देवोत्‍थानी एकादशी शन‍िवार तो तुलसी व‍िवाह रव‍िवार को, काशी के ज्‍योत‍िषाचार्यों ने बताई असली वजह

deltin33 2025-11-1 16:37:34 views 942
  

इस बार देवोत्‍थानी एकादशी पर भद्रा का साया है।  



जागरण संवाददाता, वाराणसी। देवोत्थान एकादशी शनिवार को मनाई जाएगी। भगवान विष्णु चार माह की योगनिद्रा से जागेंगे। उनके प्रबोधन का उल्लास भगवान विश्वनाथ की नगरी काशी में छाएगा। घरों और श्रीकाशी विश्वनाथ धाम समेत सभी मंदिरों में विशिष्ट आयोजन किए जाएंगे। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

हरि प्रबोधन के उपरांत एकादशी को होने वाला तुलसी विवाह भद्रा के चलते अगले दिन रविवार को द्वादशी तिथि में आयोजित होगा। इसके साथ चार महीनों से बंद मांगलिक कार्य आरंभ हो जाएंगे।

सनातन धर्मावलंबी व्रत रखकर भगवान विष्णु की आराधना करेंगे। भगवान विष्णु के मंदिरों में विशेष आयोजन होंगे, मंदिरों की साज-सज्जा का कार्य शुक्रवार से ही आरंभ हो गया था।

शनिवार को भगवान का विशेष शृंगार कर विधिवत पूजन-अर्चन करते हुए भक्त उन्हें ‘उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविंद त्यज निद्रां जगत्पते। त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत्सुप्तं भवेदिदम्। उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव।’ का जाप कर जागरण के लिए मनुहार करेंगे।

तुलसीदल से विभिन्न भोग रागों व नैवेद्यों का भोग लगाया जाएगा। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर प्रांगण स्थित बद्रीनारायण मंदिर और श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में षोडशोपचार पूजन किया जाएगा। ललिता घाट स्थित “पद्मनाभ मंदिर“ में श्रीहरि विष्णु का पूजन एवं पुरुषसूक्त पाठ होगा।

छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा पंचगंगा घाट पर स्थापित बिंदु माधव मंदिर में एकादशी से पूर्णिमा तक भगवान के पांच अलग-अलग स्वरूपों में शृंगार शृंखला आरंभ होगी।

इस अवसर पर काशी में भक्तों की भीड़ उमड़ेगी। सभी भक्त भगवान विष्णु के जागरण का उत्सव मनाने के लिए तैयार हैं। इस दिन विशेष रूप से तुलसी विवाह का आयोजन भी होगा, जो कि धार्मिक मान्यता के अनुसार अत्यंत महत्वपूर्ण है।

भक्तजन इस दिन विशेष रूप से व्रत रखकर भगवान विष्णु की आराधना करेंगे और उनके प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करेंगे।

काशी में इस उत्सव की तैयारी पिछले कई दिनों से चल रही है। मंदिरों की सजावट, भोग-नैवेद्य की व्यवस्था और विशेष पूजा-अर्चना की तैयारियाँ पूरी कर ली गई हैं।

भक्तजन इस अवसर पर एकत्र होकर सामूहिक रूप से भगवान विष्णु की आराधना करेंगे और उनके जागरण का आनंद लेंगे।

काशी में भगवान विष्णु के जागरण का यह उत्सव न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह समाज में एकता और श्रद्धा का प्रतीक भी है। भक्तजन इस दिन को अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं और इसे धूमधाम से मनाते हैं।
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