डकैती के दौरान हत्या के मामले में मुजफ्फरनगर के सगे भाइयों को उम्रकैद, दोनों पर 10-10 रुपये का जुर्माना भी लगा

LHC0088 2025-11-14 09:36:49 views 353
  



जागरण संवाददाता, अमरोहा। अदालत ने 17 साल पहले गजरौला में डकैती के दौरान गृहस्वामी की हत्या करने तथा पत्नी व बेटे को गोली मारकर घायल करने के मामले में मुजफ्फरनगर के सगे भाइयों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। दोनों पर 10-10 रुपये का जुर्माना भी लगाया है। एक भाई अभी जेल में है तथा दूसरा जमानत पर जेल से बाहर था।

यह घटना 11 सितंबर 2008 की तड़के गजरौला की एमडीए कालोनी में हुई थी। यहां पर जुबिलेंट फैक्ट्री के प्रोडक्शन मैनेजर रामवीर सिंह का परिवार रहता है। 11 सितंबर को तड़के में लगभग साढ़े चार बजे रामवीर सिंह परिवार के साथ घर में सो रहे थे। उसी दौरान छह बदमाश घर में घुस आए थे तथा लूटपाट शुरू कर दी थी। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

रामवीर सिंह के विरोध करने पर बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। गोली उनके चेहरे पर लगी थी। गोली की आवाज सुनकर पत्नी व बेटा नरेंद्र ड्राइंग रूम में पहुंचे तो बदमाशों ने उन पर भी फायर किया था। गोली लगने से वह घायल हो गए थे। यहां से बदमाश 50 हजार रुपये की नकदी, जेवरात व चार मोबाइल भी लूट कर ले गए थे।

इस मामले में नरेंद्र सिंह की तहरीर पर अज्ञात बदमाशों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने सर्विलांस की मदद से मुजफ्फरनगर के भोपा थानाक्षेत्र के नया गांव निवासी अंजुम को गिरफ्तार कर घटना का राजफाश किया था। उसने घटना में शामिल अपने साथियों के नाम सगे भाई नजाकत व शहजाद निवासी गांव कम्हेड़ा थाना ककरौली जनपद मुजफ्फरनगर, मुशर्रफ उर्फ गुलजार निवासी झिंझाना तथा भूरा व कादिर बताए थे।

अंजुम के बाद पुलिस ने नजाकत, शहजाद व मुशर्रफ को भी जेल भेज दिया था। बाद में नजाकत व शहजाद जमानत पर छूट आए थे। हालांकि इस मामले में ही 2015 को तत्कालीन अपर सत्र न्यायाधीश अंजुम को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुना चुके हैं। दरअसल फरार बदमाश कादिर व भूरा को रूड़की पुलिस ने 17 सितंबर 2019 में मुठभेड़ में मार गिराया था।

उस समय इस घटना की विवेचना प्रचलित थी। जबकि मुशर्रफ उर्फ गुलजार दोनों की मौत के बाद अन्य मुकदमे में जेल चला गया था। जोकि 2011 में मुरादाबाद से पुलिस कस्टडी से फरार हो गया था। उसका आज तक कोई पता नहीं चल सका है। साथ ही नजाकत व शहजाद भी जमानत तुड़वा कर मुजफ्फरनगर व सहारनपुर की जेल चले गए थे।

नजाकत को मुजफ्फरनगर की अदालत ने एक अन्य मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जोकि बाद में 14 साल की सजा काट कर जेल से छूट गया था। अब शहजाद बिजनौर की जेल में बंद है तथा नजाकत घर पर ही था। डकैती के दौरान हत्या की इस घटना का मुकदमा अपर सत्र न्यायाधीश विशेष पोक्सो एक्ट तृतीय की अदालत में विचाराधीन था।

अभियोजन पक्ष की तरफ से पैरवी कर रहे एडीजीसी अमित कुमार वशिष्ठ ने बताया कि अदालत ने मुकदमे की सुनवाई करते हुए दोनों भाइयों को दोषी करार दिया है। उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई। साथ ही दोनों पर 10-10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। उन्होंने बताया कि इस मुकदमे की सुनवाई पूरी होने पर 241 तारीख लगी हैं तथा आठ लोगों की गवाही हुई है।
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