नेपाल के भक्तों ने रामलला को अर्पित किए 18 लाख रुपये, अब तक एक लाख नेपाली कर चुके दर्शन

LHC0088 2025-11-28 22:37:46 views 1057
  



प्रवीण तिवारी, अयोध्या। रामलला का दर्शन करने देश के कोने-कोने के श्रद्धालु नित्य आ रहे हैं। सभी रामलला के चरणों में अपनी आस्था निवेदित करते हैं। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 हुई थी, तब से लेकर लगभग एक वर्ष में नेपाल के भक्तों ने 18 लाख रुपये अर्पित किए हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

अलग-अलग देशों के बड़ी संख्या में भक्त रामलला का दर्शन करने आए, जिमसें अधिकांश अप्रवासी भारतीय हैं। इसमें नेपालियों की संख्या सर्वाधिक हैं। भक्त नेपाल के विभिन्न प्रांतों के हैं।

रामलला के दर्शन के बाद नेपाल के भक्त अपनी सामार्थ्य के अनुरूप धनराशि दानपात्र में डालते हैं। मंदिर के दानपात्रों में मिली धनराशि की गिनती से यह पता चला है। श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट इसकी गिनती कराकर इस धनराशि को भारतीय मुद्रा में बदलने की कार्यवाही प्रारंभ कर दी है।

हालांकि इन दानपात्रों में नेपाली रुपया के अतिरिक्त अमेरिका का डालर, श्रीलंकाई रुपया, भूटान का रुपया, बंग्लादेश व ब्रिटेन की मुद्रा पाउंड सहित अधिकांश दक्षिण एशियाई देशों की मुद्रा प्राप्त हुई, लेकिन ये बेहद कम हैं। इस व्यवस्था से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि कोलकाता में विदेशी मुद्रा (फारेक्स) में इसे विनियम के लिए भेजा गया है, यह भारतीय रिजर्व बैंक का कार्यालय हैं। यहां विदेशी मुद्रा देने पर भारतीय मुद्रा प्राप्त होती है।

राममंदिर में लगभग 20 दानपात्र लगे हैं। इसी में दर्शन करने वाले धनराशि अर्पित करते हैं। मंदिर से जुड़े एक पदाधिकारी ने बताया कि विदेशों में सबसे अधिक संख्या में नेपाल के निवासियों ने रामलला का दर्शन किया है। उन्होंने एक आकलन के अनुसार बताया कि एक लाख के करीब श्रद्धालुओं दर्शन कर चुके हैं।

ह बताते हैं कि राम मंदिर निर्माण होने के पूर्व भी अयोध्या धाम नेपाली भक्त आते रहे। अयोध्या नेपाल का सदियों पुराना रिश्ता है। भगवान राम की ससुराल जनकपुर नेपाल में हैं। नेपाली रामलला को दामाद जैसे पूजते हैं। ट्रस्ट के सदस्य डा. अनिल कुमार मिश्र ने बताते हैं कि बड़ी संख्या में रामभक्त रामलला का दर्शन करने आ रहे हैं। नेपाल से लोग बड़ी संख्या में आते हैं।
एसबीआइ में जमा होती दानपात्र से प्राप्त धनराशि

अयोध्या: राम मंदिर के दानपात्र में मिली धनराशि को एसबीआई बैंक अयोध्या में जमा किया जाता है। इसकी गिनती नित्य मंदिर परिसर में होती है। 20 से अधिक कर्मचारी लगे हैं, जिसमें ट्रस्ट के साथ बैंक कर्मी भी हैं।

नित्य गिनती कर इसे बैंक में जमा किया जाता है, लेकिन विदेश मुद्रा व सोना, चांदी अलग रखी जाती है। बाद में विदेशी मुद्रा को विनिमय के लिए भेजा जाता है। सोना चांदी भी एकत्र कर इसे एक सरकारी संस्था को देकर इसकी शुद्धता की जांच के लिए भेजा जाता है।
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