Masik Durgashtami 2025: मासिक दुर्गाष्टमी के दिन क्या करें और क्या नहीं? न करें ये काम

LHC0088 2025-11-21 19:07:40 views 699
  

Masik Durgashtami 2025: मासिक दुर्गाष्टमी के नियम।



धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी मनाई जाती है। यह दिन मां दुर्गा को समर्पित है। इस दिन व्रत करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और उन्हें सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार मासिक दुर्गाष्टमी 28 नवंबर को मनाई जाएगी। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से जीवन में शुभता आती है। साथ ही मां दुर्गा की कृपा मिलती है, तो आइए इस दिन (Masik Durgashtami 2025) से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं - विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

  
मासिक दुर्गाष्टमी के दिन क्या करें? (Masik Durgashtami 2025 Dos)

  • इस दिन सुबह स्नान के बाद, पूजा स्थल पर गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें।
  • मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें और कलश स्थापना करें।
  • मां को लाल रंग के फूल, रोली, अक्षत, धूप, दीप और भोग अर्पित करें।
  • इस दिन दुर्गा चालीसा, दुर्गा सप्तशती का पाठ करना बहुत शुभ फलदायी होता है।
  • मां दुर्गा के मंत्र जैसे कि “ॐ दुं दुर्गायै नमः“ का जाप करें।
  • अगर संभव हो तो इस दिन छोटी कन्याओं को घर बुलाकर भोजन कराएं, उनका पैर छूकर आशीर्वाद लें और उन्हें दक्षिणा व उपहार दें।
  • इस दिन सात्विक भोजन ग्रहण करें।
  • इस दिन महिलाओं का अपमान न करें।

मासिक दुर्गाष्टमी के दिन क्या नहीं करें? (Masik Durgashtami 2025 Donts)

  • इस दिन मन और वाणी दोनों पर नियंत्रण रखना चाहिए। ऐसे में किसी का अपमान गलती से भी न करें।
  • मासिक दुर्गाष्टमी के दिन मांस, मदिरा, प्याज और लहसुन का सेवन बिल्कुल भी न करें। यह तामसिक आहार माना जाता है, जो पूजा की पवित्रता को नष्ट करता है।
  • मां दुर्गा की पूजा में काले वस्त्र पहनना अशुभ माना जाता है। ऐसे में इस दिन लाल, पीला या अन्य शुभ रंग के वस्त्र धारण करें।
  • व्रत रखने वाले व्यक्ति को मासिक दुर्गाष्टमी के दिन दिन में नहीं सोना चाहिए। ऐसे में इस दिन भजन-कीर्तन व मां का ध्यान करें।
  • इस पवित्र तिथि पर नाखून काटना या बाल कटवाना अशुभ माना जाता है।

पूजन मंत्र ( Masik Durgashtami 2025 Puja Mantra)

  • सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्तिमन्विते। भये भ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमो स्तुते।।
  • या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
  • सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते।।
  • ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।


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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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