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मछली की आड़ में साइबेरियन पक्षियों का शिकार, विभागीय अधिकारी नहीं ले रहे सुध

deltin33 2025-12-29 21:27:26 views 165
  



जागरण संवाददाता, पीलीभीत। शारदा डैम का ठेका निरस्त होने के बाद से ही मछली का अवैध शिकार करने वाले माफियाओं की चांदी आ गई। अब मछली के शिकार की आड़ में साइबेरियन पक्षियों का भी धड़ल्ले से शिकार किया जा रहा है। विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

डैम की निगरानी में जुटे रहने का दावा करने वाले वन विभाग, पुलिस, मत्स्य विभाग और सशस्त्र सीमा बल के जवान भी इस पर नियंत्रण नहीं कर रहे हैं। प्रतिदिन दर्जनों कश्तियां डैम में घूमती नजर आ रही हैं।

शारदा सागर डैम का मत्स्य निगम की ओर से ठेका दिया जाता है। इस बार बदायूं के नेत्रपाल को डैम से मछली निकासी का ठेका दिया गया था, लेकिन कुछ समय तक ही उन्होंने मछली की निकासी की, उसके बाद ठेके की धनराशि जमा नहीं की, तो विभाग ने उनका ठेका निरस्त कर दिया। तब से यहां पर मछली का अवैध शिकार करने वाले माफिया सक्रिय हो गए।

मछलियों के प्रजनन काल में भी यहां पर अवैध शिकार किया गया। जिम्मेदारों के संरक्षण में यहां पर माफियाओं के हौसले बुलंद होते चले गए। अब यहां पर सर्दी शुरू होते ही साइबेरियन पक्षी भी लाखों की संख्या में आ चुके हैं। हजारों किलोमीटर से आए यह मेहमान पक्षी भी अब यहां पर सुरक्षित नहीं है।

मछली के अवैध शिकार के साथ साथ यहां पर साइबेरियन पक्षियों का भी बड़ी मात्रा में शिकार किया जा रहा है। शिकारी इन पक्षियों को उत्तराखंड ले जाकर बेच रहे हैं। हाल ही में पुलिस ने साइबेरियन पक्षियों के साथ एक युवक को गिरफ्तार भी किया था।

पिछले वर्ष भी साइबेरियन पक्षियों के शिकार के कई मामले सामने आए थे। इस बार डैम में पिछले वर्ष से भी अधिक विदेशी पक्षी आ चुके हैं। ऐसे में जिम्मेदारों ने अपनी आंखें बंद कर ली है। प्रतिदिन दिन के उजाले में सभी के सामने डैम के भीतर मछली और साइबेरियन पक्षियों का धड़ल्ले से शिकार किया जा रहा है।

दिन दहाड़े हो रहा अवैध शिकार विभागीय अधिकारियों के संरक्षण देने की ओर भी इंगित कर रहा है। यदि इसी तरह से अवैध शिकार होता रहा तो आने वाले समय में यहां पर विदेशी मेहमान पक्षियों का आना बंद हो जाएगा।

हजारों किलोमीटर का सफर तय करके यह पक्षी साइबेरियन पक्षी यहां पर आते हैं। वहां पर अपने घोंसलों को छोड़कर यह पक्षी सर्दी समाप्त होने के बाद वापस लौट जाते हैं। लेकिन यहां पर शिकारी उनके शिकार के लिए घात लगाए बैठे रहते हैं।
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