PPF vs EPF: दोनों में क्या अंतर,15 साल तक निवेश करने पर कौन बनाएगा बड़ा फंड?
नई दिल्ली| हम सब चाहते हैं कि हमारी कमाई का कुछ हिस्सा सुरक्षित भी रहे और रिटायरमेंट तक बड़ा फंड भी बनाकर दे। नौकरीपेशा हों या फिर बिजनेस करने वाले, हर किसी के दिमाग में यही सवाल रहता है कि पैसा कहां लगाएं कि बिना रिस्क के अच्छा ब्याज और टैक्स, दोनों का फायदा भी मिले? यही वजह है कि लोग अक्सर PPF यानी पब्लिक प्रोविडेंट फंड और EPF यानी एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड को लेकर कंफ्यूज रहते हैं। दोनों ही गवर्नमेंट-बैक्ड स्कीमें हैं, लेकिन इनमें फर्क (PPF vs EPF difference) क्या है और किसमें ज्यादा रिटर्न मिलता है? तो चलिए आसान कैलकुलेशन से समझते हैं सबकुछ। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
पीपीएफ क्या है? (What is PPF)
नौकरीपेशा हों या बिजनेसमैन, पीपीएफ में हर भारतीय निवेश कर सकता है। इसमें अकाउंट पोस्ट ऑफिस या फिर चुनिंदा बैंकों में खुलता है और लॉक-इन पीरियड 15 साल का होता है। इसमें सालाना न्यूनतम 500 रुपए और अधिकतम 1.5 लाख रुपए जमा कर सकते हैं। अभी इस पर 7.1% ब्याज मिल रहा है। मैच्योरिटी और ब्याज, दोनों टैक्स-फ्री हैं। मैच्योरिटी के बाद इसे 5-5 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है।
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ईपीएफ क्या है? (What is EPF)
ईपीएफ सिर्फ नौकरीपेशा लोगों के लिए है। इसमें कर्मचारी और कंपनी दोनों पैसा डालते हैं। कर्मचारी बेसिक सैलरी का 12% डालता है और उतना ही कंपनी भी योगदान करती है। इस पर अभी 8.15% सालाना ब्याज मिल रहा है। नौकरी बदलने पर खाता ट्रांसफर हो जाता है। रिटायरमेंट के बाद पूरी रकम टैक्स-फ्री मिलती है। जरूरत पड़ने पर कुछ शर्तों के साथ एडवांस निकासी की सुविधा भी है।
PPF vs EPF: रिटर्न देने में कौन आगे?
अगर ब्याज दर देखें तो तो पीपीएफ से ज्यादा ब्याज ईपीएफ में मिलता है। पीपीएफ में 7.1% ब्याज मिलता है। अगर आप हर साल में डेढ़ लाख रुपए जमा करते हैं तो आपको 15 साल बाद मैच्योरिटी पर 40 लाख रुपए फंड मिलेगा। बड़ा फंड तैयार करने में कंपाउंडिंग अहम भूमिका निभाता है। जबकि ईपीए में 8.15% ब्याज से यही रकम करीब 44 लाख तक पहुंच सकती है।
PPF vs EPF: किसमें ज्यादा फायदा?
पीपीएफ में हर कोई निवेश कर सकता है। यह सुरक्षित है और टैक्स छूट भी देता है। वहीं ईपीएफ नौकरीपेशा लोगों के लिए है। इसमें ब्याज ज्यादा मिलता है और रिटायरमेंट के लिए बढ़िया विकल्प है।
पर्सनल फाइनेंस से जुड़े एक्सपर्ट्स बताते हैं कि अगर आप नौकरी करते हैं तो ईपीएफ अपने आप ही आपके लिए सबसे बड़ा सेविंग टूल है। वहीं, नौकरीपेशा न होकर बिजनेस करते हैं या फ्रीलांसर हैं तो पीपीएफ आपके लिए बेस्ट है। दोनों ही निवेश लंबे समय में बड़ा फंड बनाने और टैक्स बचाने का सबसे भरोसेमंद जरिया हैं।
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