क्या पटाखों पर बैन से दिल्ली में नहीं होता है प्रदूषण? CPCB के आंकड़ों ने खोल दी प्रतिबंध की पोल

deltin33 2025-10-9 04:06:46 views 770
  बिना पटाखों के भी हर दीवाली बढ़ता दिल्ली का प्रदूषण।





राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। जानकर हैरानी भले ही हो, लेकिन सच यही है कि बिना पटाखों के भी राष्ट्रीय राजधानी में किसी दीवाली वायु प्रदूषण कम नहीं हुआ।

पटाखों के साथ भी और इनके बिना भी हर साल दीवाली और उससे अगले दिन की हवा \“\“बहुत खराब\“\“ या \“\“गंभीर\“\“ श्रेणी में ही रही है। पर्यावरणविदों का कहना है कि ऐसे में पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध न लगाकर प्रदूषण के अन्य कारकों की रोकथाम पर भी फोकस करना चाहिए। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें





गौरतलब है कि 2015 से लेकर 2024 तक एक दशक के आंकड़े बताते हैं कि हर साल दीवाली और उससे अगले दिन प्रदूषण के स्तर में तेजी से वृद्धि हुई।

2018 -19 से पटाखों पर भी प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन स्थितियां तब भी नहीं बदलीं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के पूर्व अपर निदेशक डाॅ एसके त्यागी कहते हैं कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रदूषण की एक नहीं बल्कि कई वजह हैं।



प्रदूषण की रोकथाम के लिए भी किसी एक पर नहीं, सभी पर ध्यान देना होगा। पूरे एनसीआर की एकीकृत कार्ययोजना बनानी होगी।



इंडियन पल्यूशन कंट्रोल एसोसिएशन (आईपीसीए) की उप निदेशक डा राधा गोयल का कहना है कि दीवाली पर भी पटाखों से अधिक प्रदूषण वाहनों के उत्सर्जन से होता है।

बड़ी संख्या में लोग खरीदारी और रिश्तेदारी में जाने के लिए निजी वाहनों का इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा धूल भी बड़ा फैक्टर है।



उसकी रोकथाम के लिए प्रयास होने चाहिए। सेंटर फार साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) की कार्यकारी निदेशक अनुमिता राय चौधरी का कहना है कि दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट में प्रदूषण के अन्य कारकों की रोकथाम की कार्ययोजना भी दे देनी चाहिए।


2015 से 2024 के बीच एयर इंडेक्स


सालदिवाली से पहलेदिवाली परदिवाली के अगले दिन
2024307328339
2023220218358
2022259312303
2021314382462
2020339414435
2019287337368
2018338 281390
2017302 319403
2016404 431445
2015353 343360








(स्रोतः सीपीसीबी)
ग्रीन पटाखों से 30-35 प्रतिशत तक कम होता प्रदूषण



वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) -राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) के विज्ञानियों के अनुसार ग्रीन पटाखे सामान्य पटाखों से बेहतर हैं क्योंकि इनका कैमिकल फार्मूला ऐसा है जिससे पानी की बूंदे निकलती हैं।

इससे प्रदूषण कम होता है और धूलकणों को भी पानी की यह बूंदे दबा देती हैं। इनमें प्रदूषक तत्व नाइट्रस आक्साइड व सल्फर आक्साइड 30 से 35 प्रतिशत तक कम होते हैं। मुख्य तौर पर यह पटाखे लाइट एंड साउंड शो के जैसे हैं। इन्हें जलाने पर खुशबू भी आती है।



सामान्य पटाखों की तुलना में इन पटाखों में 50 से 60 प्रतिशत तक कम एल्यूमीनियम का इस्तेमाल होता है। ग्रीन पटाखों पर हरे रंग का स्टीकर और बारकोड लगे होते हैं। हरे रंग वाले स्टिकर इस बात की पुष्टि करने के लिए हैं कि ये ग्रीन पटाखे हैं।

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