दिल्ली सरकार अपने 11 अस्पतालों को पीपीपी मॉडल पर संचालित करेगी।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने निर्माणाधीन अपने 11 अस्पतालों को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के ज़रिए चलाने की योजना बना रही है। इस दिशा में सरकार ने कदम आगे बढ़ा दिया है। सरकार के अनुसार इस पहल का मकसद स्वास्थ्य ढांचे का विस्तार करना और लंबे समय से अटकीं परियाेजनाओं को तेजी से पूरा करना है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
सरकार ने इस प्रस्ताव की वित्तीय, तकनीकी और संचालन व्यवस्था का आंकलन करने के लिए एक विस्तृत व्यवहार्यता अध्ययन कराने का फैसला लिया है। इसके लिए स्वास्थ्य सेवा निदेशालय ने टेंडर जारी किया है।
इस योजना के तहत नए 10,073 बेड जोड़े जाएंगे। जिसमें 4,314 आइसीयू बेड शामिल हैं। इस योजना में राजधानी के अलग-अलग हिस्सों में स्थित चार सामान्य अस्पताल और सात आइसीयू बेड वाले अस्पताल शामिल हैं।
दिल्ली सरकार ने पीपीपी माडल के तहत व्यवहार्यता अध्ययन के लिए जिन 11 अस्पतालों के बारे में फैसला लिया है। इनमें चार नए अस्पताल हैं, जिनमें तीन ज्वालापुरी, मादीपुर और हस्तसाल में लगभग बनकर तैयार हैं। इनमें प्रत्येक में 691 बेड हैं। इसके अलावा सिरसपुर में 1,164 बेड का अस्पताल बनना है।
इसके अलावा चार साल पहले आईसीयू बेड वाले जिन सात अस्पतपालों पर काम शुरू किया गया था, ये भी लगभग बनकर तैयार हैं। इसमें गुरु तेग बहादुर अस्पताल में 1,912 बेड, गीता कॉलोनी में 610 बेड, शालीमार बाग में 1,430 बेड, सुल्तानपुरी में 525 बेड, सरिता विहार में 336 बेड, रघुबीर नगर में 1,565 बेड और किराड़ी 458 बेड का अस्पताल है, जिस पर अभी काम शुरू नहीं हो सका है। मगर योजना में यह अस्पताल भी शामिल है।
अधिकारियों ने बताया कि पीपीपी मॉडल के तहत लगाई जाने वाली एजेंसियां पीपीपी मॉडल पर चल रहे अन्य अस्पतालों का अध्ययन करेंगी और ग्लोबल स्तर पर अध्ययन कर अपनी रिपोर्ट देंगी। जिसमें उनके फायदे और नुकसान के साथ-साथ टेक्नो-कमर्शियल स्ट्रक्चर की रूपरेखा बताई जाएगी।
चूंकि हर अस्पताल लोकेशन, आकार, क्षमता और क्लिनिकल सेवाओं की रेंज में अलग-अलग है, इसलिए हर परियोजना को एक स्टैंडअलोन केस के रूप में माना जाएगा, और हर सुविधा के लिए अलग-अलग अध्ययन और रिपोर्ट तैयार की जाएंगी। जिन कंपनियों को काम मिलेगा वे बचे हुए निर्माण कार्य को भी पूरा कराएंगी।
अधिकारियों ने बताया कि अलग-अलग प्राइवेट एजेंसियों द्वारा की जाने वाली फिजिबिलिटी स्टडी के नतीजों के आधार पर एग्रीमेंट में जिम्मेदारियों, जोखिमों, रेवेन्यू और मरीजों के लोड को शेयर करने के बारे में बताया जाएगा, जिसमें मुफ्त और पेड मरीजों का अनुपात भी शामिल होगा। क्षेत्र और सेवा मूल्यांकन, जिसमें जनसंख्या कवरेज, स्वास्थ्य सेवा की मांग, और मरीज़ों की प्रोफाइल का मूल्यांकन किया जाएगा, जिसमें ईडब्ल्यूएस, बीपीएल, डीजीईएचएस लाभार्थी तथा कम और मध्यम आय वाले वर्ग शामिल हैं।
अनुमानों के अनुसार सुविधाओं को पूरी तरह से सार्वजनिक क्षेत्र में पूरा करने और चलाने के लिए लगभग 9,000 करोड़ रुपये और 42,000 से ज़्यादा पदों के सृजन की आवश्यकता होगी। पीपीपी माडल के तहत निजी कंपनी निर्माण पूरा करने, उपकरण और संचालन के लिए ज़िम्मेदार होंगे, जबकि सरकार सार्वजनिक स्वास्थ्य उद्देश्यों का पालन सुनिश्चित करने के लिए निगरानी रखेगी। इन अस्पतालों में मुफ्त और भुगतान करने वाले दोनों तरह के मरीज़ों को सेवाएं देना शामिल हाेगा। |