जागरण संवाददाता, बरेली। नगर निगम की दुकानों नामांतरण नीति की विसंगतियों को दूर करने को लेकर गठित कमेटी की शुक्रवार को हुई बैठक हंगामे की भेंट चढ़ गई। कमेटी के अध्यक्ष एवं अपर नगर आयुक्त की ओर से प्रकरण न्यायालय में लंबित होने के चलते चर्चा नहीं हो सकने की बात कहने पर कमेटी के सदस्य और पार्षद राजेश अग्रवाल भड़क गए। कहा कि, अधिकारियों की ओर से व्यापारियों को राहत देने को लेकर तनिक भी गंभीरता नहीं दिखाई जा रही। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
इस पर अपर नगर आयुक्त ने आरोप को खारिज करते हुए प्रकरण के न्यायालय से जुड़े होने की बात कहते हुए शीघ्र ही विधिक परामर्श के अनुसार मंथन कर निर्णय लेने का हवाला दिया। मगर, इसके बाद कमेटी ने बिना किसी निर्णय के आगे की बैठक को स्थगित कर दिया।
नगर निगम बोर्ड की ओर निगम के दुकानों के नामांतरण-किराया निर्धारण को लेकर अपर नगर आयुक्त शशि भूषण राय की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है। इसको लेकर शुक्रवार को बैठक बुलाई गई। बैठक में पार्षद राजेश अग्रवाल ने अवगत कराया की सोमवार को होने वाली नीलामी में प्रेमनगर थाने के सामने स्थित 14.15 मीटर की दुकान के प्रीमियम के रूप में 2,22,900 रुपये सरकारी कीमत निर्धारित की है और किराये के रूप में प्रति माह 4,458 रुपये तय की है, जबकि वर्षों से काबिज दुकानदार नामंत्रण की गलत नीति के कारण इतनी बड़ी दुकान इस बाजार की प्रीमियम के रूप में 3,00,688 रुपए और किराये के रूप में 6,013 रुपये प्रति माह देंगे जो पुराने किरायेदारों के लिए अव्यवहारिक है।
इसी तरह पूर्व में डूडा आफिस के सामने की दुकान सिंतबर में 16.35 मीटर की दुकान 4,10,000 रुपये प्रीमियम और 7,766 रुपये प्रति माह किराये पर आवंटित की है, जबकि यदि पुराना दुकानदार सिविल लाइन क्षेत्र में अपना नाम परिवर्तन करवाता है तो उसे 5,10,950 प्रीमियम के रूप में रुपये देने होंगे और किराये के रूप में 10,219 किराया देना होता।
राजेश अग्रवाल ने मीटिंग का बहिष्कार किया और कहां ऐसी मीटिंगों से कोई लाभ नहीं है जहां पहले से जिम्मेदार मन बना कर बैठे हैं। बैठक के सदस्य पर्यावरण अभियंता राजीव राठी, मुख्य निर्धारण अधिकारी पीके दुबे, पार्षद छंगामल मौर्य, गौरव सक्सेना, मुकेश सिंघल, प्रभारी राजस्व समेत अन्य अधिकारी और सदस्य रहे। |