search

Year Ender 2025: जम्मू-कश्मीर में 2025 बना 35 साल का सबसे शांत साल, लेकिन पहलगाम नरसंहार ने दिया सबसे गहरा जख्म

deltin33 Yesterday 21:57 views 811
  

जम्मू-कश्मीर में 2025 बना 35 साल का सबसे शांत वर्ष, पर पहलगाम नरसंहार की टीस बरकरार।



नवीन नवाज, श्रीनगर। पहलगाम नरसंहार और ऑपरेशन सिंदूर के लिए वर्ष 2025 हमेशा जम्मू-कश्मीर के इतिहास में दर्ज रहेगा, लेकिन विगत 35 वर्ष में जम्मू-कश्मीर ही सबसे कम आतंकी हिंसा वाला कोई कैलेंडर वर्ष भी है।

सुरक्षा परिदृश्य में व्यापक सुधार के बीच, आतंकी संगठनों में स्थानीय युवाओं की भर्ती भी अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंची और सीमा पार से आतंकियों की किसी बड़ी घुसपैठ का कोई मामला उजागर नहीं हुआ है और लगभग 18 आतंकी घुसपैठ की कोशिश में एलओसी पर ही मारे गए हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
अब तक की आतंकी घटनाओं में 92 लोगों की हो चुकी है मौत

जम्मू-कश्मीर पुलिस के मुताबिक, वर्ष 2025 में पहली जनवरी से 27 दिसंबर 2025 तक विभिन्न आतंकी घटनाओं में 92 लोगों की मौत हुई है। इनमें 36 आतंकी 18 सुरक्षाकर्मी और 38 नागरिक हैं। अलबत्ता, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान बलिदानी हुए नागरिकों और सुरक्षाकर्मियों की संख्या अगर जोड़ी जाए तो मौजूदा वर्ष में आतंकी हिंसा से संबंधित मामलों में मारे गए नागरिकों की संख्या लगभग 60 और बलिदानी सुरक्षाकमिर्यों की गिनती 25 के करीब पहुंच जाती है।

वर्ष की शुरुआत में जनवरी में सोपोर में एक सैन्यकर्मी आतंकरोधी अभियान में बलिदानी हुआ जबकि पुंछ में एलओसी पर सेना ने घुसपैठ का प्रयास कर रहे लश्कर-ए-तैयबा के दो आतंकियों को मार गिराया। फरवरी में आतंकियों ने दक्षिण कश्मीर के कुलगाम में एक भूतपूर्व सैन्यकर्मी व उसकी पत्नी की हत्या की।

जबकि ललयाली बट्टल अखनूर में नियंत्रण रेखा के पास आतंकियों द्वारा लगाई गई एक आइईडी से हुए धमाके में कैप्टन कर्मजीत सिंह और नायक मुकेश सिंह मनहास समेत दो दैन्यकर्मी बलिदानी हुए। मार्च में उत्तरी कश्मीर के जच्लडारा कुपवाड़ा में लश्कर आतंकी सैफुल्ला मारा गया जबकि जिला कठुआ के सनयाल इलाके में दो आतंकियों को मार गिराया गया। कठुआ में आतंकरोधी अभियान में चार पुलिसकर्मी भी वीरगति को प्राप्त हुए।
पहलगाम में धर्म पूछकर आतंकियों ने किया था हिंदुओं का कत्ल

अलबत्ता, अप्रैल ने पूरे कश्मीर के साथ पूरी दुनिया को दहला दिया। 22 अप्रैल को बैसरन पहलगाम में आतंकियों ने 25 हिंदुओं को उनका नाम पूछकर कत्ल किया। इस दौरान एक स्थानीय घोड़े वाला पर्यटकों को बचाने के क्रम में गोली लगने से मारा गया।

बीते पांच वर्ष में किसी एक कैलेंडर वर्ष में अप्रैल सबसे ज्यादा खूंरेज रहा है। इससे पूर्व 11 अप्रैल को केरी बटटल अखनूर में एक आतंकरोधी अभियान में सूबेदार कुलदीप चंद बलिदानी हुआ औ उसी दिन छातरु किश्तवाड़ में सुरक्षाबलों ने तीन आतंकियों को मार गिराया।

23 अप्रैल को बारामुला में घुसपैठ के प्रयास में दो आतकी भी मारे गए और 24 अप्रैल को बसंतगढ़ उधमपुर में हवालदार अली शेख बलिदानी हुआ जबकि 25 अप्रैल को बाडीपोर में लश्कर आतंकी अल्ताफ लाली मारा गया। आतंकियों ने 27 अप्रैल को एक सामाजिक कार्यकर्ता गुलाम रसूल मागरे की कुपवाड़ा में हत्या की।

पहलगाम नरसंहार के बाद सुरक्षाबलों ने आतंकरोधी अभियान को तेज किया और इस दौरान सीमा पार स्थित आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए ऑपरेशन सिंदूर भी किया गया। मई में पाकिस्तानी गोलाबारी में जम्मू-कश्मीर में तीन दर्जन नागरिक व सैन्यकर्मी बलिदानी हुए। इसी दौरान कश्मीर में सुरक्षाबलों ने तीन आतंकियों को मार गिराा जबकि एक सैन्यकर्मी भी वीरगति को प्राप्त हुआ।

जून के दौरान जम्मू-कश्मीर में एक नई बात देखने को मिली। जम्मू-कश्मीर के आतंकी हिंसा के इतिहास को अगर टटोला जाए तो जून-जुलाई में ज्यादा आतंक वारदातें नजर आएंगी, लेकिन जून 2025 में आतंकी हिंसा से संबंधित घटनाओं में एक भी नागरिक नहीं मारा गया, लेकिन 24 और 23 जून को नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ के प्रयास में क्रमश: एक और दो यानी कुल तीन आतंकी मारे गए। इसी दौरान 26 जून को बसंतगढ़ उधमपुर में सुरक्षाबलों ने भी एक आतंकी को मार गिराया।

जुलाई में कृष्णाघाटी में जाट रेजिमेंट का एक जवान ललित बलिदानी हुआ जबकि पहलगाम नरसंहार के गुनाहगारों में शामिल तीन आतंकियों को सुरक्षाबलों ने 28 जुलाई को श्रीनगर के साथ सटी महादेव की पहाड़ियो के बीच लिडवास में घेर मार गिराया।

पुंछ में दिगवार सेक्टर में सुरक्षाबलों ने 30 जुलाई को घुसपैठ कर रहे दो आतंकियों को मार गिराया। अगस्त में अलग-अलग मुठभेड़ो में पांच आतंकी मारे गए और तीन सैन्यकर्मी बलिदानी हुए। इनमें से दो सैन्यकर्मी कुलगाम में लगभग 10 दिन चले एक आतंकरोधी अभियान में वीरगति को प्राप्त हुए।

सितंबर में चार आतंकी और तीन सैन्यकर्मी मारे गए। अगस्त में पांच आतंकी, तीन सुरक्षाकर्मी व एक नागरिक समेत आठ लोग और सितंबर में चार आतंकी मारे गए व तीन सुरक्षाकर्मी बलिदानी हुए। अक्टूबर में दो व नवंबर में दो-दो यानी कुल चार आतंकी मारे गए। नवंबर में नौगाम पुलिस स्टेशन में भीषण विस्फोट में नौ लोगों की मौत हुई। मौजूदा दिंसबर में एक सुरक्षाकर्मी आतंकरोधी अभियान में बलिदानी हुआ है।

सितंबर, अक्टूबर और दिसंबर में जम्मू-कश्मीर में एक भी नागरिक आतंकी हिंसा में नहीं मारा गया, जो बीते 35 वर्ष में एक नया रिकॉर्ड है। नवंबर में नौगाम पुलिस स्टेशन में हुए विस्फोट में नौ लोगों की मौत हो गई, जिनमें पांच सुरक्षाकर्मी थे।
जम्मू-कश्मीर में कमजोर हुआ आतंकियों को नेटवर्क

जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस वर्ष में आतंकी हिंसा की घटनाओं में कमी को विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के बीच व्यापक तालमेल और कानून व्यवस्था में राजनीति हस्तक्षेप की समाप्ति को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि आतंकियों के प्रति शून्य सहिष्णुता की नीति विगत तीन-चार वर्ष में सही मायनों में लागू हो पाई है।

सुरक्षा एजेंसियों ने जिस तरह से आतंकियों व उनके समर्थकों की संपत्ति को कुर्क करने का काम शुरू किया है, उससे भी आतंकियों का नेटवर्क कमजोर हुआ है। आम लोगों में जो आतंकियों का भय समाप्त हुआ है, उसके बाद लोग खुलकर आतंकियो के बारे में सुरक्षाबलों को सूचित कर रहे हैं, उन्हें किसी जगह अगर कोई संदिग्ध गतिविधि नजर आती है तो वह तुरंत पुलिस को सूचित कर रहे हैं। इसलिए आज जम्मू-कश्मीर में स्थानीय आतंकियों की संख्या दहाई के आंकड़े से नीचे है, विदेशी आतंकियों की संख्या दहाई के अंक में है और स्थानीय आतंकियों की प्रत्यक्ष भर्ती दो से तीन तक रही है।
like (0)
deltin33administrator

Post a reply

loginto write comments
deltin33

He hasn't introduced himself yet.

1310K

Threads

0

Posts

4110K

Credits

administrator

Credits
410158

Get jili slot free 100 online Gambling and more profitable chanced casino at www.deltin51.com