नई दिल्ली। यूक्रेन युद्ध, घटती आबादी और तेजी से हो रही मजदूरों की कमी के बीच रूस भारतीय श्रमिकों के लिए एक बड़ा रोज़गार बाजार बनता जा रहा है। निर्माण, मैन्युफैक्चरिंग, तेल-गैस, खनन और हॉस्पिटैलिटी जैसे क्षेत्रों में भारत से ब्लू-कॉलर और सेमी-स्किल्ड वर्कर्स की मांग तेजी से बढ़ी है। भर्ती एजेंसियों के मुताबिक, रूस जाने वाले भारतीय कामगारों की संख्या पिछले चार वर्षों में करीब 60% बढ़ी है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें
कितना मिल रहा है वेतन?
भर्ती कंपनियों के अनुसार रूस में काम करने वाले भारतीय मजदूरों को न्यूनतम ₹50,000 प्रति माह वेतन मिल रहा है, जो भारत के मुक़ाबले काफ़ी ज़्यादा है। अनुभव और ओवरटाइम के साथ यह कमाई ₹1.5 लाख प्रति माह तक पहुंच सकती है।
ब्लू-कॉलर/सेमी-स्किल्ड नौकरियां
वेतन: ₹50,000–₹1,50,000 प्रति माह
काम: वेल्डर, बढ़ई, इलेक्ट्रीशियन, ड्राइवर, फ़ैक्ट्री ऑपरेटर, स्टील फिक्सर, टिन स्मिथ, इंसुलेटर
हाईली क्वालिफाइड स्पेशलिस्ट (HQS)
न्यूनतम वेतन सीमा: लगभग ₹1.5-₹1.8 लाख प्रति माह
आईटी/इंजीनियरिंग जैसे रोल, हालांकि भाषा और लोकल प्रतिस्पर्धा के कारण भारतीयों को ये मौके कम मिलते हैं।
कई मामलों में रूसी कंपनियां भोजन और रहने की व्यवस्था भी देती हैं, खासकर खदानों, रिफ़ाइनरियों और ऑयलफ़ील्ड्स में ये सुविधा मिलती है। हालांकि मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग जैसे शहरों में जीवनयापन महंगा है।
Step-by-Step Application Process: कैसे करें आवेदन?
नौकरी का ऑफर प्राप्त करें (Secure a Job Offer)
भारत में लाइसेंस प्राप्त भर्ती एजेंसियों के माध्यम से आवेदन करें (जो रूस के लिए ओवरसीज प्लेसमेंट संभालती हैं)। लोकप्रिय एजेंसियां निर्माण/विनिर्माण क्षेत्र में विशेषज्ञ होती हैं। जॉब पोर्टल्स जैसे Layboard, Naukri (रूसी जॉब्स सेक्शन) या एजेंसी लिस्टिंग जैसे BCM Group, ARGC पर चेक करें। रूसी कंपनियों में सीधे आवेदन कनेक्शन के बिना मुश्किल होता है। आपके लिए वर्क परमिट के लिए आंतरिक मामलों के मंत्रालय से इनविटेशन लेटर होना चाहिए।
हाईली क्वालिफाइड स्पेशलिस्ट (HQS) भूमिकाओं के लिए वर्क वीजा का आवेदन करें। स्टैंडर्ड वर्क वीजा सिंगल/मल्टीपल एंट्री, कॉन्ट्रैक्ट से जुड़ा होता है। हाईली क्वालिफाइड स्पेशलिस्ट वीजा (तेज, परिवार को लाभ, न्यूनतम वेतन जरूरी) होता है।
भारत में रूसी वीजा एप्लीकेशन सेंटर्स (नई दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता) या मॉस्को में दूतावास में जमा करें।
जरूरी दस्तावेज
- पासपोर्ट (6 महीने से अधिक वैध)।
- जॉब ऑफर/कॉन्ट्रैक्ट।
- नियोक्ता से इनविटेशन लेटर।
- मेडिकल सर्टिफिकेट (HIV टेस्ट सहित)।
- शैक्षिक/प्रोफेशनल योग्यताएं।
- पुलिस क्लीयरेंस।
- फोटो, एप्लीकेशन फॉर्म।
(नोट- ये विवरण बदल सकता है इसलिए आवेदन से पहले आधिकारिक साइट चेक करें।)
इसके लिए स्टैंडर्ड शुल्क ₹2,000-₹10,000 से ज्यादा प्रकार/स्पीड के अनुसार अलग-अलग हो सकता है। वहीं प्रोसेसिंग समय 7-20 दिन हो सकता है।
रूस पहुंचने के बाद क्या करें
माइग्रेशन अथॉरिटी में रजिस्टर करें। वर्क परमिट प्लास्टिक कार्ड प्राप्त करें। कुछ नियोक्ता भाषा/ट्रेनिंग प्रोग्राम भी देते हैं।
चुनौतियां भी कम नहीं
ठंडा मौसम, रूसी भाषा की बाधा और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का माहौल कई कामगारों और भर्ती कंपनियों के लिए चिंता का विषय है। फिर भी बेहतर कमाई और सुविधाओं के चलते रूस को अब भारतीय ब्लू-कॉलर वर्कफ़ोर्स के लिए नया ‘गल्फ’ माना जा रहा है। जैसे पिछली सदी में खाड़ी देशों ने भारतीय मज़दूरों के सहारे तरक्की की, वैसे ही आज रूस भी भारत के हुनरमंद हाथों पर भरोसा बढ़ा रहा है।
क्यों बढ़ रही है मांग?
रूस की आबादी तेजी से बूढ़ी हो रही है और जन्म दर घट रही है। श्रम मंत्रालय के मुताबिक, दशक के अंत तक रूस को 1.1 करोड़ अतिरिक्त कामगारों की जरूरत होगी। यूक्रेन युद्ध के चलते बड़ी संख्या में स्थानीय मज़दूर मोर्चे पर हैं, जिससे उद्योगों में कमी और बढ़ गई है।
पहले रूस मध्य एशिया के देशों से मज़दूर लाता था, लेकिन अब वह भारत की ओर रुख कर रहा है। 2024 में लगभग 72,000 भारतीयों को रूस ने वर्क परमिट दिए, जो कुल विदेशी श्रमिक कोटे का लगभग एक-तिहाई है।
किन राज्यों से ज्यादा भर्ती?
भर्ती एजेंसियों के मुताबिक, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, बिहार और तमिलनाडु से बड़ी संख्या में कामगार जा रहे हैं। पश्चिम बंगाल से बढ़ई और दर्ज़ियों की मांग सबसे ज्यादा है। अब मछली प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों में भी अनस्किल्ड वर्कर्स की जरूरत बढ़ रही है।
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