Dehradun: विवाह में नशे पर प्रतिबंध, केवल तीन गहने पहनेंगी महिलाएं; उल्लंघन पर लगेगा एक लाख रुपये का दंड

Chikheang 2025-11-22 04:07:09 views 1264
  

जौनसार की खत शैली से जुड़े गांवों के ग्रामीण दोहा गांव में हुई बैठक में समाज हित के फैसले लेने को विचार मंथन करते हुए। ग्रामीण



संवाद सूत्र, जागरण, चकराता (देहरादून) : जौनसार बावर की खत शैली के ग्रामीणों ने शुक्रवार को बैठककर समाज हित के नौ अहम फैसले लिए। सर्वसम्मति निर्णय लिया गया कि वैवाहिक कार्यक्रमों में अब अंग्रेजी शराब या बियर और फास्ट फूड (चाऊमीन, मोमो, टिक्की, चाट) नहीं परोसे जाएंगे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

ऐसे कार्यक्रमों में महिलाएं नाक में फुली, कान में झुमकी या तूंगल और गले में कांडुडी या मंगलसूत्र ही पहन सकेंगी। खास बात यह है कि इन निर्णयों का उल्लंघन करने वाले परिवार के कार्यक्रम में खतवासी शामिल नहीं होंगे। साथ ही संबंधित परिवार से एक लाख रुपये दंड वसूला जाएगा।

खत के सदर स्याणा राजेंद्र सिंह तोमर की अध्यक्षता में गांव दोहा में हुई बैठक में 25 गांवों के ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया। यह भी तय किया गया कि चालदा महासू देवता का दोहा गांव से कचटा के लिए प्रस्थान बारह खतों की ओर से तय किए गए कार्यक्रम के अनुसार दो वर्ष के प्रवास के बाद जून 2026 में किया जाएगा।

13 दिसंबर 2025 को ग्राम कचटा के खत कोरू के गणमान्य व्यक्तियों का एक दल चालदा देवता के कार्यक्रम की रूपरेखा तय करने दोहा आएगा। यह भी निर्णय लिया गया कि वैवाहिक कार्यक्रमों में परिवार की शादीशुदा बेटी की ओर से दिया जाने वाला बकरा भी स्वीकार नहीं होगा।

बारिया के जाग (परिवार में पहली शादी) में मौखी (मामा) द्वारा बकरा, आटा, चावल व कच्ची दारू दी जा सकेगी पर मिठाई पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगी।
रहिणी भोज में भी लागू होंगे यह निर्णय

बैठक में तय हुआ कि यह निर्णय रहिणी भोज में भी लागू होंगे। रहिणी भोज में मिठाई व फल दिए जा सकते हैं, लेकिन ड्राई फ्रूट व गिफ्ट नहीं दिए जाएंगे। उपहार स्वरूप चांदी का सिक्का देना भी प्रतिबंधित रहेगा। जौनसार बावर में \“रहिणी भोज\“ एक सामाजिक परंपरा है। इसके तहत पूरे गांव या खत (पट्टी) के लोगों को मेहमान के रूप में बुलाया जाता है। यह पारंपरिक रूप से विवाह और अन्य सामाजिक आयोजनों का एक हिस्सा है।
यहां लिए जा चुके हैं ऐस फैसले

इससे पूर्व चकराता तहसील की ग्राम पंचायत खारसी, मानुवा, गेहरी, कंदाड़ आदि में भी महिलाओं के अधिक आभूषण पहनने पर प्रतिबंध से संबंधित फैसले लिए जा चुके हैं। फैसले के तहत महिलाएं केवल सोने के तीन गहने ही पहन सकती हैं।

इसके पीछे तर्क है कि वर्तमान में महिलाएं सोने के आभूषण पहन कर विभिन्न कार्यक्रमों में सम्मिलित होती हैं, यह उचित नहीं है। इससे गांव में जो लोग आर्थिक रूप से कमजोर हैं, उन्हें भी देखादेखी में लाखों रुपये कर्ज लेकर महिलाओं के लिए सोने के आभूषण बनवाने पड़ते हैं।

ऐसे में गांव में एकता और बराबरी की भावना विकसित करने के लिए सर्वसम्मति से पंचायत कर इस तरह के फैसले लिए जा रहे हैं।

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