यूटा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर आटीई एक्ट की वैधानिकता को दी चुनौती

cy520520 2025-10-4 07:06:13 views 1242
  यूनाइटेड टीचर एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती। (फाइल फोटो)





माला दीक्षित, नई दिल्ली। कक्षा एक से आठ तक पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्यता ने जो मुश्किलें खड़ी की हैं, उसे लेकर उत्तर प्रदेश के यूनाइटेड टीचर एसोसिएशन (यूटा) ने उस कानून की वैधानिकता को ही सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी है जिसमें शिक्षकों के लिए न्यूनतम योग्यता में टीईटी को शामिल किया गया है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

यूटा ने अपने अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह राठौर के जरिए दाखिल याचिका में आरटीई कानून की धारा 23 (2) और संशोधित कानून की धारा 2 को चुनौती दी है जिसमें शिक्षकों के लिए न्यूनतम योग्यता विस्तारित कर टीईटी को न्यूनतम योग्यता में शामिल किया गया है। इस कानून में 2017 में किये गए संशोधन को सेवारत शिक्षकों के लिए पूर्व प्रभाव से लागू करने को मौलिक अधिकारों का हनन बताते हुए असंवैधानिक ठहराए जाने की मांग की गई है।


याचिका में क्या कहा गया?

याचिका में केंद्र सरकार, नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एसोसिएशन और उत्तर प्रदेश राज्य को प्रतिवादी बनाया गया है। कहा गया है कि टीईटी की योग्यता को पूर्व प्रभाव से लागू करने से उत्तर प्रदेश में उन सेवारत शिक्षकों की रोजीरोटी पर प्रभाव पड़ेगा जिनकी नियुक्ति उस समय लागू नियम कानूनों के मुताबिक हुई थी।

कहा है कि उत्तर प्रदेश में प्राथमिक और अपर प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति मौजूदा नीतियों के तहत होती आ रही है। 2001 से पहले प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता बीटीसी योजना में 12वीं पास थी। हजारों शिक्षकों की नियुक्ति इसी के अनुसार हुई है। इसके अलावा 1999, 2004 और 2007 में उत्तर प्रदेश राज्य ने शिक्षकों की कमी को देखते हुए विशेष बीटीसी भर्ती अभियान चलाया।


मृतक आश्रित कोटा भी

इस योजना में बीएड और बीपीएड पास अभ्यर्थियों की भर्ती की गई। एक दशक से ज्यादा समय से नौकरी कर रहे हैं। इसके अलावा राज्य में मृतक आश्रित कोटा भी है जिसमें शिक्षक की मृत्यु होने पर परिवार के सदस्य को आश्रित कोटा मे नौकरी दी जाती है। इन्हें 12वीं की योग्यता पर नौकरी दी गई और प्रशिक्षण दिया गया। ये सभी नियुक्तियां भर्ती के कानून और नियमों के मुताबिक हुईं।



कहा गया है कि 2009 में आरटीई कानून आया और एनसीटीई ने 25 अगस्त 2010 को अधिसूचना जारी कर शिक्षको के लिए न्यूनतम योग्यता तय की। इसके बाद 2017 में इस कानून में संशोधन हुआ और शिक्षको को न्यूनतम योग्यता हासिल करने के लिए 31 मार्च 2019 तक का समय दिया गया।

याचिका में कहा गया है कि शिक्षकों की कई श्रेणियां ऐसी हैं जो नियमों के मुताबिक टीईटी नहीं कर सकती हैं। ऐसे में कानून को पूर्व प्रभाव से लागू नहीं किया जा सकता।



मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने गत एक सितंबर को दिए फैसले में कक्षा एक से आठ तक को पढ़ाने वाले सभी सेवारत शिक्षकों जिनकी नौकरी पांच वर्ष से ज्यादा बची है, के लिए टीईटी अनिवार्य कर दिया था। सभी शिक्षकों को दो वर्ष के भीतर टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) पास करनी होगी और जो इसमें नाकाम रहेंगे उन्हें अनिवार्य सेवानिवृति दे दी जाएगी।

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