही है। अगर मछली का निर्यात शुरू होगा तो आठ से 10 गुणा दाम मिलने पर सीधा फायदा पालकों को मिलेगा। मौजूदा समय में जिले में रोहू, कतला, नैन, ग्रास कार्य कामन कार्य और पर्यासी मछली का उत्पादन हो रहा है, लेकिन आंध्र प्रदेश और बंगाल की तरह सरकार प्रदेश में मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है।

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