Ramayan Katha: रावण के देखते ही घास का तिनका उठा लेती थीं माता सीता, राजा दशरथ के वचन का रखा मान

Chikheang 2025-11-27 01:17:05 views 1104
  

माता सीता ने रखा राजा दशरथ के इस वचन का मान।



धर्म डेस्क, नई दिल्ली। रामचरितमानस में वर्णित एक प्रसंग के अनुसार, सीता जी अशोक वाटिका में रावण को अपनी व्यथा सुनाने के लिए तिनके का सहारा लेती हैं। इसी प्रसंग में सीता जी द्वारा राजा दशरथ को दिए गए एक वचन की कथा मिलती है। चलिए जानते हैं इसके बारे में - विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

तृण धर ओट कहत वैदेही
सुमिरि अवधपति परम् सनेही
क्या है पौराणिक कथा

एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार अयोध्या के राजभवन में राजा दशरथ समेत सभी लोग भोजन कर रहे थे। माता सीता ने अपने हाथों से खीर बनाई थी, जो वह सभी को परोसने लगीं, लेकिन तभी बहुत जोर से एक हवा का झौंका आया। उस समय सभी अपनी भोजन की पत्तलों को संभालने लगे। तब सीता जी ने देखा कि राजा दशरथ की खीर में एक तिनका आ गिरा। सीता जी सभी के सामने उस घास के तिनके को हाथ से नहीं निकाल सकती थीं।

  
राजा दशरथ ने देखा चमत्कार

तब माता सीता ने उस तिनके को एकटक देखना शुरू किया और तब तक पलक नहीं झपकाई, जब तक की वह तिनका जलकर राख की एक छोटी सी बिंदु बनकर नहीं रह गया। इसके बाद सीता जी ने इधर-उधर देखा और उन्हें लगा कि उन्हें किसी ने नहीं देखा, लेकिन यह सारा दृष्टि राजा दशरथ भी देख रहे थे। इसके बाद राजा दशरथ ने सीता जी को अपने कक्ष में बुलवाया और यह कहा कि भोजन के समय उनके द्वारा किए गए चमत्कार को वह देख रहे थे।

  

(AI Generated Image)
राजा ने लिया ये वचन

राजा दशरथ ने सीता जी से कहा कि आप साक्षात जगत जननी स्वरूपा हैं। साथ ही यह वचन लिया कि आज वह जिस दृष्टि से तिनके को देख रही हैं, वैसे कभी अपने शत्रु को भी न देखें। राजा दशरथ को दिए गए इसी वचन के कारण सीता जी ने कभी रावण को उस दृष्टि से नहीं देखा, वरना वह उसकी दृष्टि से ही राख हो सकता था। राजा दशरथ को दिए गए वचन को याद करने के लिए सीता जी एक तिनका उठा लेती थीं।

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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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