Indian Railways News : कोच में धुआं बनते ही सायरन बोल उठेगा, रेल यात्रियों की सुरक्षा में बड़ा अपग्रेड

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मनीष कुमार, जागरण, समस्तीपुर ।  रेल सफर के दौरान अगर एसी कोच में आग लगने की घटना हुई तो अंदर लगा सायरन आटोमेटिक बजने लगेगा। इसके लिए कोच के अंदर फायर डिटेक्शन सिस्टम लगेगा।

समस्तीपुर रेल मंडल की ओर से लंबी दूरी की ट्रेनों में इसे लगाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सबसे पहले अहमदाबाद, दिल्ली और मुंबई से समस्तीपुर समेत अन्य गंतव्य स्थान पर पहुंचनेवाली ट्रेनों को इस सिस्टम से लैस किया जाएगा। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

सहरसा-अहमदाबाद एक्सप्रेस (19483/84) के सभी एसी कोच में फायर डिटेक्शन सिस्टम लगा दिया गया है। रेलवे बोर्ड ने सभी डिवीजन को चरणबद्ध तरीके से लंबी दूरी की सभी ट्रेनों में इसे लगाने का निर्देश जारी किया है। इसके बाद दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद से चलने वाली उन ट्रेनों को प्राथमिकता दी जा रही है, जो समस्तीपुर सहित बिहार के विभिन्न गंतव्यों तक आती हैं।  
कैसे काम करेगा यह आटोमेटिक सिस्टम

फायर डिटेक्शन सिस्टम के अंतर्गत एसी कोच की छत पर विशेष धुआं सेंसर लगाए गए हैं। जैसे ही कोच के अंदर किसी कारणवश धुआं प्रवेश करता है, सेंसर तुरंत सक्रिय हो जाता है और ऑटोमेटिक सायरन बज उठता है।

सायरन बजने के साथ ही यात्रियों और ट्रेन स्टाफ को सतर्क होने का संकेत मिल जाता है। इससे आग को शुरुआती स्तर पर ही नियंत्रित करने में बड़ी मदद मिलती है। रेल अधिकारियों का कहना है कि यह पूरा सिस्टम पूरी तरह से ऑटोमेटिक है और इसमें किसी भी प्रकार की मानवीय हस्तक्षेप की जरूरत नहीं पड़ती।  
स्मोकिंग डिटेक्शन सिस्टम पहले से मौजूद

लंबी दूरी की एसी ट्रेनों के साथ-साथ इंटरसिटी, राज्यरानी और जनहित एक्सप्रेस जैसी महत्वपूर्ण ट्रेनों में पहले से ही स्मोकिंग डिटेक्शन सिस्टम लगाया गया है। यदि कोई यात्री ट्रेन के टॉयलेट या गेट पर भी धूम्रपान करता है, तो सायरन तुरंत बजने लगता है।

इसे काफी पहले लागू कर दिया गया था और इसका अच्छा प्रभाव भी देखा जा रहा है, लेकिन अब एसी कोच में आग की रोकथाम के लिए रेलवे और अधिक उन्नत तकनीक का उपयोग कर रहा है।  
सिर्फ एसी कोच में ही लगेगा सिस्टम

रेल अधिकारियों के अनुसार, फिलहाल यह सिस्टम केवल एसी कोच में ही लगाया जाएगा। एसी कोच पूरी तरह से सील रहते हैं और इनमें वेंटिलेशन की कम सुविधा होती है। ऐसे में धुआं फैलने पर यात्रियों को खतरा अधिक होता है। इसके विपरीत, स्लीपर कोच में हवा का आवागमन बेहतर होता है, जिसके कारण धुआं उतनी तेजी से नहीं भरता।

इसी वजह से पहले एसी कोच में यह सिस्टम अनिवार्य किया जा रहा है। समस्तीपुर रेल मंडल ने भी जल्द ही अपने सभी लंबी दूरी की ट्रेनों के एसी कोच में यह सिस्टम लगाने की दिशा में तैयारी तेज कर दी है।  
ब्रेक वैडिंग से बढ़ती परेशानी

पिछले कुछ समय से पुरबिया एक्सप्रेस, कोसी एक्सप्रेस सहित कई लंबी दूरी की ट्रेनों में ब्रेक वैडिंग की शिकायतें लगातार यात्री कर रहे हैं। ब्रेक वैडिंग की वजह से कई बार एसी कोच में धुआं फैलने की घटनाएं सामने आई हैं।

हाल ही में अमृतसर-सहरसा गरीब रथ एक्सप्रेस में भी आग लगने की घटना हुई थी। हालांकि समय रहते यात्रियों की जान बचा ली गई, लेकिन ऐसी घटनाओं ने रेलवे प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। इन्हीं घटनाओं को देखते हुए रेलवे ने एसी कोच में फायर डिटेक्शन सिस्टम लगाने का निर्णय लिया है, ताकि आग लगने से पहले ही धुआं पहचानकर सतर्क होकर हादसों को रोका जा सके।  


चरणबद्ध तरीके से लंबी दूरी की सभी ट्रेनों को फायर डिटेक्शन सिस्टम से लैस किया जाएगा। फिलहाल अभी इसकी तैयारी चल रही है। सिर्फ एसी कोच को ही इस सुविधा से लैस किया जाएगा, क्योंकि एसी कोच में वेंटिलेटर की सुविधा नहीं होती है।


सरस्वती चंद्र,
सीपीआरओ, पूर्व मध्य रेलवे
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