Darbhanga News : लोकसंस्कृति की रंगत में डूबी गलियां, हर जगह गूंजा ‘सामा खेले चलली भौजी...

LHC0088 2025-11-1 02:07:20 views 753
  

केवटी के रनवे गांव में सामा खेलती बहने। जागरण  



जागरण संवाददाता, दरभंगा।  सामा खेले चलली भौजी संग सहेली हो, हो भैया जिबय हो ओ जुग-जुग जिबय हो... आदि सामा चकेवा के पारंपरिक गीतों से जिला मुख्यालय सहित क्षेत्र की चौक-चौराहा और गांव की गलियां गुलजार हो गई है। कार्तिक शुक्ल पक्ष सप्तमी से प्रारंभ होकर पूर्णिमा तक चलने वाले इस लोक पर्व के दौरान महिलाएं सामा- चकेवा की मूर्तियों के साथ सामूहिक रूप से पारंपरिक गीत गाती हैं। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
ग्रामीण इलाकों में व्यापक उत्साह

भाई-बहन के बीच अटूट स्नेह के प्रतीक के रूप में मनाए जाने वाले इस लोक पर्व को लेकर ग्रामीण इलाकों में व्यापक उत्साह है। शाम ढलते ही मिथिला की ललनाएं चौक-चौराहों पर सामा-चकेवा की डाला के साथ मधुर चुटीले गीतों से एक पखवाड़ा तक यह लोक पर्व मनाती हैं। अपने भाई के लंबे जीवन, धनवान होने की कामना करती हैं। भाई बहन के अटूट स्नेह को दर्शाने वाले इस लोक पर्व का मतलब शरद ऋतु में मिथिला में प्रवास करने वाली पक्षियों का स्वागत है।
सामा- चकेवा की भी हैं कहानियां

हम जितना भी त्योहार मनाते हैं उसके पीछे सदियों पुरानी कोई न कोई कहानी सुनते सुनाते आए हैं। सामा- चकेवा की भी कहानियां हैं। सामा भगवान श्रीकृष्ण की पुत्री तथा साम्ब पुत्र थे। सामा को घूमने में मन लगता था। इसीलिए वह अपनी दासी डिहुली के साथ वृंदावन में जाकर ऋषि कुमार के साथ खेलती थी। यह बात दासी को रास नहीं आई। उसने सामा के पिता से इसकी शिकायत कर दी।आक्रोश में आकर भगवान श्रीकृष्ण ने उसे पक्षी होने का श्रप दे दिया। इसके बाद समा पक्षी का रूप धर कर वृंदावन में रहने लगी। इस वियोग में ऋषि मुनि कुमार भी पक्षी बनकर उसी जंगल में विचरण करने लगे। कालांतर में सामा के भाई साम्ब अपने बहन की खोज की तो पता चला कि निर्दोष बहन पर पिता के श्रप का साया है। इसके बाद उसने अपने पिता की तपस्या शुरु कर दी।

तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान श्री कृष्ण ने साम्ब को वरदान दिया। उसके बाद सामा श्रप मुक्त हुई । उसी दिन से भाई-बहन के स्नेह के रूप में यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस लोक पर्व के मुख्य पात्र सामा, चकेवा, सतभैया, चौकीदार, खरलुच भैया, लहू बेचनी, झांझी कुकुर, ढ़ोलकिया, सीमा मामा आदि की मूर्तियां बनाई जाती हैं। सामा-चकेवा पर्व में भाई-बहनों के आपसी प्रेम के रिश्ते मे खटास पैदा करने बाले चुगला का मुंह जलाया जाता है । ताकि भविष्य में कोई चुगला ऐसा करने की हिम्मत नहीं कर सके। यह पर्व कार्तिक पूर्णिमा की रात्री में मूर्ति विसर्जन के साथ संपन्न हो जाएगा।
like (0)
LHC0088Forum Veteran

Post a reply

loginto write comments
LHC0088

He hasn't introduced himself yet.

410K

Threads

0

Posts

1310K

Credits

Forum Veteran

Credits
134096

Get jili slot free 100 online Gambling and more profitable chanced casino at www.deltin51.com, Of particular note is that we've prepared 100 free Lucky Slots games for new users, giving you the opportunity to experience the thrill of the slot machine world and feel a certain level of risk. Click on the content at the top of the forum to play these free slot games; they're simple and easy to learn, ensuring you can quickly get started and fully enjoy the fun. We also have a free roulette wheel with a value of 200 for inviting friends.